शिक्षक आंदोलन ने TSUNSS (गोप गुट) " एक शिक्षक की नज़र.......…............................."
*****************भाग-2*******************
अब दौर शुरू होता है वर्ष 2017 का.....................
सरकार के अड़ियल रवैये और शिक्षक आंदोलन की किंकर्तव्यविमूढ़ता के बीच TSUNSS ने एक बार फिर बिहार विधान सभा के बजट सत्र के दौरान नए संघर्ष का शंखनाद किया। गर्दनीबाग पटना में सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों के विरुद्ध पूरे बिहार के शिक्षक सड़कों पर उतर आए। सरकार द्वारा आंदोलन को निर्ममतापूर्वक कुचलने के विफल प्रयास किया गया। सैकड़ों TET शिक्षकों को पुलिसिया डंडे का शिकार होना पड़ा। बुरी तरह घायल होने एवं अस्पतालों में भर्ती होने के बावजूद आंदोलनकारी शिक्षकों का जज़्बा कम नहीं हुआ। TSUNSS ने सरकार के इस दमन खिलाफ पटना की धरती पर अपनी मांगों के समर्थन में आमरण पर
अनशन करने का निर्णय लिया। घायल होने के बावजूद अमित भाई, सरला बहन, बजरंग भाई समेत सभी अनशनकारी साथियों के संघर्षीय योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस आंदोलन के बदौलत हमारी आवाज बिहार विधान मंडल तक पहुंची और सरकार की तंद्रा भी टूटी। रोजाना सदन में शिक्षकों के न्यायपूर्ण मांगो के समर्थन में आवाजें उठने लगी। TSUNSS के समान काम के लिए समान वेतन हेतु दायर याचिका की चर्चा भी सदन में हुई। सच में सड़क से लेकर सदन तक शिक्षकों की आवाजों को स्थापित करने में सफल इस आंदोलन को संघर्ष की पराकाष्ठा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सड़क,सदन एवं न्यायालय संघर्ष के तीनों प्रारूपों में TSUNSS लगातार सक्रिय भूमिका निभाते हुए शिक्षकों की मांगों को निरंतर संबल प्रदान किया है। संघ शिक्षकों के संघर्षों के बदौलत सरकार को घेरने का कार्य करती है। मांगो को मानना एवं पूरा करना शिक्षकों की एकजुटता और सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है।
वर्ष 2015 से सेवा शर्त की प्रतीक्षा करते करते D.El.Ed. 2015-17 में प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया। बिहार के D.El.Ed. सत्र 14-16 की परीक्षा बाधित होने के कारण कभी संबंधित मामले में इंटरवेनर बनने की चर्चा साथियों के बीच होती रहती । प्रशिक्षण संस्थान से विरमण के पश्चात विभिन्न कॉलेजों के प्रशिक्षु साथियों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर करने का दबाव बनाया जाने लगा। संघ के स्तर पर प्रयास जारी था। परंतु अपने कॉलेज के अभिन्न मित्र ने समस्तीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर एवं मुंगेर के साथियों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की चर्चा की। संघ से इतर सामूहिक हित के लिए इन प्रयासों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। मुंगेर एवं समस्तीपुर के साथी से मोबाइल पर केस की तैयारी से संबंधित बातें हुईं। 19 जुलाई 2017 को बेगूसराय के अपने मित्र के साथ मुंगेर से एक हरफनमौला साथी एवं समस्तीपुर से एक संघ निरपेक्ष साथी के साथ हम पटना पहुँचे। केस की ड्राफ्टिंग शुरू हुई। इसके पूर्व वकील साहब के यहाँ समस्तीपुर के संघ निरपेक्ष व ईमानदार साथी द्वारा मुज़फ़्फ़रपुर के महत्वाकांक्षी साथी को मुख्य - याचिकाकर्ता बनाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर विचार कर उपस्थित साथियों ने समस्तीपुर के साथी को ही इसके लिए तैयार किया। वैसे भी केस के सिलसिले में वे ज्यादा सक्रिय थे। वकील के सलाह के अनुसार 20 जुलाई को विभागीय प्रेजेंटेशन की औपचारिकता पूरी कर ली गई। पुनः संध्या में वकील साहब के यहां एकत्र हुए। वहाँ समस्तीपुर के अन्य साथी भी हम लोगों