रोहतास। रोजगार प्राप्त करना ही जीवन का उद्देश्य नहीं है। एक बेहतर
नागरिक के निर्माण के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी जरूरी है। स्कूली शिक्षा
के माध्यम से ही हम व्यक्तित्व, मानसिक कुशलता, नैतिक व शारीरिक शक्ति का
विकास करना सीखते हैं।
शिक्षा निजी व पेशेवर जीवन में सफलता की इकलौती कुंजी है, जो हमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। लेकिन ¨जदगी की सीख केवल किताबों में ही नहीं मिलती। इसीलिए कॉलेजों में भी शिक्षा के साथ-साथ रचनात्मक कार्यों पर बल दिया जा रहा है। परंपरानुसार चल रहे सामान्य विषयों के अलावा खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां व व्यावसायिक तथा रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में कॉलेज की पढ़ाई किसी के भी कॅरियर में एक अहम स्थान रखती है। छात्र पढ़ाई के साथ-साथ कुछ ऐसा पार्ट टाइम जॉब भी कर सकते हैं, जिससे उन्हें काम का अनुभव भी मिलेगा और भविष्य में उनके कॅरियर ग्रोथ के लिए भी सहायक साबित होगा। उक्त बातें एसपी जैन कॉलेज सासाराम के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) गुरुचरण ¨सह ने दैनिक जागरण के स्थानीय रौजा रोड कार्यालय में आयोजित प्रश्न पहर कार्यक्रम में कही। प्रस्तुत है पाठकों के सवाल व डॉ. ¨सह के जवाब।
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सवाल : आज छात्रों का रुझान तकनीकी शिक्षा की ओर ज्यादा है। कला के क्षेत्र में स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों का क्या भविष्य है?
जगदेव प्रसाद, सासाराम
जवाब : वास्तव में कहा जाए तो कला के क्षेत्र में उम्मीद का दरवाजा स्नातक के बाद ही खुलता है। आज कल कला संकाय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में बैठने की योग्यता मिल जाती है। कला के क्षेत्र से भी कई छात्र-छात्राएं यूपीएससी, बीपीएससी, रेलवे, बैंक, पुलिस सेवा आदि में सफलता प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।
सवाल : एसपी जैन कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर किस तरह का है। छात्रों की बेहतर शिक्षा के लिए यहां अन्य कॉलेजों से क्या अलग है?
प्रभात कुमार, चेनारी
जवाब : एसपी जैन कॉलेज इस जिले का सबसे पुराना महाविद्यालय है। हमारे यहां ¨हदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास, गणित, रसायनशास्त्र, बॉटनी व प्राणी विज्ञान में स्नातकोतर स्तर तक की पढ़ाई होती है। इसके अलावा अन्य व्यावसायिक कोर्सों व एनसीसी का यूनिट भी यहां है। यहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद व अन्य गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाता है।
सवाल : सरकार व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दे रही है। ऐसे में यहां किसी व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई नहीं हो रही है। इसके लिए क्या भविष्य में कोई योजना है?
चंचल कुमार, सासाराम
जवाब : यहां कई व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई चल रही है। जिसमें बीसीए, बीबीए, बायोटेक, बीएड व इग्नू के माध्यम से दुरस्थ शिक्षा की व्यवस्था है। इग्नू के माध्यम से नौकरीपेशा लोग भी मनचाहा विषयों की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
सवाल : कॉलेज में छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है। ऐसे में छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए क्या योजना है?
आशा कुमारी, तिलौथू
जवाब : यह सही बात है कि यहां कई विषयों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन प्राप्त संसाधनों के आधार पर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय से भी हर विषय में कम से कम दो शिक्षक भेजने का आग्रह किया गया है। यहां अंग्रेजी, गणित व बॉटनी में एक भी शिक्षक नहीं हैं। कुल 68 पद के विरुद्ध फिलवक्त यहां मात्र 21 शिक्षक ही हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत शिक्षकों की कमी से होने वाली परेशानी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां लैब व अन्य सुविधाएं भी ठीक-ठाक हैं।
सवाल : कॉलेज में पढ़ाई के अलावा अन्य रचनात्मक गतिविधियों के संचालन की क्या व्यवस्था है?
विरेंद्र प्रसाद, सासाराम
जवाब : यहां पढ़ाई के लिए कई रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। समय-समय पर सेमिनार का आयोजन होता है। एनएसएस की दो इकाई यहां छात्रों को रचनात्मक कार्यक्रमों से जोड़ रही हैं। एनसीसी की दो कंपनी यहां चल रही हैं। जिसके माध्यम से चयनित छात्र राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में 26 जनवरी को आयोजित होने वाले परेड में लगभग हर साल भाग लेते हैं। इसके अलावा अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब भी उपलब्ध है।
सवाल : मैंने स्नातक किया है। आजकल समाज में सोशल मीडिया की उपयोगिता बढ़ गई है। इसके प्रति मेरी भी रुचि है। क्या इस क्षेत्र में कोई स्कोप है?
