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दो साल में भी नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त लागू नहीं कर पाई नीतीश सरकार

पटना। शिक्षा विभाग में घोटाले के बाद बिहार सरकार की ओर से शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए रोड मैप बनाने के दावे किए गए थे। अब तक सरकार की ओर से कोई रोड मैप सामने नहीं आया है। विधानसभा चुनाव से पूर्व ही नियोजित शिक्षकों के सेवाशर्त को लागू करने के लिए कमेटी गठित की गई थी।

दो साल पूरे हो जाने के बाद भी सरकार शिक्षकों के लिए सेवा शर्त लागू करने में असफल रही। नीतीश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने की बात तो करती है पर उसके लिए आवश्यक कदम उठाने में सरकार फिसड्डी साबित हुई है। साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त लागू करने की घोषणा लगातार फेल हो रही है। नीतीश सरकार 2 वर्षों में शिक्षकों के लिए सेवा शर्त तैयार नहीं कर सकी है।



सेवा शर्त के लिए वर्ष 2015 में कमिटी गठित हुई थी और कमिटी को 3 महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपना था पर अब तक कमिटी की ओर से सरकार को रिपोर्ट नहीं सौंपा गया है। सेवा शर्त लागू करने के लिए तिथियां लगातार बदलती रही। शिक्षा विभाग की ओर से जुलाई के अंत तक शिक्षक संघों से बात कर सेवा शर्त ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की बात कही गई थी लेकिन यह तिथि भी बीत गई।


शिक्षा विभाग अब 9 अगस्त को शिक्षक संघों के साथ बैठक कर उनकी राय जानने के बाद ड्राफ्ट को अंतिम रूप देगी। 12 शिक्षक संघों को सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया है और सभी को अपनी बात रखने के लिए वक्त दिया जाएगा। 12 जून को सेवा शर्त कमिटी की बैठक में तय किया जाना है कि म्यूजिक शिक्षकों के तबादले और अनुसंधान किस तरीके से दी जाए।

सेवा शर्त लागू होने के बाद नियोजित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति मिल पाएगी और जिला स्तर पर नियोजन इकाई फाइनल होने की स्थिति में नियोजित शिक्षकों को अपने जिले में तबादले का मौका मिल पाएगा। फिलहाल राज्य में पंचायत से लेकर जिला स्तर पर कुल 21 प्रकार की नियोजन इकाई है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सेवा शर्त के लिए कमेटी की गठन की गई थी। 

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