Advertisement

625 विद्यार्थियों के लिए महज छह कमरे, कैसे संवरेगा भविष्य

टिकारी

प्रखंड के सबसे पुराने विद्यालयों में से एक लाव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। विद्यालय में नामाकित 625 बच्चों के लिए महज छह कमरे हैं। शिक्षकों का भी अभाव है। प्रतिदिन मात्र दो घटी अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई होती है। बाकी संस्कृत, विज्ञान, हिंदी आदि विषयों की पढ़ाई कभी-कभार होती है।


बेंच डेस्क की कमी होने के कारण वर्ग 1 से 5 तक के बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। वर्ग 6 से 8 तक के चार से छह विद्यार्थियों को एक बेंच पर बैठाया जाता है। सभा कक्षाओं में विद्यार्थियों की शत प्रतिशत उपस्थिति होने पर परेशानी बढ़ जाती है। कमरे के अभाव में आधे बच्चे खड़े या फिर बाहर बरामदे में पढ़ने को विवश हो जाते हैं।

'उच्च जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण की जरूरत'
यह भी पढ़ें

बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो स्कूल में पांच शौचालय हैं, जिनमें से तीन खराब पड़े हैं। विद्यालय परिसर में तीन चापाकल है, जिनमें से एक खराब पड़ा। विद्यालय में पुस्तकालय है ही नहीं। सामग्री नहीं होने के कारण बच्चे खेलकूद से वंचित हैं।

मुख्यमंत्री ने अपनी समीक्षा यात्रा के दौरान उच्च विद्यालय में उत्क्रमित करने की घोषणा की थी। बाद में शिक्षा मंत्री ने अनुशसा पत्र विभागीय अधिकारियों को भेजी थी, लेकिन एक साल बाद भी परिणाम ढाक के तीन पात है।

पंचायत के मुखिया आशुतोष कुमार मिश्र ने कई बार संबंधित अधिकारियों से गुहार लगाई। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि को भी इसका कोई मलाल नहीं है। गाव और क्षेत्र की जनता आज अपने आपको ठगा महसूस कर रही है। स्कूली बच्चों को पोशाक, पुस्तक और छात्रवृत्ति योजना की राशि अभी तक नहीं मिली है। छात्रवृत्ति योजना के लिए 172 विद्यार्थी, पुस्तक के लिए 307 और पोशाक के लिए 292 विद्यार्थियों का विद्यालय से एडवाइस बनाकर पीएनबी के टिकारी शाखा को जनवरी में ही भेजी जा चुकी है, लेकिन आज तक योजनाओं के लाभ से विद्यार्थी वंचित हैं। सत्र समाप्त होने को है और बच्चों किताब की भी राशि नहीं मिली है।

मानवाधिकार दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन
यह भी पढ़ें

प्रधानाध्यापक कमलेश पंडित ने बताया कि जिन विद्यार्थियों के बैंक में खाते नहीं है, उनका नाम उक्त योजनाओं के लाभुकों की सूची में नहीं है।

-----------

यहां शिक्षक के साथ कमरों का भी अभाव है। बैठने के लिए बेंच भी नहीं हैं। जो शिक्षक हैं भी नियमित क्लास में नहीं आते हैं।

छात्रा अनामिका

--------

प्रतिदिन मात्र दो घटी अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई होती है। बाकी संस्कृत, विज्ञान, हिंदी आदि विषयों की पढ़ाई कभी-कभी ही होती है।

एक और छात्रा, अनामिका

------------

हमलोगों को अभी तक किताब तक का पैसा नहीं मिला है। इसके अलावा पोशाक और छात्रवृत्ति की राशि भी नहीं मिली है।

छात्रा, सुप्रिया भारती

-----------

मध्याह्न भोजन में पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण आहार नहीं मिलता है। विद्यालय का बड़ा कैंपस तो है लेकिन छात्र-छात्राओं को खेलने के लिए कोई सामग्री नहीं है।

छात्र आकाश

-----------

विद्यालय में शिक्षक के साथ यहां भवन, उपष्कर आदि का घोर अभाव है। जो साधन और संसाधन उपलब्ध हैं उनमें बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। जहां तक पोशाक, छात्रवृत्ति और पुस्तक की राशि नहीं मिलने की बात है तो सभी खाताधारी छात्रों जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत थी एडवाइस बनाकर बैंक को भेज जा चुका है।

कमलेश पंडित, प्रधानाध्यापक

-----------

1901 में विद्यालय की स्थापना

625 बच्चों हैं स्कूल में नामाकित

350 बच्चों की औसतन उपस्थिति

306 बच्चों के बैंक के खाते खुले

----------------

-चापाकल 3, दो चालू और एक बंद

-शौचालय 5, दो चालू और तीन बंद

-प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों

की संख्या 9

प्रशिक्षण में 1

बीएलओ पद पर 3

-------------

वर्गवार नामाकित बच्चे

कक्षा संख्या

प्रथम 40

द्वितीय 20

तृतीय 35

चतुर्थ 54

पंचम 54

छठी 155

सप्तम 131

अष्टम 136 

UPTET news

Blogger templates