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सत्य नारायण झा: उम्दा शिक्षक, सर्वोच्च पुरस्कार: राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने से पहले मधेपुरा जिले में जश्न का माहौल

"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूँ पाँय |
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय||

गुरु और भगवान दोनों आकर खड़े हो जाएँ तो पहले किसके चरण स्पर्श करें? पहले का समय कुछ और भी हो, पर आधुनिक शिक्षकों को देखकर यह प्रश्न यक्ष प्रश्न लग सकता है. लेकिन आज हम जिस गुरु की चर्चा करने जा रहे हैं उनको देखकर गुरु के चरण-स्पर्श करना ही श्रेष्ठतर है, क्योंकि ऐसे गुरु ही भगवान का रूप होते हैं.मधेपुरा जिले ने हाल के इतिहास में ऐसा गुरु नहीं देखा था. एक तरफ जहाँ जिले की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में भिड़े कई प्राइमरी स्कूल से लेकर कॉलेज शिक्षकों ने शिक्षण के नाम पर तमाशा किया है वहीं मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के पारसमणि उच्च विद्यालय से गत 31 मार्च को हेडमास्टर के पद से रिटायर किये शिक्षक सत्यनारायण झा का पूरा जीवन ही प्रेरणादायक है. शायद यही वजह है कि इनके काम और समर्पण को अब भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने भी सराहा है और इसी 05 सितम्बर को शिक्षक दिवस पर सत्यनारायण झा भारत में किसी भी शिक्षक को दिया जाने वाले सर्वोच्च सम्मान 'राष्ट्रपति पुरस्कार' से नवाजे जायेंगे.
    जाहिर है ये सिर्फ मधेपुरा ही नहीं बल्कि कोसी समेत पूरे सूबे के लिए गर्व करने का अवसर है. अब जब 
सत्यनारायण झा राष्ट्रपति पुरस्कार पाने के लिए जा रहे हैं तो अपने साथ अपने गुरु रामशरण भगत को भी ले जा रहे हैं ताकि एन वक्त से पहले अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त कर सबसे बड़े सम्मान का हकदार उन्हें भी बना सकें. दिल्ली जाने से पूर्व आज पारसमणि उच्च विद्यालय, बभनी में इन्हें सम्मानित करने के लिए सैंकड़ों ग्रामीणों, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की भीड़ जमी थी.  मौके पर गाँव में बैंड बाजे पर लोग ख़ुशी से झूम रहे थे. जहाँ ऐसे शिक्षक पर प्रखंड गर्व कर रहा था वहीँ कई आँखें नम भी दिखीं.

क्या है शिक्षक सत्यनारायण झा में ख़ास बात?: शिक्षक सत्यनारायण झा में कई बातें ऐसी हैं जो हमें इन्हें जिले के किसी भी शिक्षक से अलग स्थान देने पर विवश करता है. ये न सिर्फ एक उम्दा शिक्षक हैं बल्कि एक उम्दा समाजसेवी भी. गम्हरिया प्रखंड के पारसमणि उच्च विद्यालय, बभनी के प्रधानाध्यापक के रूप में सत्य नारायण झा ने वर्ष 2009 में प्रभार ग्रहण किया था. तब से अब तक श्री झा को कई बार सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2011 में इन्हें स्कूल की बेहतर व्यवस्था आदि के लिए मधेपुरा के तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने सम्मानित किया
 था और वर्ष 2012 में ‘हिन्दुस्तान’ समाचारपत्र द्वारा इन्हें पूरे बिहार के लिए अव्वल शिक्षक के रूप में चुना गया. वर्ष 2013 में शिक्षक दिवस पर पुन: जिला प्रशासन द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया तो उसी वर्ष गन्हारिया एवं सिंहेश्वर प्रखंड के दलित एवं महादलित प्रकोष्ठ के द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया गया. वर्ष 2014 में श्री झा को बिहार सरकार से राजकीय सम्मान मिला तो इस वर्ष इनका नाम राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया और इनके कार्यों से प्रभावित होकर राष्ट्रपति भवन से इन्हें अब राष्ट्रपति पुरस्कार पाने के लिए बुलावा आ चुका है.
       शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाले शिक्षक सत्य नारायण झा का नाम एक समाजसेवी के रूप में गम्हरिया प्रखंड में लोकप्रिय है. बताते हैं कि पत्नी के स्वर्गवास हो जाने के बाद श्री झा ने उनके नाम से बभनी गाँव में ही ‘रेणु बाल सुधार केन्द्र’ की स्थापना की और इसने गरीब और दलित बच्चों को मुफ्त सेवा देनी शुरू की. यही नहीं इलाके के लोगों के लिए इन्होने अपनी ओर से चार पहिया वाहन को एम्बुलेंस के रूप में दे दिया है.
    जाहिर सी बात है, जिस जिले में शिक्षक छात्रों की पढ़ाई से अधिक वेतन और ट्यूशन पढ़ाकर अधिक से अधिक रूपये कमाने की चाहत रखते हों, वहां यदि छात्र-छात्रा सत्य नारायण झा को भगवान जैसा मानते हों तो इसमें कहीं से हर्ज नहीं है.

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