से जुड़े। पुनः केस की ड्राफ्टिंग का शेष कार्य वकील साहब के द्वारा पूरा किया गया। हम सबों ने केस हेतु आवश्यक राशि वकील साहब के यहाँ जमा किया। इसी दरम्यान वकालतनामा पर हस्ताक्षर के दौरान नव आगत साथी ने तैश में आकर अकेले केस लड़ने की बातें करने लगे। कार्यालय से बाहर आकर लंबी चर्चा चली और वे अकेले मुकदमा लड़ने पर कायम रहे। समस्तीपुर के संघ निरपेक्ष व ईमानदार साथी ने भी मौन सहमति दे दी। बावजूद इसके बेगूसराय के दोनों साथी शांतिपूर्वक वापस लौट आये। केस संबंधी विभिन्न जिलों के साथियों के मतभेदों के बीच अचानक हम लोगों के द्वारा दी गयी राशि की मांग अन्य जिले साथी द्वारा किये जाने पर हमारे अभिन्न मित्र ने स्वयं समस्तीपुर के साथी से सहयोग में दी गई राशि वापस ले ली। इस केस के संभावित मुख्य याचिका कर्ता ने मजबूरन केस से अलग होने पर अफसोस जताया।
फिर हम जुट गए अलग से मुकदमे की तैयारी में। TSUNSS की तैयारी पूर्व से जारी थी, संघ के साथ 3 अगस्त को केस का टोकन प्राप्त कर लिया गया। समस्तीपुर एवं अन्य का मामला आपसी खींचतान में पीछे रह गया। बाद में मतभेदों के बीच वे भी हाई कोर्ट से टोकन प्राप्त करने में सफल रहे।
सेवा शर्त संबंधी वार्ता हेतु विभिन्न संघों को आमंत्रित किये जाने पर पुनः समान मुद्दे पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता महसूस की गई। वैसे वर्ष 2015 में TSUNSS द्वारा किये वृहत्तसंघीय प्रयास के परिणाम से सभी अवगत हैं। शिक्षक के समस्याओं को अक्सर सदन में उठाने वाले विधान पार्षद महोदय द्वारा सामूहिक रूप से शिक्षकों की मांगों को प्रभावशाली तरीके से सेवा शर्त समिति के समक्ष उपस्थापित करने हेतु सभी संघों को आमंत्रित किया। पूर्व से स्थापित दो संघों ने इसका बहिष्कार कर इन प्रयासों की भ्रूण हत्या कर दी और फेसबुक पर एकता का राग अलापने लगे। और तो और जब समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने TSUNSS(गोप गुट) के प्रतिनिधि पहुँचे तो वहाँ संघ के कॉलम में शिक्षक विहीन छद्म समूह, जो संघीय पंजीयन जा ढिंढोरा पिटती रहती है, का हस्ताक्षर देखा। धृष्टता की भी हद होती है। यदि इस प्रकार का ही प्रयास करना था तो TET शिक्षकों की भावनाओं से वे क्यों खेलते हैं। यदि संघ चलाने का माद्दा ही था तो अन्य कुनबों की भाँति नया नामकरण कर लेते। अपनी क्षमता का आकलन हो जाता। किराये की नाव पर संघर्षों की दरिया पर नही की जाती। विभिन्न गुटों में प्रभावहीन TET समूह के उत्पन्न होने से हमें सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी हो सकती है।
अंततः, TET शिक्षकों के हकों के लिए TSUNSS(गोप गुट) निरंतर अपने स्थापना काल से ही संघर्षरत है। यह अभ्यर्थी आंदोलन की उपज होने के कारण अपने शिक्षक साथियों के प्रति प्रतिक्षण संवेदनशील रहा है। इन संघर्षों के बदौलत ही-----------
1) नियोजन प्रक्रिया में सुधार के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 से बड़ी संख्या में नियोजन संभव हो सका।
2) वर्ष 2015 में TET शिक्षकों के समस्याओं के प्रति बिहार सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जा सका।
3) अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए सवैतनिक अवकाश का प्रावधान किया गया। शिक्षकों के प्रशिक्षण के सीमित संसाधनों एवं अप्रशिक्षितो की विवशता के बीच केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 तक अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का विकल्प प्रस्तुत किये जाने के बाद शिक्षकों ने राहत की सांस ली।
