PATNA : आनंद किशोर की छवि एक कर्मठ IAS अफसर की रही है। उनके रहते बिहार बोर्ड के इंटर रिजल्ट में गड़बड़ी हो गयी, ये हैरान और परेशान करने वाली बात है। इंटर आर्ट्स के टॉपर रहे गणेश कुमार ने जिस तरह से फर्जीवाडा किया उससे बिहार की साख पर बट्टा लग गया।
बिहार बोर्ड और आनंद किशोर की इस नाकामी ने राज्य के प्रतिभावान छात्रों को भी बदनामी के अंधेरे में ढकेल दिया है। लगातार दो साल से यही हो रहा है, ऐसे में बिहार के टॉपरों पर भला कोई कैसे भरोसा करेगा ? अब तो बिहारी छात्रों को दिल्ली में ‘ टॉपर’ कह कर चिढ़ाया जा रहा है। इसके लिए कौन हौ दोषी ?
2016 जब इंटर टॉपर घोटाला हुआ था तब बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह भूमिगत हो गये थे। बाद में वे गिरफ्तार हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा। उस वक्त बोर्ड की विश्वसनीयता बहाल करना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। मुख्यमंत्री ने बहुत सोच विचार कर आनंद किशोर को इस कुर्सी पर बैठाया था।
आनंद किशोर दोहरी भूमिका में आ गये। वे पहले से ही पटना के कमिश्नर पद पर तैनात थे। आनंद किशोर नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के जिलाधिकारी रह चुके थे। वे सीएम के करीबी माने जाते हैं। पटना के कमिश्नर के रूप में आनंद किशोर ने अपने काम से सुर्खियां बटोरी थीं। नीतीश कुमार को उन पर बहुत भरोसा था इस लिए उन्हें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की जिम्मेवारी दी गयी थी।
आनंद किशोर बिहार के ही रहने वाले हैं।
उनकी पढ़ाई संयुक्त बिहार के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल नेतरहाट से हुई है। वे शुरू से टैलेंटेड छात्र थे। नेतरहाट से मैट्रिक करने के बाद पटना सायंस कॉलेज से इंटर किया। उन्होंने पहले ही प्रयास में IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। IIT कानपुर से पढ़ाई करने के बाद सिविस सर्विसेज की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में उन्होंने 8वीं रैंक हासिल कर ली। वे बिहार कैडर के IAS बने।
आनंद किशोर ने बोर्ड की कमान संभालते ही कई बदलाव किये थे। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। 2017 में फिर इंटर के रिजल्ट में गड़बड़ी हो गयी। गणेश कुमार की घटना से साबित हो गया कि बिहार का कोई कितना भी कड़क अफसर क्यों नहीं हो वह शिक्षा माफिया का सफाया नहीं कर सकता।
बिहार बोर्ड और आनंद किशोर की इस नाकामी ने राज्य के प्रतिभावान छात्रों को भी बदनामी के अंधेरे में ढकेल दिया है। लगातार दो साल से यही हो रहा है, ऐसे में बिहार के टॉपरों पर भला कोई कैसे भरोसा करेगा ? अब तो बिहारी छात्रों को दिल्ली में ‘ टॉपर’ कह कर चिढ़ाया जा रहा है। इसके लिए कौन हौ दोषी ?
2016 जब इंटर टॉपर घोटाला हुआ था तब बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह भूमिगत हो गये थे। बाद में वे गिरफ्तार हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा। उस वक्त बोर्ड की विश्वसनीयता बहाल करना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। मुख्यमंत्री ने बहुत सोच विचार कर आनंद किशोर को इस कुर्सी पर बैठाया था।
आनंद किशोर दोहरी भूमिका में आ गये। वे पहले से ही पटना के कमिश्नर पद पर तैनात थे। आनंद किशोर नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के जिलाधिकारी रह चुके थे। वे सीएम के करीबी माने जाते हैं। पटना के कमिश्नर के रूप में आनंद किशोर ने अपने काम से सुर्खियां बटोरी थीं। नीतीश कुमार को उन पर बहुत भरोसा था इस लिए उन्हें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की जिम्मेवारी दी गयी थी।
आनंद किशोर बिहार के ही रहने वाले हैं।
उनकी पढ़ाई संयुक्त बिहार के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल नेतरहाट से हुई है। वे शुरू से टैलेंटेड छात्र थे। नेतरहाट से मैट्रिक करने के बाद पटना सायंस कॉलेज से इंटर किया। उन्होंने पहले ही प्रयास में IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। IIT कानपुर से पढ़ाई करने के बाद सिविस सर्विसेज की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में उन्होंने 8वीं रैंक हासिल कर ली। वे बिहार कैडर के IAS बने।
आनंद किशोर ने बोर्ड की कमान संभालते ही कई बदलाव किये थे। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। 2017 में फिर इंटर के रिजल्ट में गड़बड़ी हो गयी। गणेश कुमार की घटना से साबित हो गया कि बिहार का कोई कितना भी कड़क अफसर क्यों नहीं हो वह शिक्षा माफिया का सफाया नहीं कर सकता।