बक्सर। स्कूलों को बचा लें अभियान के तहत मंगलवार को जागरण टीम सुबह
9:50 बजे इटाढ़ी प्रखंड मुख्यालय स्थित बालिका मध्य विद्यालय पर पहुंची।
विद्यालय का दरवाजा खुला था और बच्चे विद्यालय में साफ-सफाई कर रहे थे।
स्कूल के कार्यालय में प्रधानाध्यापक गणेश प्रसाद केसरी सहित सात शिक्षक बच्चों का इंतजार कर रहे थे। करीब दस बजे तक शिक्षकों व छात्राओं के आने का सिलसिला जारी रहा। सवा दस बजे चेतना सत्र की शुरुआत हुई। मगर, तब तक विद्यालय के कुल 30 शिक्षकों में से छह शिक्षकों का कहीं अता-पता नहीं था। पूछने पर प्रधानाध्यापक ने बताया कि चार शिक्षक विशेषावकास पर हैं और दो लोग आ रहे हैं। बताते चलें कि, इस विद्यालय में कुल नामांकित छात्रों की संख्या 819 है। जिसमें 564 छात्र उपस्थित थे। हालांकि, विद्यालय में मात्र दस कमरा होने के कारण छात्रों को बैठने में परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है। यह विद्यालय जगह के अभाव में दो भागों में बंटा है। जिसमें एक भवन में कक्षा 6 से 8 के केवल छाताओं का पठन-पाठन किया जाता है। वहीं, दूसरे भवन में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे पढ़ते हैं। इसका एक मात्र वजह कमरे का अभाव बताया जाता है।
स्वच्छता का अभाव
पूरे जिले में सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छता अभियान इस विद्यालय में खोखला दिख रहा है। विद्यालय में साफ-सफाई का घोर अभाव देखने को मिला। विद्यालय के मुख्य दरवाजे पर गंदगी के अंबार लगा हुआ था। वहीं, शौचालय में भी साफ-सफाई का अभाव नजर आया।
एमडीएम का हाल
बच्चों की विद्यालय में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा चलाई जा रही एमडीएम का हाल ठीकठाक मिला। मेनू के अनुसार खाना बनाया जा रहा था। वहीं, माध्याह्न भोजन लकड़ी पर बनाया जा रहा था।
कहते हैं प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक गणेश प्रसाद केसरी ने बताया कि विद्यालय में जमीन के अभाव में दो भागों में विद्यालय संचालित होता है। शिक्षक तो समय से आते हैं, साफ-सफाई भी बराबर होती रहती है। एमडीएम बनाने के लिए सि¨लडर का पैसा आ गया है। दो-तीन दिनों में इसकी व्यवस्था हो जाएगी।
कहते हैं अभिभावक
स्थानीय गांव के गोपाल प्रसाद ने बताया कि विद्यालय समय से चलता है। कुछ शिक्षकों की लेट-लतीफी एवं आपसी सामंजस्य में अभाव रहता है। शौचालय बहुत गंदा रहता है।
कहते हैं शिक्षा समिति अध्यक्ष
विद्यालय के शिक्षा समिति अध्यक्ष कमलेश नोनिया ने बताया कि विद्यालय समय से खुलता है। लेकिन, शिक्षकों की लापरवाही से बच्चे बराबर बाहर घूमते हुए नजर आते हैं। इस विद्यालय में शिक्षक भी अधिक हैं। फिर भी बच्चों को सही से देखने वाले कोई शिक्षक नहीं है। बच्चा केवल हाजिरी बनवाने के बाद बाहर घूमता है। विद्यालय के आस-पास साफ-सफाई का घोर अभाव रहता है।
स्कूल के कार्यालय में प्रधानाध्यापक गणेश प्रसाद केसरी सहित सात शिक्षक बच्चों का इंतजार कर रहे थे। करीब दस बजे तक शिक्षकों व छात्राओं के आने का सिलसिला जारी रहा। सवा दस बजे चेतना सत्र की शुरुआत हुई। मगर, तब तक विद्यालय के कुल 30 शिक्षकों में से छह शिक्षकों का कहीं अता-पता नहीं था। पूछने पर प्रधानाध्यापक ने बताया कि चार शिक्षक विशेषावकास पर हैं और दो लोग आ रहे हैं। बताते चलें कि, इस विद्यालय में कुल नामांकित छात्रों की संख्या 819 है। जिसमें 564 छात्र उपस्थित थे। हालांकि, विद्यालय में मात्र दस कमरा होने के कारण छात्रों को बैठने में परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है। यह विद्यालय जगह के अभाव में दो भागों में बंटा है। जिसमें एक भवन में कक्षा 6 से 8 के केवल छाताओं का पठन-पाठन किया जाता है। वहीं, दूसरे भवन में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे पढ़ते हैं। इसका एक मात्र वजह कमरे का अभाव बताया जाता है।
स्वच्छता का अभाव
पूरे जिले में सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छता अभियान इस विद्यालय में खोखला दिख रहा है। विद्यालय में साफ-सफाई का घोर अभाव देखने को मिला। विद्यालय के मुख्य दरवाजे पर गंदगी के अंबार लगा हुआ था। वहीं, शौचालय में भी साफ-सफाई का अभाव नजर आया।
एमडीएम का हाल
बच्चों की विद्यालय में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा चलाई जा रही एमडीएम का हाल ठीकठाक मिला। मेनू के अनुसार खाना बनाया जा रहा था। वहीं, माध्याह्न भोजन लकड़ी पर बनाया जा रहा था।
कहते हैं प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक गणेश प्रसाद केसरी ने बताया कि विद्यालय में जमीन के अभाव में दो भागों में विद्यालय संचालित होता है। शिक्षक तो समय से आते हैं, साफ-सफाई भी बराबर होती रहती है। एमडीएम बनाने के लिए सि¨लडर का पैसा आ गया है। दो-तीन दिनों में इसकी व्यवस्था हो जाएगी।
कहते हैं अभिभावक
स्थानीय गांव के गोपाल प्रसाद ने बताया कि विद्यालय समय से चलता है। कुछ शिक्षकों की लेट-लतीफी एवं आपसी सामंजस्य में अभाव रहता है। शौचालय बहुत गंदा रहता है।
कहते हैं शिक्षा समिति अध्यक्ष
विद्यालय के शिक्षा समिति अध्यक्ष कमलेश नोनिया ने बताया कि विद्यालय समय से खुलता है। लेकिन, शिक्षकों की लापरवाही से बच्चे बराबर बाहर घूमते हुए नजर आते हैं। इस विद्यालय में शिक्षक भी अधिक हैं। फिर भी बच्चों को सही से देखने वाले कोई शिक्षक नहीं है। बच्चा केवल हाजिरी बनवाने के बाद बाहर घूमता है। विद्यालय के आस-पास साफ-सफाई का घोर अभाव रहता है।