शिक्षा के सन्दर्भ में सरकार की निति दोहरी रही है।
१. एक तरफ कहती है गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा चाहिए दूसरी तरफ देश में ९ लाख से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त पड़े है।
२.बीजेपी की केंद्र सरकार कहती है शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामले में केंद्र की नहीं सुनती राज्य सरकारें, दूसरी तरफ सबसे अधिक शिक्षकों की रिक्ति बीजेपी शाशित राज्य सरकारों या सहयोगियों की है जैसे। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हरियणा।
३. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को टेट पास होने तक शिक्षक मानने के इंकार किया है, और उन्हें समायोजित नहीं मानता। दूसरी तरफ, राज्य की बीजेपी की योगी सरकार धरना प्रदर्शन के दबाव कहे या वोट बैंक कहे शिक्षामित्रों के प्रति नरम अपनाने और रास्ता निकालने की बात कर रही है.
४. बिहार की नितीश सरकार,बात जरूर गुणवत्ता की करती है, दूसरी तरफ गुणवत्ता पूर्ण शोक्षकों की बात कभी नहीं की.
५. ५० उम्र पार को अयोग्य और अक्षम मानते हुए जबरिया सेवानिवृत किये जाएंगे। परन्तु फ़र्ज़ी प्रमाण पत्रों पर बहाल शिक्षकों कभी हटाने का फरमान नहीं हुआ।
१. एक तरफ कहती है गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा चाहिए दूसरी तरफ देश में ९ लाख से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त पड़े है।
२.बीजेपी की केंद्र सरकार कहती है शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामले में केंद्र की नहीं सुनती राज्य सरकारें, दूसरी तरफ सबसे अधिक शिक्षकों की रिक्ति बीजेपी शाशित राज्य सरकारों या सहयोगियों की है जैसे। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हरियणा।
३. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को टेट पास होने तक शिक्षक मानने के इंकार किया है, और उन्हें समायोजित नहीं मानता। दूसरी तरफ, राज्य की बीजेपी की योगी सरकार धरना प्रदर्शन के दबाव कहे या वोट बैंक कहे शिक्षामित्रों के प्रति नरम अपनाने और रास्ता निकालने की बात कर रही है.
४. बिहार की नितीश सरकार,बात जरूर गुणवत्ता की करती है, दूसरी तरफ गुणवत्ता पूर्ण शोक्षकों की बात कभी नहीं की.
५. ५० उम्र पार को अयोग्य और अक्षम मानते हुए जबरिया सेवानिवृत किये जाएंगे। परन्तु फ़र्ज़ी प्रमाण पत्रों पर बहाल शिक्षकों कभी हटाने का फरमान नहीं हुआ।