बिहारशरीफ : बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ कार्यालय के सभागार में
सोमवार को ऐटक, सीटू, ऐक्टू, इंटक एवं विभिन्न सेक्टर की स्वतंत्र
फेडरेशन/एसोसिएशन की जिला स्तरीय कामगारों का कन्वेंशन संपन्न हुई। जिसका
उद्घाटन सीटू नेता राजेश्वर पाण्डेय ने किया और कन्वेंशन की अध्यक्षता
एक्टू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा ने की।
कन्वेंशन का उद्घाटन करते हुए सीटू नेता राजेश्वर पाण्डेय ने कहा कि सरकार की नव उदारवादी साम्राज्यवाद, परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, महंगाई एवं भ्रष्टाचार दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ ही मजदूरों का शोषण दोहन भी बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब गरीब, छात्र, नौजवान मजदूर सभी को संगठित होकर जारी अत्याचार से लड़ने की जरुरत है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने 145 श्रम कानून बनाया लेकिन इससे श्रमिकों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है। एक्टू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा ने कहा कि केन्द्र व राज्य की सरकार पूरी तरह मजदूर विरोधी है। श्रम कानून विरोधी नीति लाकर मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों को छीना जा रहा है। संघर्ष के बल पर 44 केन्द्रीय कानून मजदूरों ने लागू कराया था। लेकिन सरकार इन कानूनों को ताक पर रखकर इपीएफ, कोल माइंड प्रोविडेंट फंड, एसआईसी आदि पर हमला कर रही है। बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव सुभाष ठाकुर, शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, सीटू के जिलाध्यक्ष परमेश्वर प्रसाद, मजदूर नेता पाल बिहारी लाल ने कहा कि केंद्र सरकार न केवल कामकाजी वर्ग की वाजिब मांगों को अनदेखा कर रही है बल्कि वह मजदूरों, कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों के खिलाफ और आक्रामक हो रही है। पेट्रोलियम पदार्थों व आवश्यक सेवाओं जैसे सार्वजनिक परिवहन, बिजली, दवाओं आदि की कीमतों में बढ़ोतरी से देश की जनता के रोजमर्रा के जीवन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। जल्दबाजी में लगाए जीएसटी ने इन मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। जरूरी और जीवन रक्षक दवाओं पर भी भारी जीएसटी लगाया गया है। शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेन्द्र चौधरी ने मौके पर कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच गई है। गलत नीतियों के कारण ही देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नव-उदारवादी नीतियां बड़ी तेजी के साथ लागू कर रही है। इस कारण सेवाओं का निजीकरण, बोर्ड कारपोरेशन का तोड़ना, मुलाजिम को निकालना, ग्रेड पे पर रोक लगा के ठेक पर भर्ती करने के काम किए जा रहे हैं। इस लिए 8 और 9 जनवरी 2019 को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल आयोजित की जाएगी। कन्वेंशन को संबोधित करने वालों में प्रो.राजकिशोर प्रसाद, राकेश बिहारी शर्मा, संजय कुमार सिन्हा, बीड़ी मजदूर नेता सुभाष शर्मा, बिजेंद्र प्रसाद, लौंगी शर्मा, उमेश साव, महेंद्र प्रसाद, नरेन्द्र कुमार,राजकिशोर शर्मा, जनार्दन प्रसाद,बंगाली दास,अनिल कुमार,राजकुमार पंडित, केदार पासवान,रामप्रीत केवट, उपेन्द्र कुमार, सतीश चन्द्र राय आदि दर्जनों ट्रेड यूनियनों के नेता मौजूद थे।
कन्वेंशन का उद्घाटन करते हुए सीटू नेता राजेश्वर पाण्डेय ने कहा कि सरकार की नव उदारवादी साम्राज्यवाद, परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, महंगाई एवं भ्रष्टाचार दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ ही मजदूरों का शोषण दोहन भी बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब गरीब, छात्र, नौजवान मजदूर सभी को संगठित होकर जारी अत्याचार से लड़ने की जरुरत है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने 145 श्रम कानून बनाया लेकिन इससे श्रमिकों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है। एक्टू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा ने कहा कि केन्द्र व राज्य की सरकार पूरी तरह मजदूर विरोधी है। श्रम कानून विरोधी नीति लाकर मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों को छीना जा रहा है। संघर्ष के बल पर 44 केन्द्रीय कानून मजदूरों ने लागू कराया था। लेकिन सरकार इन कानूनों को ताक पर रखकर इपीएफ, कोल माइंड प्रोविडेंट फंड, एसआईसी आदि पर हमला कर रही है। बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव सुभाष ठाकुर, शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, सीटू के जिलाध्यक्ष परमेश्वर प्रसाद, मजदूर नेता पाल बिहारी लाल ने कहा कि केंद्र सरकार न केवल कामकाजी वर्ग की वाजिब मांगों को अनदेखा कर रही है बल्कि वह मजदूरों, कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों के खिलाफ और आक्रामक हो रही है। पेट्रोलियम पदार्थों व आवश्यक सेवाओं जैसे सार्वजनिक परिवहन, बिजली, दवाओं आदि की कीमतों में बढ़ोतरी से देश की जनता के रोजमर्रा के जीवन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। जल्दबाजी में लगाए जीएसटी ने इन मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। जरूरी और जीवन रक्षक दवाओं पर भी भारी जीएसटी लगाया गया है। शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेन्द्र चौधरी ने मौके पर कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच गई है। गलत नीतियों के कारण ही देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नव-उदारवादी नीतियां बड़ी तेजी के साथ लागू कर रही है। इस कारण सेवाओं का निजीकरण, बोर्ड कारपोरेशन का तोड़ना, मुलाजिम को निकालना, ग्रेड पे पर रोक लगा के ठेक पर भर्ती करने के काम किए जा रहे हैं। इस लिए 8 और 9 जनवरी 2019 को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल आयोजित की जाएगी। कन्वेंशन को संबोधित करने वालों में प्रो.राजकिशोर प्रसाद, राकेश बिहारी शर्मा, संजय कुमार सिन्हा, बीड़ी मजदूर नेता सुभाष शर्मा, बिजेंद्र प्रसाद, लौंगी शर्मा, उमेश साव, महेंद्र प्रसाद, नरेन्द्र कुमार,राजकिशोर शर्मा, जनार्दन प्रसाद,बंगाली दास,अनिल कुमार,राजकुमार पंडित, केदार पासवान,रामप्रीत केवट, उपेन्द्र कुमार, सतीश चन्द्र राय आदि दर्जनों ट्रेड यूनियनों के नेता मौजूद थे।