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बिहार : पांच साल से नहीं मिली पगार, गला काट कर लिखा ‘भ्रष्टाचार मुर्दाबाद’

बिहार के सीतामढ़ी शिक्षा विभाग में तैनात एक शिक्षक ने पिछले पांच वर्षों से वेतन ना मिलने के कारण आत्महत्या करने की कोशिश की। संजीव कुमार नाम के शिक्षक ने अपना हाथ काट लिया और फिर खून से भ्रष्टाचार मुर्दाबाद लिखा। इसके बाद उसने अपना गला काट लिया। बेहोश हो चुके शिक्षक को स्थानीय
अस्पताल ले जाया गया। उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया।
संजीव कुमार का एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में इलाज चल रहा है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 2013 में पंचायत स्तर पर बरियापुर के लापत्ती टोला स्थित एक स्कूल में एक शिक्षक के रूप में छात्रों को पढ़ाना शुरू किया था। उन्हें 2013 से वेतन मिलना शुरू हुआ। पर 2015 से उन्हें पगार मिलना बंद हो गया। वह अपना वेतन देने के लिए वर्षों तक विभागीय कार्यालय में भटकता रहा। शनिवार को वे एक बार शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंचे। जहां उन्हें पैसे मिलने की उम्मीद नहीं दिखी। इससे वे तनावग्रस्त हो गए और वापस अपने रास्ते में हवाई अड्डे के मैदान में अपने गले और बाईं हाथ की नसों को काट दिया। उन्होंने दीवार पर अपने खून में लिखा, “भ्रष्टाचार मुर्दाबाद” और प्रशासन के समक्ष अपनी नाराजगी व्यक्त की।
दूसरी ओर नस काटकर पगार ना मिलने के कारण आत्महत्या करने की कोशिश से जिले के शिक्षकों में गुस्सा बढ़ा दिया है। इससे नाखुश शिक्षक शिक्षा विभाग कार्यालय पहुंचे और 3 घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया। बाद में शिक्षक संघ के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और धरना पर बैठ गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीपीओ शैलेंद्र कुमार ने बैंक को संजीव कुमार को 2.5 लाख रुपये देने का आदेश भेजा।
शिक्षक के इस कदम को लेकर सोशल मीडिया पर भी नाराजगी है। एक यूजर ने लिखा कि संजीव कुमार को 2015 से वेतन नहीं मिल रहा है। उसने आत्महत्या का प्रयास किया और देश की व्यवस्था पर तमंचा लगा दिया।

एक अन्य यूजर ने लिखा कि लोग अपना दुःख देखकर रोते हैं, लेकिन जब आपको दूसरों का दुःख दिखता है, तो अपना दुःख छोटा लगने लगता है। कहा जाता है कि कमजोर लोग आत्महत्या करते हैं, लेकिन वे कमजोर क्यों हो जाते हैं? यह किसी के लिए कोई मायने नहीं रखता कि वे क्या जानना चाहते हैं! कौन जानता है कि खुद की जान लेने वाला ना जाने कितनें मौतें मरा होगा। 

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