मोतिहारी। मोतिहारी स्थित श्रीनारायण ¨सह महाविद्यालय (एसएनएस कॉलेज)
बाबा साहब भीमराव अंबेदकर बिहार विश्वविद्यालय का अंगीभूत इकाई है। उच्च
शिक्षा के एक बड़े केंद्र के रूप में इसकी पहचान है। इंटर से लेकर स्नातक
स्तर की पढ़ाई की व्यवस्था है।
इसके अलावा व्यावयायिक पाठ्यक्रम के रूप में बीसीए एवं इंडस्ट्रीयल फीश एंड फीशरीज की पढ़ाई भी होती है। यूजीसी ने नैक मूल्यांकन में इस कॉलेज को बी प्लस दिया है, जो सम्मानजनक स्थिति है। आकर्षक परिसर वाले इस कॉलेज का संस्थागत ढांचा भी काफी समृद्ध है। परिसर में खूबसूरत उद्यान भी है। यह कॉलेज संसाधनों से परिपूर्ण है। बस एक कमी है, ..और वह कमी है कक्षा संचालन की। अर्थात पढ़ाई नहीं होती। तो फिर संसाधनों से परिपूर्ण इस कॉलेज की सार्थकता क्या है? स्मार्ट क्लास रूम से लेकर साधन संपन्न प्रयोगशालाएं किसी काम की नहीं। पुस्तकालय में पुस्तकों को बड़ा संग्रह है। पुस्तकालय की व्यवस्था की तो दाद ही देनी पड़ेगी। लेकिन वहां भी विद्यार्थी नजर नहीं आते। होता है तो बस नामांकन और परीक्षा। महाविद्यालय प्रबंधन के सामने भी लाचारी है। क्या होगा यहां नामांकित विद्यार्थियों के भविष्य का?
5 हजार विद्यार्थियों के भविष्य का है सवाल
शिक्षा के स्तर में सुधार के तमाम दावों के बीच जो स्थिति सामने आ रही है वह ¨चताजनक है। एसएनएस कॉलेज में एक सत्र में करीब 5 हजार विद्यार्थी नामांकित होते हैं। यहां कला एवं विज्ञान संकाय स्थापित है। इतनी बड़ी संख्या में नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए आज की तिथि में केवल तीन ही शिक्षकों की तैनाती की गई है। इनमें प्राणीशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं मनोविज्ञान विभाग में एक-एक प्राध्यापक पदस्थापित हैं। कला एवं विज्ञान से संबंधित अन्य विषयों के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। अब कैसे हो पढ़ाई? कैसे हो कक्षाओं का संचालन? अंगीभूत इकाई होने के नाते इस महाविद्यालय में शिक्षकों की तैनाती का जिम्मा विश्वविद्यालय का है। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन को इस स्थिति की जानकारी नहीं है। सरकारी तंत्र भी तो खामोश है। क्या होगा विद्यार्थियों के भविष्य का? क्या सिर्फ बेहतरी के खोखले दावे ही किए जाएंगे।
मजबूत इच्छाशक्ति के बाद भी शैक्षणिक बदहाली
महाविद्यालय कर्मियों में बेहतरी की मजबूत इच्छाशक्ति नजर आई। शैक्षणिक स्थिति में सुधार को लेकर सभी फिक्रमंद हैं। मगर उनके सामने भी लाचारी है। अब तीन शिक्षकों के बूते भला क्या किया जा सकता है। हालांकि प्राचार्य की पहल पर गेस्ट टीचर्स के सहारे शिक्षा की गाड़ी को आगे बढ़ाने की कवायद की जाती है। कॉलेज उत्कृष्टता के पैमाने को कैसे छुए इसके लिए भी कोशिशें की जाती हैं। मगर कक्षा संचालन के अभाव में सारी कोशिशें बेमानी साबित होती हैं।
कॉलेज के पास है संसाधन