दिनेश कुमार, फजलगंज, सासाराम
जवाब : धीरे-धीरे सोशल मीडिया बिजनेस का भी बड़ा हिस्सा बनता जा रहा है। ऐसे में अधिकतर कंपनियां सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहती हैं। इसके लिए ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्क की समझ जरूरी है। इसके अलावा अगर आपमें लोगों को सिखाने की इच्छा है, तो यह काम आपके लिए अच्छा साबित हो सकता है।
सवाल : मैंने मैट्रिक पास किया है। इंटर में नामांकन कराना चाहता हूं। किस क्षेत्र में जाना ठीक रहेगा। क्या प्रक्रिया है?
दीपक कुमार, सासाराम
जवाब : 10 वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर ही स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए। आगे की पढ़ाई के लिए अपनी रुचि को भी ध्यान में रखना चाहिए। इंटर में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन देने की व्यवस्था है।
सवाल : कॉलेजों में पढ़ाई के प्रति छात्रों की रुचि कम हो रही है। वे को¨चग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसका क्या कारण है?
संजय कुमार, कंपनी सराय
जवाब : कॉलेजों में पढ़ाई के प्रति रुचि कम होना आत्मघाती हो सकता है। को¨चग सिर्फ परीक्षा की तैयारी के लिए है। समग्र शिक्षा क्लास की पढ़ाई से ही मिल सकती है। इसके लिए कॉलेजों में पढ़ाई के लिए 180 दिन क्लास चलाने पर दृढ़ता से निर्णय लेना होगा। 75 फीसद उपस्थिति के नियम भी सख्ती से अनुपालन करने की जरूरत है। लेकिन जो सबसे जरूरी पहलू है, वह है जागरूकता। अभिभावक जितना ध्यान बच्चों के ड्रेस पर देते हैं, उतना उनकी किताबों पर नहीं देते।
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इनके अलावा नोखा से चंद्रमा प्रसाद, सुरेश कुमार, करगहर से विनोद ¨सह, विजय प्रसाद, शिवसागर से चंद्रमाधव प्रसाद, दिनेश कुमार, तिलौथू से शंकर प्रसाद, डेहरी से कामख्या प्रसाद, कोचस से विरेंद्र प्रसाद, उषा ¨सह, बिक्रमगंज से बलदेव कुमार सहित अन्य ने भी प्रश्न पूछे।
शिक्षा निजी व पेशेवर जीवन में सफलता की इकलौती कुंजी है, जो हमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। लेकिन ¨जदगी की सीख केवल किताबों में ही नहीं मिलती। इसीलिए कॉलेजों में भी शिक्षा के साथ-साथ रचनात्मक कार्यों पर बल दिया जा रहा है। परंपरानुसार चल रहे सामान्य विषयों के अलावा खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां व व्यावसायिक तथा रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में कॉलेज की पढ़ाई किसी के भी कॅरियर में एक अहम स्थान रखती है। छात्र पढ़ाई के साथ-साथ कुछ ऐसा पार्ट टाइम जॉब भी कर सकते हैं, जिससे उन्हें काम का अनुभव भी मिलेगा और भविष्य में उनके कॅरियर ग्रोथ के लिए भी सहायक साबित होगा। उक्त बातें एसपी जैन कॉलेज सासाराम के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) गुरुचरण ¨सह ने दैनिक जागरण के स्थानीय रौजा रोड कार्यालय में आयोजित प्रश्न पहर कार्यक्रम में कही। प्रस्तुत है पाठकों के सवाल व डॉ. ¨सह के जवाब।
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सवाल : आज छात्रों का रुझान तकनीकी शिक्षा की ओर ज्यादा है। कला के क्षेत्र में स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों का क्या भविष्य है?
जगदेव प्रसाद, सासाराम
जवाब : वास्तव में कहा जाए तो कला के क्षेत्र में उम्मीद का दरवाजा स्नातक के बाद ही खुलता है। आज कल कला संकाय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में बैठने की योग्यता मिल जाती है। कला के क्षेत्र से भी कई छात्र-छात्राएं यूपीएससी, बीपीएससी, रेलवे, बैंक, पुलिस सेवा आदि में सफलता प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।
सवाल : एसपी जैन कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर किस तरह का है। छात्रों की बेहतर शिक्षा के लिए यहां अन्य कॉलेजों से क्या अलग है?
