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बिहार के मुख्यमंत्री के कुकृत्य : नही पता आपका गति रावण के जैसा होगा या कंश के जैसा

बिहार के मुख्यमंत्री को मेरा नमस्कार
उस मुख्यमंत्री को नमस्कार जो बात तो न्याय के साथ विकास का करता है लेकिन अन्याय के मामले मे रावण और कंश को भी पछाड़ देता है । मै इनके कुकृत्य को बताता हूॅ ।
1- tet शिक्षक को नियोजित के रूप मे बहाल करना । इनका कहना है कि हम स्थानीय सरकार के कर्मचारी के रूप मे बहाल है । तो नीतीश बाबु कौन से किताब मे लिखा है कि स्थानीय सरकार के कर्मी को कम वेतन देना है ? जब राज्य कर्मी को केन्द्र कर्मी के अनुरूप वेतन मिलता है तो स्थानीय निकाय के कर्मी को क्यो नही? और यहा पर आप article 28 , 29 , 14 , 15 और 16 की हत्या करते नजर आते है ?
2- आपके शासन मे कोई ऐसी परीक्षा नही जो साफ सुथरा रहा हो । चाहे bssc द्वारा आयोजित je , graduate level या फिर inter level का परीक्षा हो । यहा भी आपने मेधा का गला घोटा ।
स्पष्ट है न आपका वास्ता न्याय से है न कानून से । न आपकी कोई नैतिकता है न सिद्धांत बस बिना पेंदी के लोटा है । लेकिन याद रखिये अन्याय करने का अंतिम अंजाम वही होता है जो रावण और कंश का हूआ था । उसे भी आपके तरह घमंड था वो खुद को ईश्वर समझने की भूल कर बैठा था वह अपने शब्द को न्याय मानता था । आप भी वही कर रहे है मुझे नही पता आपका गति रावण के जैसा होगा या कंश के जैसा । लेकिन ईश्वर से मेरी प्रार्थना होगी कि आपको सद्बुद्धि प्रदान करे ।
बिहार का एक आहत निवासी
कुणाल रंजन

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