मुजफ्फरपुर, जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न कालेजों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। पहले चरण में 392 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इसके बाद भी विवि में शिक्षकों के 662 पद खाली हैं। इन्हें भरने के लिए विवि की ओर से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। कुलसचिव प्रो.रामकृष्ण ठाकुर ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से 20 दिसंबर तक आवेदन लिया जाना है। अबतक करीब तीन हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया है। बताया कि आवेदन की तिथि को विस्तारित नहीं किया जाएगा।
अगले महीने तक नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। बताया कि इसबार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। स्क्रूटनी की प्रक्रिया के दौरान प्रमाणपत्रों की गहनता से जांच की जाएगी। वर्तमान में अन्य जगह सेवा देने वाले अभ्यर्थियों की यदि नियुक्ति होती है तो वहां से त्यागपत्र देना होगा। यदि अभ्यर्थी इस तथ्य को छुपाते हैं और नियुक्ति के बाद दोहरा भुगतान का मामला आता है तो आरोपी अभ्यर्थी पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
कई प्रमुख कालेजों में भी शिक्षकों का टोटा
विश्वविद्यालय के कई प्रमुख कालेजों में भी शिक्षकों का टोटा है। खासकर साइंस संकाय में शिक्षकों की कमी के कारण कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रमुख कालेजों में भी साइंस के शिक्षक नहीं हैं। विवि मुख्यालय के कालेजों में भी शिक्षकों की कमी है। सीतामढ़ी के आरएसएस साइंस कालेज में साइंस संकाय के एक भी शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई भगवान भरोसे हो रही है। एक ओर सरकार प्रायोगिक कक्षाओं के संचालन पर जोर दे रही है। दूसरी ओर बिना शिक्षक के ही विद्यार्थी पढ़ रहे और परीक्षाएं भी हो रहीं।
आफलाइन मोड में परीक्षा का फर्जी पत्र वायरल
मुजफ्फरपुर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नाम से विवि की परीक्षाओं के आफलाइन मोड में संचालन करने को लेकर एक फर्जी पत्र वायरल हो रहा है। इस पत्र का यूजीसी ने खंडन किया है। कहा गया है कि साइबर बदमाशों ने यूजीसी के सचिव के नाम से एक पत्र जारी किया। इसमें जिक्र किया गया कि कोरोना को देखते हुए विवि और कालेजों में परीक्षाएं आफलाइन मोड में होंगी। इसके लिए होम सेंटर बनाए जाएंगे। यूजीसी की ओर से कहा गया कि अबतक इस प्रकार का कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। यूजीसी ने विद्यार्थियों से आग्रह किया है कि वे आधिकारिक वेबसाइट से जारी पत्र को ही मानें।