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परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के आरोप : शिक्षा विभाग के अधिकारी वेतन रोक कर इसके लिए मजबूर करते हैं

हमें धरना देने का शौक नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारी वेतन रोक कर इसके लिए मजबूर करते हैं। बार-बार पत्राचार कर अपनी मांगें रखने, शिकायत दर्ज कराने व अल्टीमेटम देने के बावजूद नहीं सुनी जाती है। भुगतान में देरी के कारण शिक्षक कर्ज की मार झेलते हैं।
पैसे के अभाव में कई शिक्षक-शिक्षिकाओं की मौत हो जाती है। इसीलिए धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ता है। ये बातें 4 दिनों से परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के बैनर तले धरना पर बैठे शिक्षकों ने कहीं।

कहा कि हर बार धरना-प्रदर्शन के बाद ही वेतन भुगतान होता है। इस वर्ष 4 बार व्यापक पैमाने पर धरना-प्रदर्शन करना पड़ा है। पत्राचार के माध्यम से हर बार सभी प्रक्रिया दुरुस्त करने की मांग की जाती है, लेकिन अधिकारी गहरी निंद्रा में सोए रहते हैं। अब जब शिक्षक काफी आक्रोशित हैं तो अधिकारी विचलित हो रहे हैं। शिक्षकों ने कहा कि विभाग में नए सशक्त अधिकारी की जरूरत है। वर्तमान अधिकारी व लिपिक मिल कर शिक्षकों का खून चूस रहे हैं। अवैध उगाही की मंशा से मिलीभगत कर तमाम फाइलें दबा कर रखी जाती हैं। तभी तो अधिकारियों के आदेश की अवहेलना पर भी लिपिक पर कार्रवाई नहीं होती। इलाज के अभाव में माधोपुर सुस्ता की एक शिक्षिका की मौत हो गई। कुढ़नी के एक शिक्षक अपना कीमो कराने के लिए हर सप्ताह कर्ज लेते हैं।

इंजीनियरिंग कॉलेज में फी जमा नहीं करने पर मड़वन के एक शिक्षक के बेटे को निकाल दिया गया। उसके बाद उन्होंने कर्ज लेकर रुपए जमा किए। इसके बावजूद डीईओ सवाल करते हैं कि धरना देनेवाले शिक्षकों का भुगतान किस आधार पर हो। पहले वे जवाब दें कि शिक्षकों को प्रदर्शन करने के लिए किसने बाध्य किया?

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के आरोप



मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करते शिक्षक।

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सेवा पुस्तिका निर्धारण को मांगी जाती राशि : सेवा पुस्तिका निर्धारण के लिए डीपीओ स्थापना कार्यालय में चढ़ावा के लिए बोला जाता है। जिन शिक्षकों की सेवा पुस्तिका लंबित है, उन्हें संबंधित लिपिक ने पैसा पहुंचाने की बात कही है।

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आवंटन के बाद भी भुगतान नहीं : जीओबी मद में आवंटन के बाद भी शिक्षकों का भुगतान नहीं हुआ है। एसएसए मद में भी राशि आवंटित हो चुकी है, लेकिन भुगतान प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। जिस लिपिक को प्रभार सौंपा गया था, उन्होंने प्रभार ही नहीं लिया।

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प्रमोशन की फाइल दबाए बैठे हैं अधिकारी : 8 माह पूर्व विभाग से आदेश मिला था, पर प्रोन्नति पत्र निर्गत नहीं हुआ। काउंसलिंग से लेकर तमाम प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। सिर्फ विभागीय कार्य में विलंब होना अवैध उगाही की मंशा को दर्शाता है।

शिक्षकों के हस्तक्षेप से होती है देरी : डीईओ

मुजफ्फरपुर | डीईओ ललन प्रसाद सिंह ने भुगतान में विलंब के लिए शिक्षकों को ही जिम्मेदार बताया है। कहा- एडवाइस तैयार कराने में शिक्षक नेताओं के हस्तक्षेप के कारण कोई भी लिपिक जिम्मेदारी लेने से भागते हैं। लिपिक कहते हैं- एडवाइस तैयार कराने में शिक्षक नेता अधिक दबाव डालते हैं। पूर्व में भुगतान की प्रक्रिया देख रहा लिपिक लंबी छुट्टी पर चला गया। उसके बाद दो लिपिकों को भुगतान प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रभार दिया गया जिन्होंने यही कारण बताते हुए प्रभार लेने से इनकार दिया है। हालांकि, जिस लिपिक को प्रभार दिया गया है वह प्रभार नहीं लेता है ताे डीपीओ स्थापना को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

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अधिक पत्राचार के कारण होती है देरी : शिक्षकों ने कहा, सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों के अधिक पत्राचार से विलंब होता है। यदि प्रखंड स्तर से ही एडवाइस बने और जिला कार्यालय से सत्यापन कर भुगतान कर दिया जाए, तो विलंब नहीं होगा।

वार्ता के आश्वासन पर धरना स्थगित

मुजफ्फरपुर | आरडीडीई से शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण के लिए वार्ता का आश्वासन मिलने पर परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने शनिवार को धरना स्थगित कर दिया। संघ के प्रतिनिधिमंडल को 5 जनवरी को समझौते के लिए बुलाया गया है। तब तक धरना स्थगित रहेगा। शनिवार को प्रदर्शन के दौरान संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं होता है तो प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव से मिलकर अधिकारियों की पोल खोलेगा। प्रमंडलीय संगठन प्रभारी लखनलाल निषाद, जिलाध्यक्ष जीतन सहनी व महासचिव हिमांशु शेखर ने संयुक्त रूप से डीईओ व डीपीओ कार्यालय सील कर संचिकाओं की प्रशासनिक जांच कराने की मांग की है। प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष अनीता कुमारी, अशोक कुमार, ताजुल आरफीन, राज शेखर, सुधांशु, वसीम अहमद, रिंकी कुमारी, विजय कुमार, नीरज द्विवेदी, विकास, शरद कुमार, मो. अयाज, अनिल ठाकुर, रवि शंकर सिंह, राम जन्म भक्त, बालेंद्र सिंह, संजीव, शमशाद अहमद आदि थे।

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