"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूँ पाँय |
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय||
गुरु और भगवान दोनों आकर खड़े हो जाएँ तो पहले किसके चरण स्पर्श करें? पहले का समय कुछ और भी हो, पर आधुनिक शिक्षकों को देखकर यह प्रश्न यक्ष प्रश्न लग सकता है. लेकिन आज हम जिस गुरु की चर्चा करने जा रहे हैं उनको देखकर गुरु के चरण-स्पर्श करना ही श्रेष्ठतर है, क्योंकि ऐसे गुरु ही भगवान का रूप होते हैं.
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय||
गुरु और भगवान दोनों आकर खड़े हो जाएँ तो पहले किसके चरण स्पर्श करें? पहले का समय कुछ और भी हो, पर आधुनिक शिक्षकों को देखकर यह प्रश्न यक्ष प्रश्न लग सकता है. लेकिन आज हम जिस गुरु की चर्चा करने जा रहे हैं उनको देखकर गुरु के चरण-स्पर्श करना ही श्रेष्ठतर है, क्योंकि ऐसे गुरु ही भगवान का रूप होते हैं.