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यहां 9287 छात्र-छात्राओं के लिए महज 32 शिक्षक, 18 विषयों को पढ़ाने की चुनौती

 कटिहार। यहां अलग-अलग वर्ग व विषयों में कुल 9287 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। कुल 18 विषयों की पढ़ाई की यहां व्यवस्था है। इसके लिए महज यहां 32 शिक्षक कार्यरत हैं। पूर्व में तय मानदंड के अनुसार भी फिलहाल 30

शिक्षकों की कमी है। यह हाल शहर स्थित केबी झा महाविद्यालय का है। इस स्थिति के कारण यहां पठन-पाठन के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती है। नामांकित छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पूरी तरह निजी कोचिग सेंटर पर निर्भर है। तीन विषयों के यहां एक भी शिक्षक नहीं है। यद्यपि आदेशपाल की संख्या यहां लगभग शिक्षक के बराबर ही है। वर्तमान में 28 आदेशपाल यहां कार्यरत है। लिपिक की कुल 32 स्वीकृत पद के बदले पांच कार्यरत हैं।

कामन रुम में बैठने की नहीं है व्यवस्था:

छात्राओं के लिए बनाए गए कॉमन रूम बस हाथी दांत के समान है। कॉमन में शौचालय व नल की व्यवस्था तो है, परंतु छात्राओं के लिए बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। इस कारण छात्राएं इसका उपयोग नहीं के बराबर करती है।

पुस्तकालय का नहीं हो पाता है उपयोग

महाविद्यालय में कहने को दो पुस्तकालय है मगर पुस्तकालय का समुचित लाभ छात्रों को नहीं मिल पाता है। इस पुस्तकालय में बीस हजार पुस्तक हैं।इसके बावजूद छात्र पुस्तकालय में बैठकर पढ़ाई नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यहां बैठने का जगह ही नहीं है।

पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास में लटका रहता है ताला:

महाविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास तो है लेकिन यहां भी हमेशा ताला ताला लटका रहता है। छात्रावास भवन भूत बंगला में तब्दील होता जा रहा है। कई कारणों से छात्रों द्वारा इसमें आवासन को लेकर रुचित नहीं ली जाती है। कालेज प्रशासन भी इस बाबत उदासीन बना हुआ है।

ग‌र्ल्स हास्टल का भी शुरु नहीं हुआ संचालन:

परिसर में ग‌र्ल्स हास्टल भी बना है लेकिन इसका संचालन अब तक आरंभ नहीं हो पाया है। यह छात्रावास खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। इस मामले में भी आज तक कोई पहल नहीं हो पाई है।

कट्रोल रूम की स्थिति बदतर

कंट्रोल रूम की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। यहां कागजों की भरमार तो हैं पर सही तरह से रखरखाव नहीं होने से बर्बाद हो रहा है। यहां कार्यरत कर्मी यहां की व्यवस्था के प्रति पूरी तरह उदासीन बने हुए हैं।

वाणिज्य विभाग व रसीद काउंटर का हाल बेहाल:

परिसर में बना वाणिज्य विभाग का कार्यालय पूरी तरह जर्जर हो चुका है। यहां कर्मी अन्य जगहों पर बैठकर काम का निष्पादन करते हैं। रसीद काउंटर भवन भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है। छात्रों को रसीद कटवाने में भी काफी परेशानी होती है।

अधिकांश शौचालय में जड़ा रहता है ताला

परिसर में बीस शौचालय है पर साफ सफाई का घोर अभाव है। अधिकांश शौचालय में ताला जाड़ा रहता हैं। चापाकल दो है और दोनों चापाकल से आयरयुकत् पानी निकलता हैं। इस चापाकल का पानी पीने से भी छात्र परहेज करते हैं। शुद्ध पेयजल के लिए लगा संयंत्र काम नहीं कर रहा है।

परीक्षा हॉल में लटका रहता है ताला

परीक्षा हॉल तो परीक्षार्थियों के लिए बनाया गया है, लेकिन यह अनुपयोगी बना हुआ है। यहां भी ताला जड़ा रहता है। इंडोर स्टेडियम में परीक्षा का आयोजन किया जाता हैं। परिसर में कहने को दो जेनसेट भी लगा है, लेकिन यह आज तक चालू भी नहीं हुआ है।

खेल कैलेंडर का नहीं होता पालन:

खेल कैलेंडर का अनुपालन पूर्णिया विश्वविद्यालयों के निर्देशानुसार होता है, लेकिन छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। लाखों रूपये से खरीदे गए जिम के सामान रखरखाव के कारण बर्बाद हो रहे हैं।

अधूरा पड़ा है स्वीमिग पुल

पांच वर्ष पूर्व लाखों की लागत से छात्र छात्राओं के लिए बना स्वीमिग पुल अधूरा पड़ा है। निर्माणाधीन स्वीमिग पुल में कचरों का अंबार लगा हुआ है। भाषा साहित्य में रखे 80 लेपटॉप बेकार पड़े हुए हैं। क्लास रूम की स्थिति भी अच्छी नहीं हैं। यहां भी रंग रोगन व रिपेरिग की आवश्यकता हैं। दिव्यांग प्रसाधन केंद्र में ताला जड़ा रहता है। क्या कहते हैं प्राचार्य:

कालेज के प्राचार्य डॉ. रविशंकर मिश्रा ने बताया कि शिक्षकों की कमी है। इसके लिए विवि को पत्र लिखकर अवगत कराया जाता है। शिक्षकों की कमी से पठन पाठन पर असर पड़ता है। उपलब्ध संसाधन से बेहतर कालेज संचालन की कोशिश की जा रही है। कालेज के विकास को लेकर अपेक्षित पहल की जा रही है।

क्या कहते हैं शिक्षक:

कालेज के शिक्षक पशुपति झा ने कहा कि सबसे पहले कॉलेज में शिक्षकों की कमी को दूर करने की जरूरत है। शिक्षकों की कमी दूर होने से वर्ग संचालन सही ढंग से हो पाएगा। पठन-पाठन किसी भी कालेज का मूल होता है। इससे अन्य विकास की राह भी खुद तय हो जाती है। 

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