4)पूर्व स्थापित संघों के चरणबद्ध वेतमान की माँग को दरकिनार कर एक साथ अनुशंसित वेतनमान सभी शिक्षकों को सरकार देने को बाध्य हुई। यदि संघर्ष में TSUNSS नही होता तो निश्चित रूप से TET शिक्षकों को इतना भी प्राप्त करने के लिए आठ वर्षों तक (उड़ीसा मॉडल) इंतज़ार करना पड़ता। अब कम से कम 100 से लेकर 300 तक की वार्षिक वृद्धि से मुक्ति तो मिली। 1000 या उससे अधिक की वृद्धि प्रत्येक वर्ष DA या वार्षिक वृद्धि के रूप में होने लगी। दो वर्षों के लिए ग्रेड पे से वंचित अवश्य हुए परंतु आठ वर्ष का इंतज़ार से तो बेहतर स्थिति में आ गए। दो वर्ष की बाध्यता को लेकर पूर्व में संघ अदालत भी गई। परिणाम सकारात्मक नहीं रहा। फिर भी संघ नए सिरे से अपने संघर्ष से प्राप्त अनुभवों के बदौलत प्रयत्नशील है।जल्द ही सकारात्मक परिणाम की अपेक्षा है।
5) समान काम समान वेतन हेतु सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में इसे लागू करने हेतु पटना उच्च न्यायालय में याचिका संघ ने दायर की।
6) प्राइवेट कॉलेज से प्रशिक्षु शिक्षकों का सवैतनिक अवकाश रद्द किए जाने के विभागीय तुगलकी फरमान के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर शिक्षकों के हितों की रक्षा की गई।
7) D. El. Ed. सत्र 2014-16 से सत्रांत परीक्षा लंबित रहने एवं सत्र 2015-17 में बड़ी संख्या में शिक्षकों के प्रशिक्षित होने के बावजूद ग्रेड पे से वंचित होने के कारण विरमन तिथि से ही प्रशिक्षित वेतन का लाभ दिए जाने हेतु सरकार के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया।
इनके अतिरिक्त TET शिक्षकों के भावनाओं के अनुरूप उनके हकों की प्राप्ति हेतु सरकार से दो दो हाथ करने को TSUNSS(गोप गुट) सदैव तत्पर है। संघर्ष के तीनों आयामों- सड़क, सदन व न्यायालय के मोर्चे पर TET शिक्षकों की आवाज़ अपने न्यायोचित हकों की प्राप्ति तक संघ के माध्यम से सदैव गूँजती रहेगी। बस केवल जरूरत है पूरे बिहार के TET शिक्षकों को एकजुटता बनाये रखने की।
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अब दौर शुरू होता है वर्ष 2017 का.....................
सरकार के अड़ियल रवैये और शिक्षक आंदोलन की किंकर्तव्यविमूढ़ता के बीच TSUNSS ने एक बार फिर बिहार विधान सभा के बजट सत्र के दौरान नए संघर्ष का शंखनाद किया। गर्दनीबाग पटना में सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों के विरुद्ध पूरे बिहार के शिक्षक सड़कों पर उतर आए। सरकार द्वारा आंदोलन को निर्ममतापूर्वक कुचलने के विफल प्रयास किया गया। सैकड़ों TET शिक्षकों को पुलिसिया डंडे का शिकार होना पड़ा। बुरी तरह घायल होने एवं अस्पतालों में भर्ती होने के बावजूद आंदोलनकारी शिक्षकों का जज़्बा कम नहीं हुआ। TSUNSS ने सरकार के इस दमन खिलाफ पटना की धरती पर अपनी मांगों के समर्थन में आमरण पर
अनशन करने का निर्णय लिया। घायल होने के बावजूद अमित भाई, सरला बहन, बजरंग भाई समेत सभी अनशनकारी साथियों के संघर्षीय योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस आंदोलन के बदौलत हमारी आवाज बिहार विधान मंडल तक पहुंची और सरकार की तंद्रा भी टूटी। रोजाना सदन में शिक्षकों के न्यायपूर्ण मांगो के समर्थन में आवाजें उठने लगी। TSUNSS के समान काम के लिए समान वेतन हेतु दायर याचिका की चर्चा भी सदन में हुई। सच में सड़क से लेकर सदन तक शिक्षकों की आवाजों को स्थापित करने में सफल इस आंदोलन को संघर्ष की पराकाष्ठा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सड़क,सदन एवं न्यायालय संघर्ष के तीनों प्रारूपों में TSUNSS लगातार सक्रिय भूमिका निभाते हुए शिक्षकों की मांगों को निरंतर संबल प्रदान किया है। संघ शिक्षकों के संघर्षों के बदौलत सरकार को घेरने का कार्य करती है। मांगो को मानना एवं पूरा करना शिक्षकों की एकजुटता और सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है।
