सुपौल। शिक्षा के विकास के लिए हर साल करोड़ों की योजना बनती है। बच्चों को
स्कूल से जोड़ने के लिए सरकार छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल राशि सहित कई
योजनाएं चला रही है, लेकिन जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात आती है तो छात्र
से लेकर अभिभावक तक को विद्यालय की व्यवस्था देख आंसू बहाने पर मजबूर होना
पड़ता है।
बदहाल व्यवस्था के शिकार उर्दू मध्य विद्यालय ठाढ़ी भवानीपुर में मंगलवार को 10 बजकर 15 मिनट पर 18 शिक्षक में से पांच शिक्षक प्रधान शबनम आरा खानम, विजय कुमार, सतीश कुमार सुमन, मो. एजाज आलम एवं गजेन्द्र कुमार विद्यालय के बरामदे पर बैठ बात कर रहे थे। विद्यालय में एक ही बच्चा उपस्थित था, बरामदे पर बकरियां चर रही थी। तस्वीर लेते ही सभी शिक्षक पहुंचकर कहने लगे कि बच्चे आते ही होंगे। रसोई में रखी बच्चों की थाली में गंदगी का अंबार था। जब यहां शिक्षकों के लिए विद्यालय में उपस्थिति की कोई समय-सीमा नहीं है तो छात्रों की उपस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रधान से पूछने पर बताया विद्यालय में 761 छात्रों का नामांकन है तथा 18 शिक्षक कार्यरत हैं। बच्चे आए या नहीं, लेकिन मध्याह्न भोजन में 350 से अधिक बच्चों की उपस्थिति दिखाई जाती है। संकुल समन्वयक अशोक कुमार यादव से पूछने पर बताया कि पूर्व में भी इस संबंध में प्रधान को हिदायत दी गई है।
बदहाल व्यवस्था के शिकार उर्दू मध्य विद्यालय ठाढ़ी भवानीपुर में मंगलवार को 10 बजकर 15 मिनट पर 18 शिक्षक में से पांच शिक्षक प्रधान शबनम आरा खानम, विजय कुमार, सतीश कुमार सुमन, मो. एजाज आलम एवं गजेन्द्र कुमार विद्यालय के बरामदे पर बैठ बात कर रहे थे। विद्यालय में एक ही बच्चा उपस्थित था, बरामदे पर बकरियां चर रही थी। तस्वीर लेते ही सभी शिक्षक पहुंचकर कहने लगे कि बच्चे आते ही होंगे। रसोई में रखी बच्चों की थाली में गंदगी का अंबार था। जब यहां शिक्षकों के लिए विद्यालय में उपस्थिति की कोई समय-सीमा नहीं है तो छात्रों की उपस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रधान से पूछने पर बताया विद्यालय में 761 छात्रों का नामांकन है तथा 18 शिक्षक कार्यरत हैं। बच्चे आए या नहीं, लेकिन मध्याह्न भोजन में 350 से अधिक बच्चों की उपस्थिति दिखाई जाती है। संकुल समन्वयक अशोक कुमार यादव से पूछने पर बताया कि पूर्व में भी इस संबंध में प्रधान को हिदायत दी गई है।