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तो बिहार के मुख्यमंत्री का नाम है नरेंद्र मोदी

 मध्य विद्यालय महाराजगंज और मलिया महादेव के पांचवी कक्षा के बच्चे को नहीं मालूम मुख्यमंत्री का नाम
- आठ क्लास में 1216 बच्चे और 26 शिक्षक
- बैठने की जगह न होने से घर लौट जाते हैं दर्जनों विद्यार्थी

जागरण संवाददाता, पटना सिटी : सरकारी शिक्षा एवं व्यवस्था में प्रयोग का दौर जारी है। परिणाम चाहे जो हो फरमान जारी करने में विभाग मुस्तैद है। सुबह नौ बजे से लेकर शाम चार बजे तक स्कूल संचालित करने का विभागीय फैसला सराहनीय है, लेकिन बिना होमवर्क किए इस फैसले के अमल में आने से शिक्षा सवालों के घेरे में है। महाराजगंज स्थित महापौर के घर के समीप एक भवन में दो स्कूल चल रहा है। मध्य विद्यालय महाराजगंज एवं मध्य विद्यालय मलिया महादेव के छात्र-छात्राएं अब एक ही समय में स्कूल आते हैं। वर्ग एक से आठ तक में दोनों स्कूलों के 1216 छात्र-छात्राएं एक-एक बित्ते की जगह में बैठते हैं। व्यवस्था का दंश झेल रहे बच्चे यहां 26 शिक्षक होने के बाद भी शिक्षा से कोसो दूर हैं। वर्ग पांच के एक बच्चे ने बिहार के मुख्यमंत्री का नाम पूछने पर नरेंद्र मोदी बताया।
- कॉपी निकाल लिखे कई दिन बीत गए
एक भवन या एक परिसर में अलग-अलग समय में चलने वाले स्कूलों को एक ही समय में चलाने का विभागीय फैसला दुरूस्त हो सकता है लेकिन चीखता सच यह है कि बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे हैं। मध्य विद्यालय महाराजगंज एवं मध्य विद्यालय मलिया महादेव में एक बेंच पर सात से आठ बच्चे बैठाए जा रहे हैं। बड़े बच्चे को एक बित्ते की जगह में बैठना पड़ रहा है। हिलने तक की जगह नहीं। बस्ता रखा तो किताब खोलने की जगह नहीं। कॉपी निकाल कर लिखने की बात तो बच्चे भूल ही गए हैं। क्लास में क्षमता से तीन गुणा अधिक छात्र-छात्रा होने के कारण उमस और गर्मी बेहोश करने वाली है।
- खड़े रह कर पढ़ो या जाओ घर
क्लास में बच्चों के सामने दो ही उपाए है या तो खड़े रह कर पढ़ें या घर जाएं। कई बच्चे खड़े होकर पढ़ते दिखे तो दर्जनों भीड़ देख कर घर लौट गए। स्कूल के 12 कमरों में से एक में दो स्कूल के प्राचार्यो का कक्ष और शिक्षकों का कॉमन रूम है। दूसरे में लाइब्रेरी और तीसरा गोदाम व भंडार घर बना है।
- बैठने को दरी नहीं, चिथड़ी किताबों से अधूरी पढ़ाई

इस स्कूल की शिक्षा में दरिद्रता का आलम यह है कि वर्ग एक, दो, तीन के छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए दरी तक नसीब नहीं है। गंदी जमीन पर बैठ कर बच्चे स्वच्छता का सबक याद करते दिखे। पढ़ने को किताब भी नहीं। पिछले वर्ष पास किए बच्चों चिथड़ी किताबों से इस वर्ष के बच्चों की पढ़ाई हो रही है। किताब के अधिकांश पन्ने फठ चुके हैं। अधूरी किताबों से पाठ्यक्रम को पूरा कराने की नाकाम कोशिश में शिक्षक जुटे दिखे। वर्ग पांच की ²ष्टि, वर्ग छह की तन्नू, वर्ग सात के आयुष व वर्ग आठ की राखी सरीखे दर्जनों बच्चे इस बदहाल व्यवस्था में भी कोहिनूर की तरह दमक रहे थे। पूछे गए सवालों का सही जवाब दिया। अन्य बच्चों ने भी जवाब देने को हाथ खड़े किए लेकिन इन बच्चों के पांच सवालों का जवाब शिक्षा विभाग शायद ही दे पाए।

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