मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने पिछले वर्ष ही इन कमियों को पूरा करने का सख्त निर्देश दिया था.
पटना : राज्य के दो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिना शिक्षक और बेड
टीचिंग के ही मेडिकल की पढ़ाई चल रही है.
- एक सप्ताह के अंदर नियोजित शिक्षकों के सेवाशर्त को लागू कर दिया जायेगा
- Photo : समान काम समान वेतनमान पाने के लिए शिक्षको का हो गया संघर्ष की शंखनाद
- टेट-एसटेट उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ की एकसूत्री मांग
- आम शिक्षक चौपाल मांग- समान वेतनमान व् समान सेवा शर्तएक मात्र उद्देश्य
- अब बस या तो सहायक शिक्षक का दर्जा या हडताल एवं अनिश्चितकालीन तालाबंदी
- क्यों न हो हर कक्षा से पहले मास्टर जी की हाजिरी
ऐसे में एक तो शिक्षक नहीं ऊपर से बिना मरीज के ही चार बैच की पढ़ाई
चल रही है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने पिछले वर्ष ही इन कमियों को पूरा
करने का सख्त निर्देश दिया था. साल भर बीत गये शैक्षणिक पदों पर फैकल्टी की
नियुक्ति नहीं हुई. राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल, बेतिया और वर्धमान
आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर नामांकन
शैक्षणिक सत्र 2013 से आरंभ हुआ था.
शैक्षणिक सत्र 2016 में विद्यार्थियों के नामांकन को लेकर मेडिकल
काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान इन दोनों
मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में अन्य कमियों के साथ शिक्षकों की कमी को दूर
करने के लिए सरकार को निर्देश दिया गया था. अब शैक्षणिक सत्र 2017 में
विद्यार्थियों के नामांकन जुलाई में होगा पर अभी तक इन कमियों को दूर नहीं
की जा सकी है. निरीक्षण के दौरान पाया गया था कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज
अस्पताल, बेतिया में शैक्षणिक पदों में 38.54 फीसदी कमी है. इसके अलावा
रेजिडेंट के पदों पर 10.17 फीसदी कमी है.
जिन पदों पर फैकल्टी की कमी बतायी गयी थी उसमें प्रोफेसर के नौ पद,
एसोसिएट प्रोफेसर के 15 पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के नौ पद, ट्यूटर के चार
पद, सीनियर रेसिडेंट के चार पद और जूनियर रेसिडेंट के दो पद शामिल हैं.
शिक्षकों की कमी क्लिनिकल और नन क्लिनिकल दोनों क्षेत्रों में है. फॉरेंसिक
मेडिसिन में एक प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट
प्रोफेसर, तीन सीनियर रेसिडेंट और एक जूनियर रेसिडेंट के पद रिक्त थे. शिशु
रोग विभाग में प्रोफेसर का एक पद रिक्त था. मनोरोग विभाग में एसोसिएट और
असिस्टेंट प्रोफेसर का पद रिक्त था.
सर्जरी विभाग में एसोसिएट, हड्डी रोग में एसोसिएट और असिस्टेंट
प्रोफेसर का पद , महिला एवं प्रसूति विभाग में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर
के पद, एनेस्थेसिया में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर
के पद रिक्त पाये गये थे. इस मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों के प्रशिक्षण
के लिए टीचिंग बेड का भी अभाव था जहां पर शिक्षक विद्यार्थियों को मरीजों
की बीमारियों के बारे में प्रशिक्षण देते हैं.
कुल 56 शैक्षणिक बेड की कमी एमसीआइ की टीम ने बताया था. कॉलेज के
प्राचार्य डॉ (प्रो) राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि एमसीआइ ने जिन कमियों
को बताया था उसे दूर करने के लिए त्वरित कार्रवाई की जा रही है.
विद्यार्थियों के प्रशिक्षण में किसी तरह की कमी नहीं रहने दी जा रही है.
इसी तरह से वर्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान,पावापुरी में कुल 31.25
फीसदी फैकल्टी की कमी पायी गयी थी. इस कॉलेज में रेसिडेंट के 24.42 फीसदी
कमी थी. यहां पर 380 टीचिंग बेड में 80 बेड की कमी पायी गयी थी. सच तो यह
है कि इस मेडिकल कॉलेज में मरीजों की भर्ती ही नहीं हो रही है. इस संस्थान
में आइसीयू, आइसीसीयू, एनआसीयू, एसआइसीयू नहीं है. लाइब्रेरी में 4000
पुस्तकों की जगह महज 2200 पुस्तकें उपलब्ध थी. यहां 198 नर्सों की जगह पर
54 नर्स ही उपलब्ध थी.
पावापुरी में बायोकेमिस्ट्री में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर,
फार्माकोलाजी में प्रोफेसर, पैथोलाजी में ट्यूटर, माइक्रोबायोलाजी में
एसोसिएट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट
प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट
प्रोफेसर, टीबी-चेस्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कीन वीडी में एसोसिएट
प्रोफेसर, मनोरोग में एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जरी में एसोसिएट प्रोफेसर,
हड्डी रोग में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है.
इसी तरह की कमी इएनटी, नेत्र रोग, महिला एवं प्रसूति विभाग,
एनेस्थेसिया, रेडियोलॉजी और डेंटिस्ट्री विभाग में है. कॉलेज के प्राचार्य
डॉ (प्रो) जेके दास ने बताया कि अस्पताल में बिजली की आपूर्ति नियमित रखने
के लिए 33 केबीए के लाइन से जोड़ा जा रहा है. इसके बाद अस्पताल में मरीजों
की भर्ती करने का काम जल्द शुरू हो जायेगा. एमसीआइ की कमियों को दूर करने
के लिए त्वरित कार्रवाई की जा रही है.
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