इस महाविद्यालय के साथ खास बात यह है कि प्रशासकीय भवन से लेकर वर्गकक्ष तक आकर्षक ढंग से सुसज्जित हैं। प्रयोगशालाओं में संसाधनों की कमी नहीं है। पुस्तकालय में पुस्तकों की उपलब्धता से लेकर बैठने की व्यवस्था एवं वहां की साज-सज्जा देखने लायक है। मगर ये सभी किसी काम के नहीं। जब इनका कोई उपयोग ही नही है तो इनके होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है। कार्यालयीय कार्यों को निपटाने के लिए भी करीने से व्यवस्था की गई है। विद्यार्थियों के लिए शेड के साथ काउंटर बनाए गए हैं।
परिसर भी है आकर्षक
एसएनएस कॉलेज के अंदरूनी हिस्से की साज-सज्जा भी लुभावनी है। परिसर में चारों तरफ छायादार वृक्ष लगे हैं जो आकर्षक ²श्य प्रस्तुत करते हैं। परिसर के एक बड़े हिस्से में वानस्पतिक उद्यान भी है। उद्यान के अंदर जलाशय भी है। उद्यान का नाम शहीद प्रकाश उद्यान रखा गया है। दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर प्रकाश कुमार भी शहीद हुए थे जो इसी महाविद्यालय के छात्र रहे हैं। उद्यान को और आकर्षक बनाने का काम भी चल रहा है।
सेवानिवृत कर्मी भी जुड़े हैं कॉलेज से
इस कॉलेज के साथ खास बात यह है कि शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक ऐसे कई कर्मी हैं जो सेवानिवृति के बाद भी खुद को यहां की गतिविधियों से जोड़े हुए हैं। अध्यापन कार्य से लेकर लिपिकीय कार्य को निपटाते हैं। वह भी लगन और निष्ठा के साथ। इनका कहना है कि हमारा मकसद अर्थोपार्जन नहीं बल्कि भावनात्मक है। हम आज भी इस कॉलेज की बेहतरी के लिए सक्रिय हैं। हमसे जो भी बन पड़ता है करते हैं। परीक्षा प्रभारी त्रिभुवन ¨सह ने बताया कि मै भी जनवरी में रिटायर करने वाला हूं। मगर इस कॉलेज के साथ एक घर और परिवार की तरह रिश्ता है। कॉलेज के हित में काम करता रहूंगा।
वर्जन :
महाविद्यालय में शिक्षा के बेहतर माहौल के लिए सभी स्तरों से प्रयास किया जाता है। सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। शिक्षकों की कमी है। इसके कारण कक्षा संचालन में बाधा आती है। गेस्ट टीचर को आवश्यकतानुसार बुलाया जाता है। उपलब्ध संसाधनों में हम बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। कॉलेज के सभी कर्मी इस दिशा में प्रयत्नशील हैं।
- डॉ. मनोज कुमार, प्राचार्य
इसके अलावा व्यावयायिक पाठ्यक्रम के रूप में बीसीए एवं इंडस्ट्रीयल फीश एंड फीशरीज की पढ़ाई भी होती है। यूजीसी ने नैक मूल्यांकन में इस कॉलेज को बी प्लस दिया है, जो सम्मानजनक स्थिति है। आकर्षक परिसर वाले इस कॉलेज का संस्थागत ढांचा भी काफी समृद्ध है। परिसर में खूबसूरत उद्यान भी है। यह कॉलेज संसाधनों से परिपूर्ण है। बस एक कमी है, ..और वह कमी है कक्षा संचालन की। अर्थात पढ़ाई नहीं होती। तो फिर संसाधनों से परिपूर्ण इस कॉलेज की सार्थकता क्या है? स्मार्ट क्लास रूम से लेकर साधन संपन्न प्रयोगशालाएं किसी काम की नहीं। पुस्तकालय में पुस्तकों को बड़ा संग्रह है। पुस्तकालय की व्यवस्था की तो दाद ही देनी पड़ेगी। लेकिन वहां भी विद्यार्थी नजर नहीं आते। होता है तो बस नामांकन और परीक्षा। महाविद्यालय प्रबंधन के सामने भी लाचारी है। क्या होगा यहां नामांकित विद्यार्थियों के भविष्य का?
