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नॉलेज की पोल खुलने पर भड़के शिक्षक, वीसी के समझाने पर माने

भास्कर न्यूज| बांका/भागलपुर

अपने विषय की जानकारी नहीं होने की पोल खुलने से अपमानित महसूस कर रहे शिक्षकों ने सोमवार को टीएनबी कॉलेज और मारवाड़ी कॉलेज केंद्र पर स्नातक पार्ट थ्री के मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया। वह इस बात को लेकर आक्रोशित थे कि प्रतिकुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद ने उनसे उनके विषय के सवाल क्यों पूछे। अपने ही विषय की जानकारी नहीं होने के बावजूद उस विषय का मूल्यांकन करने की खबरें मीडिया में क्यों उछलीं।


शिक्षकों ने आरोप लगाया कि प्रतिकुलपति ने फिजिक्स के शिक्षक से सी प्लस प्लस के बारे में पूछा जो कंप्यूटर का सवाल है तो फिजिक्स के शिक्षक इसका जवाब कैसे देते। लेकिन शिक्षक इस बात को गौण कर गए कि अंग्रेजी के शिक्षक यीट्स की कविता का जवाब क्यों नहीं दे पाए और एक शिक्षक दो छात्रों के रोल नंबर लेकर क्या कर रहे थे। मूल्यांकन का बहिष्कार किए जाने पर कुलपति प्रो. नलिनी कांत झा ने तत्परता दिखाई और उन शिक्षकों के बीच पहुंचे जो कॉपी जांचने को तैयार नहीं थे। कुलपति के साथ डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेंद्र भी थे। कुलपति ने शिक्षकों को समझाना चाहा, लेकिन वे प्रतिकुलपति के विरोध में नारे लगाने लगे। शिक्षकों का कहना था कि प्रतिकुलपति माफी मांगें। डॉ. योगेन्द्र ने तब शिक्षकों को समझाया। इधर, कुलपति ने शिक्षकों से कहा कि मामले में कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल वे लोग मूल्यांकन करें, क्याेंकि यह छात्रों से जुड़ा मामला है। मूल्यांकन में देरी होगी तो रिजल्ट में विलंब होगा। इस पर शिक्षकों ने दो शर्तें रखीं कि प्रतिकुलपति सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और वह दोबारा मूल्यांकन केंद्र नहीं आएं। प्रतिकुलपति दोबारा मूल्यांकन केंद्र आएंगे तो वे लोग कॉपी नहीं जांचेंगे। टीएनबी कॉलेज केंद्र में मूल्यांकन के बहिष्कार की खबर मिली तो मारवाड़ी कॉलेज केंद्र में भी शिक्षकों ने कॉपी की जांच रोक दी। कुलपति ने वहां भी जाकर शिक्षकों को समझाया। तब मूल्यांकन शुरू हुआ।

टीएनबी और मारवाड़ी कॉलेज केंद्र पर पार्ट थ्री के मूल्यांकन का कर दिया था बहिष्कार

टीएनबी कॉलेज में मूल्यांकन का बहिष्कार कर रहे शिक्षकों को समझाते कुलपति नलिनिकांत झा।

अधिकारियों के करीबियों काे मिला मूल्यांकन

छात्र रालोसपा के शिशिर रंजन सिंह और एनएसयूआई के बमबम प्रीत ने पार्ट थ्री के मूल्यांकन में शिक्षकों की कम जानकारी का मामला सामने आने के बाद कहा है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एक अधिकारी के करीबियों को मूल्यांकन ड्यूटी दी गई। मूल्यांकन में लगे ज्यादातर शिक्षक उनके गुट के हैं। प्रोवीसी ने गड़बड़ी सामने लाई लेकिन कुलपति ने ऐसे शिक्षकों को मूल्यांकन से नहीं हटाया। इससे स्पष्ट है कि कुलपति की शैक्षणिक माहौल सुधारने की बातें खोखली हैं।

उठ रहे सवाल

प्रतिकुलपति को फिजिक्स के शिक्षक से कंप्यूटर का सवाल नहीं करना चाहिए था। लेकिन अंग्रेजी के शिक्षक यीट्स की कविता क्यों नहीं बता पाए?

मूल्यांकन कर रहे शिक्षक दो छात्रों का रोल नंबर लेकर क्या कर रहे थे?

प्रतिकुलपति के मूल्यांकन केंद्र नहीं आने की शर्त रखने वाले शिक्षकों को यह भी बताना चाहिए कि जो अपने विषय की जानकारी नहीं रखते हैं, जो पैरवी सुनते हैं, उन शिक्षकों को मूल्यांकन क्यों करना चाहिए?

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