बेगूसराय में शिक्षक नियोजन में भारी पैमाने पर धांधली का मामला सामने आ
रहा है. कुल 17 फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है. वहीं
295 फर्जी शिक्षकों पर जल्द ही गाज गिरने वाली है.
इस मामले में जिला से लेकर पंचायत स्तर तक नियोजन समिति ने पैसे के खेल में आंख मूंद कर रेबड़ी बांटी है. पैसे के इस खेल मे मैट्रिक और इंटर फेल को भी शिक्षक बना कर नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई गई.
बिहार के इस जिले में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े का खेल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है. अकेले बेगूसराय में एैसे सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, जिसमे मैट्रिक और इंटर फेल शिक्षक सरकारी राशि का ही चुना नहीं लगा रहे हैं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था में विभागीय लापरवाही और पैसे के खेल पर से पर्दा उठा रही है.
2015 से ही चल रही जांच की प्रकिया में अबतक 17 फर्जी शिक्षकों पर मामला दर्ज कराया गया है, जबकि 295 शिक्षक जांच की जद में हैं. इस मामले में पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियों की सांठगांठ से यह खेल सालों से जारी है.
अबतक की जांच में जो बाते सामने आई है उसके मुताबिक नियोजन के वक्त 39 नंबर कॉलम जिसमें नियोजन से संबधित सारी जानकारी उपलब्ध रहती है. उसमें आधे अधूरे जानकारी डाली ही नहीं गई बल्कि तथ्यों को भी जानबूझ कर छिपाया गया.
इतना ही नहीं पैसों के इस खेल में मैट्रिक फेल भी शिक्षक प्रशिक्षण का सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी कर रहे हैं. इसी तरह मैट्रिक सर्टिफिकेट और इंटर के प्रमाणपत्र में नाम पता और पिता का नाम अगल-अलग वाले भी शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं.
जांच की इस प्रक्रिया में यह बात भी उभर कर सामने आई है कि जो लोग इंटर की परीक्षा में शामिल नहीं हुए या फेल हैं उन लोगों ने भी नौकरी होने के बाद इंटर की पढ़ाई पूरी की और बाद मे इंटर का सर्टिफिकेट रजिस्टर में जोड़ा गया.
इस मामले में जिला से लेकर पंचायत स्तर तक नियोजन समिति ने पैसे के खेल में आंख मूंद कर रेबड़ी बांटी है. पैसे के इस खेल मे मैट्रिक और इंटर फेल को भी शिक्षक बना कर नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई गई.
बिहार के इस जिले में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े का खेल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है. अकेले बेगूसराय में एैसे सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, जिसमे मैट्रिक और इंटर फेल शिक्षक सरकारी राशि का ही चुना नहीं लगा रहे हैं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था में विभागीय लापरवाही और पैसे के खेल पर से पर्दा उठा रही है.
2015 से ही चल रही जांच की प्रकिया में अबतक 17 फर्जी शिक्षकों पर मामला दर्ज कराया गया है, जबकि 295 शिक्षक जांच की जद में हैं. इस मामले में पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियों की सांठगांठ से यह खेल सालों से जारी है.
अबतक की जांच में जो बाते सामने आई है उसके मुताबिक नियोजन के वक्त 39 नंबर कॉलम जिसमें नियोजन से संबधित सारी जानकारी उपलब्ध रहती है. उसमें आधे अधूरे जानकारी डाली ही नहीं गई बल्कि तथ्यों को भी जानबूझ कर छिपाया गया.
इतना ही नहीं पैसों के इस खेल में मैट्रिक फेल भी शिक्षक प्रशिक्षण का सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी कर रहे हैं. इसी तरह मैट्रिक सर्टिफिकेट और इंटर के प्रमाणपत्र में नाम पता और पिता का नाम अगल-अलग वाले भी शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं.
जांच की इस प्रक्रिया में यह बात भी उभर कर सामने आई है कि जो लोग इंटर की परीक्षा में शामिल नहीं हुए या फेल हैं उन लोगों ने भी नौकरी होने के बाद इंटर की पढ़ाई पूरी की और बाद मे इंटर का सर्टिफिकेट रजिस्टर में जोड़ा गया.