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पीयू में शिक्षकों का प्रमोशन बना परेशानी

पटनाविश्वविद्यालय में पिछले दिनों 32 शिक्षकों को प्रोन्नति मिली, लेकिन यह प्रोन्नति कई शिक्षकों के लिए फांस बन गई है। डॉ. वाईसी सिम्हाद्रि ने इस प्रोन्नति को मंजूरी दी, जिसे बाद में सिंडिकेट ने अप्रूव भी कर दिया। लेकिन इस प्रोन्नति की प्रक्रिया पर शिक्षकों ने ही सवाल खड़े किए हैं।
शिक्षकों का कहना है कि प्रोन्नति में जो प्रक्रिया अपनाई गई है, वह गलत है। इसके साथ परेशानी उन शिक्षकों को भी है जो प्रोन्नति के लिए योग्य होने के बावजूद प्रोन्नति पा नहीं सके। वहीं कई शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्हें जो प्रमोशन 2003 में मिलना चाहिए था, वो दिसंबर 2016 या जनवरी 2017 की डेट से मिला है। यानी उनके 14 साल के अनुभव को पीयू प्रशासन ने दरकिनार कर दिया।

प्रोन्नतिमिलने से कई शिक्षक कुलपति-प्रतिकुलपति की रेस से बाहर :पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों को इस बार दी गई प्रोन्नति ने कई उन शिक्षकों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है, जो भविष्य में कुलपति या प्रतिकुलपति पद के लिए आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। बिहार में नौ विश्वविद्यालयों के कुलपति-प्रतिकुलपति के लिए जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें दोनों पदों के लिए 10 साल प्रोफेसर के तौर पर काम करना अनिवार्य योग्यता रखी गई है। जबकि पीयू में जिन शिक्षकों को अभी प्रोन्नति मिली है, उसके तहत कई शिक्षक ऐसे हैं जो प्रोफेसर पद पर 10 वर्ष का अनुभव लिए बिना रिटायर हो जाएंगे। इस संबंध में कुलपति डॉ. सुधीर कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात कर प्रोन्नति विसंगति को समाप्त करने की मांग करने वाले पूटा के पूर्व महासचिव प्रो. रणधीर कुमार सिंह ने बताया कि इस बार पीयू में गलत परंपरा की शुरुआत की गई है। पिक एंड चूज के आधार पर प्रोन्नति दी गई है लेकिन उसमें भी गलती है। प्रोमोशन ड्यू डेट पर ही मिलना चाहिए।

अटकतीरही है प्रक्रिया

पटनाविवि में प्रोन्नति की प्रक्रिया लगातार लटकती ही रही है। वर्षों से लटकी प्रोन्नति प्रक्रिया को तत्कालीन कुलपति डॉ. अरुण कुमार सिन्हा ने 2013 में निपटाने का प्रयास किया। लेकिन कोर्ट ने प्रोन्नतियों को रद्द कर दिया। इसके बाद जब जनवरी 2014 में डॉ. वाईसी सिम्हाद्रि ने पद संभाला तो लगा कि प्रोन्नति प्रक्रिया तुरंत पूरी कर ली जाएगी। डॉ. सिम्हाद्रि ने मार्च 2014 में ही प्रोन्नति के लिए आवेदन मांगा। लेकिन आवेदन के बाद भी प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। 2016 में प्रक्रिया शुरू हुई और 30 जनवरी को कुलपति ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन सिंडिकेट से अप्रूव कराया।

{ वर्ष 1987 में नियुक्त हुए लगभग डेढ़ दर्जन शिक्षकों को वर्ष 2003 में प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति मिल जानी चाहिए थी।

{ वर्ष 1992 में नियुक्त हुए दर्जनभर शिक्षक 2006 में प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए योग्य हो गए थे।

{ वर्ष 1996 में नियुक्त हुए कुल 48 शिक्षकों को 2013 में में प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति मिल जानी चाहिए थी।

{ वर्ष 2003 में नियुक्त हुए 93 शिक्षक 2007 में सीनियर स्केल लेक्चरर और 2015 में रीडर पद पर प्रोन्नति के लिए योग्य हो गए। लेकिन इनमें से कई शिक्षकों को अब तक यह प्रोन्नति नहीं दी गई है।

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