प्रभात कुमार, चेनारी
जवाब : एसपी जैन कॉलेज इस जिले का सबसे पुराना महाविद्यालय है। हमारे यहां ¨हदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास, गणित, रसायनशास्त्र, बॉटनी व प्राणी विज्ञान में स्नातकोतर स्तर तक की पढ़ाई होती है। इसके अलावा अन्य व्यावसायिक कोर्सों व एनसीसी का यूनिट भी यहां है। यहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद व अन्य गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाता है।
सवाल : सरकार व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दे रही है। ऐसे में यहां किसी व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई नहीं हो रही है। इसके लिए क्या भविष्य में कोई योजना है?
चंचल कुमार, सासाराम
जवाब : यहां कई व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई चल रही है। जिसमें बीसीए, बीबीए, बायोटेक, बीएड व इग्नू के माध्यम से दुरस्थ शिक्षा की व्यवस्था है। इग्नू के माध्यम से नौकरीपेशा लोग भी मनचाहा विषयों की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
सवाल : कॉलेज में छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है। ऐसे में छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए क्या योजना है?
आशा कुमारी, तिलौथू
जवाब : यह सही बात है कि यहां कई विषयों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन प्राप्त संसाधनों के आधार पर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय से भी हर विषय में कम से कम दो शिक्षक भेजने का आग्रह किया गया है। यहां अंग्रेजी, गणित व बॉटनी में एक भी शिक्षक नहीं हैं। कुल 68 पद के विरुद्ध फिलवक्त यहां मात्र 21 शिक्षक ही हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत शिक्षकों की कमी से होने वाली परेशानी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां लैब व अन्य सुविधाएं भी ठीक-ठाक हैं।
सवाल : कॉलेज में पढ़ाई के अलावा अन्य रचनात्मक गतिविधियों के संचालन की क्या व्यवस्था है?
विरेंद्र प्रसाद, सासाराम
जवाब : यहां पढ़ाई के लिए कई रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। समय-समय पर सेमिनार का आयोजन होता है। एनएसएस की दो इकाई यहां छात्रों को रचनात्मक कार्यक्रमों से जोड़ रही हैं। एनसीसी की दो कंपनी यहां चल रही हैं। जिसके माध्यम से चयनित छात्र राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में 26 जनवरी को आयोजित होने वाले परेड में लगभग हर साल भाग लेते हैं। इसके अलावा अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब भी उपलब्ध है।
सवाल : मैंने स्नातक किया है। आजकल समाज में सोशल मीडिया की उपयोगिता बढ़ गई है। इसके प्रति मेरी भी रुचि है। क्या इस क्षेत्र में कोई स्कोप है?
दिनेश कुमार, फजलगंज, सासाराम
जवाब : धीरे-धीरे सोशल मीडिया बिजनेस का भी बड़ा हिस्सा बनता जा रहा है। ऐसे में अधिकतर कंपनियां सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहती हैं। इसके लिए ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्क की समझ जरूरी है। इसके अलावा अगर आपमें लोगों को सिखाने की इच्छा है, तो यह काम आपके लिए अच्छा साबित हो सकता है।
सवाल : मैंने मैट्रिक पास किया है। इंटर में नामांकन कराना चाहता हूं। किस क्षेत्र में जाना ठीक रहेगा। क्या प्रक्रिया है?
दीपक कुमार, सासाराम
जवाब : 10 वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर ही स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए। आगे की पढ़ाई के लिए अपनी रुचि को भी ध्यान में रखना चाहिए। इंटर में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन देने की व्यवस्था है।
सवाल : कॉलेजों में पढ़ाई के प्रति छात्रों की रुचि कम हो रही है। वे को¨चग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसका क्या कारण है?
संजय कुमार, कंपनी सराय
जवाब : कॉलेजों में पढ़ाई के प्रति रुचि कम होना आत्मघाती हो सकता है। को¨चग सिर्फ परीक्षा की तैयारी के लिए है। समग्र शिक्षा क्लास की पढ़ाई से ही मिल सकती है। इसके लिए कॉलेजों में पढ़ाई के लिए 180 दिन क्लास चलाने पर दृढ़ता से निर्णय लेना होगा। 75 फीसद उपस्थिति के नियम भी सख्ती से अनुपालन करने की जरूरत है। लेकिन जो सबसे जरूरी पहलू है, वह है जागरूकता। अभिभावक जितना ध्यान बच्चों के ड्रेस पर देते हैं, उतना उनकी किताबों पर नहीं देते।
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इनके अलावा नोखा से चंद्रमा प्रसाद, सुरेश कुमार, करगहर से विनोद ¨सह, विजय प्रसाद, शिवसागर से चंद्रमाधव प्रसाद, दिनेश कुमार, तिलौथू से शंकर प्रसाद, डेहरी से कामख्या प्रसाद, कोचस से विरेंद्र प्रसाद, उषा ¨सह, बिक्रमगंज से बलदेव कुमार सहित अन्य ने भी प्रश्न पूछे।