वर्ष 2015 से सेवा शर्त की प्रतीक्षा करते करते D.El.Ed. 2015-17 में प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया। बिहार के D.El.Ed. सत्र 14-16 की परीक्षा बाधित होने के कारण कभी संबंधित मामले में इंटरवेनर बनने की चर्चा साथियों के बीच होती रहती । प्रशिक्षण संस्थान से विरमण के पश्चात विभिन्न कॉलेजों के प्रशिक्षु साथियों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर करने का दबाव बनाया जाने लगा। संघ के स्तर पर प्रयास जारी था। परंतु अपने कॉलेज के अभिन्न मित्र ने समस्तीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर एवं मुंगेर के साथियों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की चर्चा की। संघ से इतर सामूहिक हित के लिए इन प्रयासों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। मुंगेर एवं समस्तीपुर के साथी से मोबाइल पर केस की तैयारी से संबंधित बातें हुईं। 19 जुलाई 2017 को बेगूसराय के अपने मित्र के साथ मुंगेर से एक हरफनमौला साथी एवं समस्तीपुर से एक संघ निरपेक्ष साथी के साथ हम पटना पहुँचे। केस की ड्राफ्टिंग शुरू हुई। इसके पूर्व वकील साहब के यहाँ समस्तीपुर के संघ निरपेक्ष व ईमानदार साथी द्वारा मुज़फ़्फ़रपुर के महत्वाकांक्षी साथी को मुख्य - याचिकाकर्ता बनाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर विचार कर उपस्थित साथियों ने समस्तीपुर के साथी को ही इसके लिए तैयार किया। वैसे भी केस के सिलसिले में वे ज्यादा सक्रिय थे। वकील के सलाह के अनुसार 20 जुलाई को विभागीय प्रेजेंटेशन की औपचारिकता पूरी कर ली गई। पुनः संध्या में वकील साहब के यहां एकत्र हुए। वहाँ समस्तीपुर के अन्य साथी भी हम लोगों से जुड़े। पुनः केस की ड्राफ्टिंग का शेष कार्य वकील साहब के द्वारा पूरा किया गया। हम सबों ने केस हेतु आवश्यक राशि वकील साहब के यहाँ जमा किया। इसी दरम्यान वकालतनामा पर हस्ताक्षर के दौरान नव आगत साथी ने तैश में आकर अकेले केस लड़ने की बातें करने लगे। कार्यालय से बाहर आकर लंबी चर्चा चली और वे अकेले मुकदमा लड़ने पर कायम रहे। समस्तीपुर के संघ निरपेक्ष व ईमानदार साथी ने भी मौन सहमति दे दी। बावजूद इसके बेगूसराय के दोनों साथी शांतिपूर्वक वापस लौट आये। केस संबंधी विभिन्न जिलों के साथियों के मतभेदों के बीच अचानक हम लोगों के द्वारा दी गयी राशि की मांग अन्य जिले साथी द्वारा किये जाने पर हमारे अभिन्न मित्र ने स्वयं समस्तीपुर के साथी से सहयोग में दी गई राशि वापस ले ली। इस केस के संभावित मुख्य याचिका कर्ता ने मजबूरन केस से अलग होने पर अफसोस जताया।
फिर हम जुट गए अलग से मुकदमे की तैयारी में। TSUNSS की तैयारी पूर्व से जारी थी, संघ के साथ 3 अगस्त को केस का टोकन प्राप्त कर लिया गया। समस्तीपुर एवं अन्य का मामला आपसी खींचतान में पीछे रह गया। बाद में मतभेदों के बीच वे भी हाई कोर्ट से टोकन प्राप्त करने में सफल रहे।
सेवा शर्त संबंधी वार्ता हेतु विभिन्न संघों को आमंत्रित किये जाने पर पुनः समान मुद्दे पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता महसूस की गई। वैसे वर्ष 2015 में TSUNSS द्वारा किये वृहत्तसंघीय प्रयास के परिणाम से सभी अवगत हैं। शिक्षक के समस्याओं को अक्सर सदन में उठाने वाले विधान पार्षद महोदय द्वारा सामूहिक रूप से शिक्षकों की मांगों को प्रभावशाली तरीके से सेवा शर्त समिति के समक्ष उपस्थापित करने हेतु सभी संघों को आमंत्रित किया। पूर्व से स्थापित दो संघों ने इसका बहिष्कार कर इन प्रयासों की भ्रूण हत्या कर दी और फेसबुक पर एकता का राग अलापने लगे। और तो और जब समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने