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क्यों न हो हर कक्षा से पहले मास्टर जी की हाजिरी

माला दीक्षित, नई दिल्ली। मास्टर जी अगर स्कूल आयें तो बिना पढ़ाए न जाने पाएं। मास्टरों के क्लास बंक करने पर लगाम लगाने की तैयारी हो रही है। शिक्षकों की क्लास में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर कक्षा और व्याख्यान से पहले उनकी बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने पर विचार कर रही है।
सरकार ने अपनी ये मंशा आर्थिक सर्वेक्षण में जाहिर की है। शिक्षा की स्थिति सुधारने और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सरकार की चिंता का सबब तो है ही लेकिन शिक्षकों की कक्षा में अनुपस्थिति भी एक समस्या है। इस समस्या से निपटने के लिए जिस विकल्प पर विचार हो रहा है उसमें हर व्याख्यान से पहले मास्टर जी की बायोमैट्रिक हाजिरी लगाना शामिल है। इतना ही नहीं मास्टर जी की उपस्थिति की अभिभावक और स्थानीय समुदाय नियमित निगरानी करेंगे साथ ही उनकी हाजिरी के आंकड़े सार्वजनिक भी किये जाएंगे।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि प्राथमिक स्कूलों में सभी अध्यापकों के लिए मौजूदा प्रणाली के विपरीत प्रत्येक निर्धारित कक्षा, व्याख्यान अथवा सत्र के लिए बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाए। इसमें काम के दौरान सुबह एवं शाम के समय उनके आने व जाने के समय को रिकार्ड करके कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य के एक जिले में छह माह के लिए प्रयोग के तौर पर परियोजना शुरू की जाये और तीन वर्षो में सभी जिलों में इसका विस्तार किया जाए। यह भी कहा गया है कि स्थानीय समुदायों और अभिभावकों द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति की नियमित रूप से निगरानी के अलावा इसे पब्लिक डोमेन में भी डाला जाए। यानि आंकड़े सार्वजनिक किये जाएं।

यह भी कहा गया है कि अध्यापकों के अनुपस्थित रहने के दौरान रिकार्ड किये हुए व्याख्यान आदि जैसे समुचित शिक्षण उपकरणों की व्यवस्था की जाए। इसके कार्यान्वयन में स्थानीय स्तर पर लचीलापन रहे ताकि यह केवल 'मार्डन स्कूल' बन कर ही न रह जाए। सरकार यह भी चाहती है कि अध्यापकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति की प्रायोगिक परियोजना में शिक्षण संबंधी परिणामों के मूल्यांकन भी जोड़े जाएं।

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