बिहार राज्य बच्चो की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 tet-stet शिक्षकों के साथ जुल्म की बेइन्तहा है ! कानूनों को तोड़ मरोड़ क्यों ? नियमावली में स्थायी व संवर्ग समेत सहायक शिक्षकों के पद पर tet-stet की नियुक्ति क्यों नही ?
बिहार राज्य बच्चो की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 में शिक्षकों के आरटीई अधिनियम की धारा 23(1) के अंतर्गत स्कूरल शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र व्यहक्ति के लिए न्यू्नतम अर्हताएं निर्धारित करने वाली एनसीटीई का अधिसूचना दिनांक 23.8.2010 का पालन करते हुए आरटीई अधिनियम के अंतर्गत शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश दिनांक 11.2.2010 के आलोक में tet-stet परीक्षा तो आयोजित की गयी परन्तु शिक्षकों के वेतन सेवा शर्तें सुविधाओं और अधिकारों के मद्देनजर शिक्षा के अधिकार कानून के ही मॉडल नियम को दरकिनार कर दिया गया ! जबकि मॉडल नियम के अनुच्छेद 18 में विधिवत निदेश दिए गये हैं !
Salary and allowances and conditions of service of teachers for the purpose of section 23(3)
18 (1) The State Government or the local authority, as the case may be, shall notify terms and
conditions of service and salary and allowances of teachers in order to create a professional and
permanent cadre of teachers.
(2) In particular and without prejudice to sub rule (1), the terms and conditions of service
shall take into account the following, namely -
(a) Accountability of teachers to the School Management Committee constituted
under section 21.
(b) provisions enabling long term stake of teachers in the teaching profession 11
(3) The scales of pay and allowances, medical facilities, pension, gratuity, provident fund, and
other prescribed benefits of teachers, including those employed for the purpose of imparting
special training as specified in Section 4, shall be that of regular teachers, and at par for
similar work and experience. शिक्षा का अधिकार कानून के मॉडल नियम के अनुच्छेद 18 पर गौर फरमाइए ------- जिसमे स्पष्ट तौर पर पैर शिक्षकों या कामचलाऊ शिक्षकों के बहाली या नियोजन पर रोक है ! आखिरकार किन स्थितियों में सरकार पात्रताधारी शिक्षकों को हवाहवाई वेतनमान पर नियोजित कर रही है ? और क्या ऐसा करके शिक्षा अधिकार कानून की धज्जियां नही उड़ा रही है राज्य सरकार ? कानूनों के साथ बेशर्मी भरी खिलवाड़ करके सूबे के प्रतिभाओं को गला घोंटनेवाली और अंधेर नगरी के तर्ज पर उन्हें ग्रेड पे से भी वंचित करनेवाली सरकार के खिलाफ क्यों नही फूटे हमारा आक्रोश ?
बिहार राज्य बच्चो की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 में शिक्षकों के आरटीई अधिनियम की धारा 23(1) के अंतर्गत स्कूरल शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र व्यहक्ति के लिए न्यू्नतम अर्हताएं निर्धारित करने वाली एनसीटीई का अधिसूचना दिनांक 23.8.2010 का पालन करते हुए आरटीई अधिनियम के अंतर्गत शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश दिनांक 11.2.2010 के आलोक में tet-stet परीक्षा तो आयोजित की गयी परन्तु शिक्षकों के वेतन सेवा शर्तें सुविधाओं और अधिकारों के मद्देनजर शिक्षा के अधिकार कानून के ही मॉडल नियम को दरकिनार कर दिया गया ! जबकि मॉडल नियम के अनुच्छेद 18 में विधिवत निदेश दिए गये हैं !
Salary and allowances and conditions of service of teachers for the purpose of section 23(3)
18 (1) The State Government or the local authority, as the case may be, shall notify terms and
conditions of service and salary and allowances of teachers in order to create a professional and
permanent cadre of teachers.
(2) In particular and without prejudice to sub rule (1), the terms and conditions of service
shall take into account the following, namely -
(a) Accountability of teachers to the School Management Committee constituted
under section 21.
(b) provisions enabling long term stake of teachers in the teaching profession 11
(3) The scales of pay and allowances, medical facilities, pension, gratuity, provident fund, and
other prescribed benefits of teachers, including those employed for the purpose of imparting
special training as specified in Section 4, shall be that of regular teachers, and at par for
similar work and experience. शिक्षा का अधिकार कानून के मॉडल नियम के अनुच्छेद 18 पर गौर फरमाइए ------- जिसमे स्पष्ट तौर पर पैर शिक्षकों या कामचलाऊ शिक्षकों के बहाली या नियोजन पर रोक है ! आखिरकार किन स्थितियों में सरकार पात्रताधारी शिक्षकों को हवाहवाई वेतनमान पर नियोजित कर रही है ? और क्या ऐसा करके शिक्षा अधिकार कानून की धज्जियां नही उड़ा रही है राज्य सरकार ? कानूनों के साथ बेशर्मी भरी खिलवाड़ करके सूबे के प्रतिभाओं को गला घोंटनेवाली और अंधेर नगरी के तर्ज पर उन्हें ग्रेड पे से भी वंचित करनेवाली सरकार के खिलाफ क्यों नही फूटे हमारा आक्रोश ?