5 हजार विद्यार्थियों के भविष्य का है सवाल
शिक्षा के स्तर में सुधार के तमाम दावों के बीच जो स्थिति सामने आ रही है वह ¨चताजनक है। एसएनएस कॉलेज में एक सत्र में करीब 5 हजार विद्यार्थी नामांकित होते हैं। यहां कला एवं विज्ञान संकाय स्थापित है। इतनी बड़ी संख्या में नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए आज की तिथि में केवल तीन ही शिक्षकों की तैनाती की गई है। इनमें प्राणीशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं मनोविज्ञान विभाग में एक-एक प्राध्यापक पदस्थापित हैं। कला एवं विज्ञान से संबंधित अन्य विषयों के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। अब कैसे हो पढ़ाई? कैसे हो कक्षाओं का संचालन? अंगीभूत इकाई होने के नाते इस महाविद्यालय में शिक्षकों की तैनाती का जिम्मा विश्वविद्यालय का है। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन को इस स्थिति की जानकारी नहीं है। सरकारी तंत्र भी तो खामोश है। क्या होगा विद्यार्थियों के भविष्य का? क्या सिर्फ बेहतरी के खोखले दावे ही किए जाएंगे।
मजबूत इच्छाशक्ति के बाद भी शैक्षणिक बदहाली
महाविद्यालय कर्मियों में बेहतरी की मजबूत इच्छाशक्ति नजर आई। शैक्षणिक स्थिति में सुधार को लेकर सभी फिक्रमंद हैं। मगर उनके सामने भी लाचारी है। अब तीन शिक्षकों के बूते भला क्या किया जा सकता है। हालांकि प्राचार्य की पहल पर गेस्ट टीचर्स के सहारे शिक्षा की गाड़ी को आगे बढ़ाने की कवायद की जाती है। कॉलेज उत्कृष्टता के पैमाने को कैसे छुए इसके लिए भी कोशिशें की जाती हैं। मगर कक्षा संचालन के अभाव में सारी कोशिशें बेमानी साबित होती हैं।
कॉलेज के पास है संसाधन
इस महाविद्यालय के साथ खास बात यह है कि प्रशासकीय भवन से लेकर वर्गकक्ष तक आकर्षक ढंग से सुसज्जित हैं। प्रयोगशालाओं में संसाधनों की कमी नहीं है। पुस्तकालय में पुस्तकों की उपलब्धता से लेकर बैठने की व्यवस्था एवं वहां की साज-सज्जा देखने लायक है। मगर ये सभी किसी काम के नहीं। जब इनका कोई उपयोग ही नही है तो इनके होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है। कार्यालयीय कार्यों को निपटाने के लिए भी करीने से व्यवस्था की गई है। विद्यार्थियों के लिए शेड के साथ काउंटर बनाए गए हैं।
परिसर भी है आकर्षक
एसएनएस कॉलेज के अंदरूनी हिस्से की साज-सज्जा भी लुभावनी है। परिसर में चारों तरफ छायादार वृक्ष लगे हैं जो आकर्षक ²श्य प्रस्तुत करते हैं। परिसर के एक बड़े हिस्से में वानस्पतिक उद्यान भी है। उद्यान के अंदर जलाशय भी है। उद्यान का नाम शहीद प्रकाश उद्यान रखा गया है। दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर प्रकाश कुमार भी शहीद हुए थे जो इसी महाविद्यालय के छात्र रहे हैं। उद्यान को और आकर्षक बनाने का काम भी चल रहा है।
सेवानिवृत कर्मी भी जुड़े हैं कॉलेज से
इस कॉलेज के साथ खास बात यह है कि शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक ऐसे कई कर्मी हैं जो सेवानिवृति के बाद भी खुद को यहां की गतिविधियों से जोड़े हुए हैं। अध्यापन कार्य से लेकर लिपिकीय कार्य को निपटाते हैं। वह भी लगन और निष्ठा के साथ। इनका कहना है कि हमारा मकसद अर्थोपार्जन नहीं बल्कि भावनात्मक है। हम आज भी इस कॉलेज की बेहतरी के लिए सक्रिय हैं। हमसे जो भी बन पड़ता है करते हैं। परीक्षा प्रभारी त्रिभुवन ¨सह ने बताया कि मै भी जनवरी में रिटायर करने वाला हूं। मगर इस कॉलेज के साथ एक घर और परिवार की तरह रिश्ता है। कॉलेज के हित में काम करता रहूंगा।
वर्जन :
महाविद्यालय में शिक्षा के बेहतर माहौल के लिए सभी स्तरों से प्रयास किया जाता है। सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। शिक्षकों की कमी है। इसके कारण कक्षा संचालन में बाधा आती है। गेस्ट टीचर को आवश्यकतानुसार बुलाया जाता है। उपलब्ध संसाधनों में हम बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। कॉलेज के सभी कर्मी इस दिशा में प्रयत्नशील हैं।
- डॉ. मनोज कुमार, प्राचार्य