TSUNSS(गोप गुट) के प्रतिनिधि पहुँचे तो वहाँ संघ के कॉलम में शिक्षक विहीन छद्म समूह, जो संघीय पंजीयन जा ढिंढोरा पिटती रहती है, का हस्ताक्षर देखा। धृष्टता की भी हद होती है। यदि इस प्रकार का ही प्रयास करना था तो TET शिक्षकों की भावनाओं से वे क्यों खेलते हैं। यदि संघ चलाने का माद्दा ही था तो अन्य कुनबों की भाँति नया नामकरण कर लेते। अपनी क्षमता का आकलन हो जाता। किराये की नाव पर संघर्षों की दरिया पर नही की जाती। विभिन्न गुटों में प्रभावहीन TET समूह के उत्पन्न होने से हमें सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी हो सकती है।
अंततः, TET शिक्षकों के हकों के लिए TSUNSS(गोप गुट) निरंतर अपने स्थापना काल से ही संघर्षरत है। यह अभ्यर्थी आंदोलन की उपज होने के कारण अपने शिक्षक साथियों के प्रति प्रतिक्षण संवेदनशील रहा है। इन संघर्षों के बदौलत ही-----------
1) नियोजन प्रक्रिया में सुधार के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 से बड़ी संख्या में नियोजन संभव हो सका।
2) वर्ष 2015 में TET शिक्षकों के समस्याओं के प्रति बिहार सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जा सका।
3) अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए सवैतनिक अवकाश का प्रावधान किया गया। शिक्षकों के प्रशिक्षण के सीमित संसाधनों एवं अप्रशिक्षितो की विवशता के बीच केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 तक अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का विकल्प प्रस्तुत किये जाने के बाद शिक्षकों ने राहत की सांस ली।
4)पूर्व स्थापित संघों के चरणबद्ध वेतमान की माँग को दरकिनार कर एक साथ अनुशंसित वेतनमान सभी शिक्षकों को सरकार देने को बाध्य हुई। यदि संघर्ष में TSUNSS नही होता तो निश्चित रूप से TET शिक्षकों को इतना भी प्राप्त करने के लिए आठ वर्षों तक (उड़ीसा मॉडल) इंतज़ार करना पड़ता। अब कम से कम 100 से लेकर 300 तक की वार्षिक वृद्धि से मुक्ति तो मिली। 1000 या उससे अधिक की वृद्धि प्रत्येक वर्ष DA या वार्षिक वृद्धि के रूप में होने लगी। दो वर्षों के लिए ग्रेड पे से वंचित अवश्य हुए परंतु आठ वर्ष का इंतज़ार से तो बेहतर स्थिति में आ गए। दो वर्ष की बाध्यता को लेकर पूर्व में संघ अदालत भी गई। परिणाम सकारात्मक नहीं रहा। फिर भी संघ नए सिरे से अपने संघर्ष से प्राप्त अनुभवों के बदौलत प्रयत्नशील है।जल्द ही सकारात्मक परिणाम की अपेक्षा है।
5) समान काम समान वेतन हेतु सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में इसे लागू करने हेतु पटना उच्च न्यायालय में याचिका संघ ने दायर की।
6) प्राइवेट कॉलेज से प्रशिक्षु शिक्षकों का सवैतनिक अवकाश रद्द किए जाने के विभागीय तुगलकी फरमान के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर शिक्षकों के हितों की रक्षा की गई।
7) D. El. Ed. सत्र 2014-16 से सत्रांत परीक्षा लंबित रहने एवं सत्र 2015-17 में बड़ी संख्या में शिक्षकों के प्रशिक्षित होने के बावजूद ग्रेड पे से वंचित होने के कारण विरमन तिथि से ही प्रशिक्षित वेतन का लाभ दिए जाने हेतु सरकार के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया।
इनके अतिरिक्त TET शिक्षकों के भावनाओं के अनुरूप उनके हकों की प्राप्ति हेतु सरकार से दो दो हाथ करने को TSUNSS(गोप गुट) सदैव तत्पर है। संघर्ष के तीनों आयामों- सड़क, सदन व न्यायालय के मोर्चे पर TET शिक्षकों की आवाज़ अपने न्यायोचित हकों की प्राप्ति तक संघ के माध्यम से सदैव गूँजती रहेगी। बस केवल जरूरत है पूरे बिहार के TET शिक्षकों को एकजुटता बनाये रखने की।
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