बेतिया। आगामी पंद्रह जुलाई तक जिले में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी
करने वालों पर गाज गिरना लगभग तय हो गया है। इसके लिए निगरानी की टीम अपनी
रिपोर्ट तैयार कर रही है। कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इससे जिले
के अलग अलग प्रखंडों में फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षक की नौकरी करने वाले
खासे परेशान हो रहे हैं।
अव्वल तो यह है कि राज्य सरकार ने जिला शिक्षा विभाग को हिदायत दे दी है कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाते हैं उन्हें तत्काल सेवा मुक्त कर दिया जाए। यह भी साफ किया गया है कि जो अफसर इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे या फिर आरोपी को बचाने की कोशिश करेंगे वैसे अफसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उनपर कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार निगरानी की टीम ने फर्जी प्रमाण पत्र वाले जिन चार सौ शिक्षकों की सूची तैयार की है उनमें पश्चिमी चंपारण जिले के कई दर्जन शिक्षकों के नाम शामिल है और आने वाले पंद्रह दिनों के अंदर इस आंकड़े में इजाफा होने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है। बता दें कि कुछ माह पूर्व निगरानी की टीम ने जिले के सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र के फोल्डर की कॉपी जमा करवायी थी जिसमें परीक्षाओं में शामिल होने के लिए जिस प्रवेश पत्र का इस्तेमाल किया गया था उसकी भी मांग की गयी थी । कई प्रखंडों से ऐसे मामले भी सामने आये है जहां शिक्षकों ने प्रमाण पत्र के फोल्डर में मैट्रिक की परीक्षा के प्रमाण पत्र को जमा नहीं किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन शिक्षकों ने बिना दसवीं की परीक्षा पास किये इंटरमीडिएट की डिग्री प्राप्त कर ली थी। ऐसे शिक्षक उस समय के नियोजन इकाईयों को मेल में लेकर किसी प्रकार नियुक्ति करा ली थी लेकिन अब जबकि राज्य सरकार ने उनको टारगेट किया है तो शिक्षकों के हाथ पांव फूल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार नियोजन के समय कई लोगों ने एक ओर जहां फर्जी प्रमाण पत्र जमा कर नौकरी हासिल कर लिया था वहीं दूसरी ओर उन लोगों ने रोस्टर में छेड़छाड़ कर अपनी नौकरी पक्की करवा ली थी। इधर कई ऐसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी हैं जिन्होंने किसी प्रेशर में आकर शिक्षकों के द्वारा जमा प्रमाण पत्रों की जांच किये बिना ही जिला मुख्यालय में जमा करवा दिया था लेकिन निगरानी की टीम की सक्रियता देखकर अब उनके हाथ पांव फूलने शुरु हो गये हैं।
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अव्वल तो यह है कि राज्य सरकार ने जिला शिक्षा विभाग को हिदायत दे दी है कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाते हैं उन्हें तत्काल सेवा मुक्त कर दिया जाए। यह भी साफ किया गया है कि जो अफसर इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे या फिर आरोपी को बचाने की कोशिश करेंगे वैसे अफसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उनपर कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार निगरानी की टीम ने फर्जी प्रमाण पत्र वाले जिन चार सौ शिक्षकों की सूची तैयार की है उनमें पश्चिमी चंपारण जिले के कई दर्जन शिक्षकों के नाम शामिल है और आने वाले पंद्रह दिनों के अंदर इस आंकड़े में इजाफा होने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है। बता दें कि कुछ माह पूर्व निगरानी की टीम ने जिले के सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र के फोल्डर की कॉपी जमा करवायी थी जिसमें परीक्षाओं में शामिल होने के लिए जिस प्रवेश पत्र का इस्तेमाल किया गया था उसकी भी मांग की गयी थी । कई प्रखंडों से ऐसे मामले भी सामने आये है जहां शिक्षकों ने प्रमाण पत्र के फोल्डर में मैट्रिक की परीक्षा के प्रमाण पत्र को जमा नहीं किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन शिक्षकों ने बिना दसवीं की परीक्षा पास किये इंटरमीडिएट की डिग्री प्राप्त कर ली थी। ऐसे शिक्षक उस समय के नियोजन इकाईयों को मेल में लेकर किसी प्रकार नियुक्ति करा ली थी लेकिन अब जबकि राज्य सरकार ने उनको टारगेट किया है तो शिक्षकों के हाथ पांव फूल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार नियोजन के समय कई लोगों ने एक ओर जहां फर्जी प्रमाण पत्र जमा कर नौकरी हासिल कर लिया था वहीं दूसरी ओर उन लोगों ने रोस्टर में छेड़छाड़ कर अपनी नौकरी पक्की करवा ली थी। इधर कई ऐसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी हैं जिन्होंने किसी प्रेशर में आकर शिक्षकों के द्वारा जमा प्रमाण पत्रों की जांच किये बिना ही जिला मुख्यालय में जमा करवा दिया था लेकिन निगरानी की टीम की सक्रियता देखकर अब उनके हाथ पांव फूलने शुरु हो गये हैं।
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