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बिहार टॉपर घोटाले में नाम आने के बाद उषा सिन्हा को प्राचार्य पद से हटाया

पटना| बिहार में प्रशासन ने मंगलवार को उषा सिन्हा को पटना के एक कॉलेज के प्राचार्य पद से हटा दिया। उषा सिन्हा सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड की पूर्व विधायक हैं। 12वीं के टॉपर घोटाले में पति के साथ उषा का नाम भी आया है। उषा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी हैं। सिंह भी इस समय फरार हैं।

उषा सिन्हा को गंगा देवी कॉलेज की प्राचार्य पद से हटा दिया गया

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, टॉपर घोटाले में नाम आने के बाद उषा सिन्हा को गंगा देवी कॉलेज की प्राचार्य पद से हटा दिया गया है। उषा के खिलाफ यह कार्रवाई तब की गई जब उन्हें टॉपर घोटाले का ऐसा अभियुक्त बनाया गया जिसका नाम प्राथमिकी में नहीं है।

इस मामले में बिहार पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) उषा सिन्हा और उनके पति दोनों की तलाश कर रही है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि टॉपर घोटाले के प्रमुख अभियुक्त और उनकी पत्नी को पकड़ने के लिए पुलिस विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर रही है। इस बीच शिक्षा विभाग ने फर्जी शैक्षिक डिग्रियों के आधार पर सरकारी नौकरी पाने की खबरों की पड़ताल शुरू कर दी है।

चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार, उषा सिन्हा ने जब 2010 में चुनाव लड़ा था तो वह 49 साल की थीं। उनके जन्म प्रमाणपत्र में 1961 लिखा है, जबकि वह उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से 1969 में मैट्रिक परीक्षा पास की थीं। इसका मतलब है कि तब वह आठ साल की थीं।

इसी तरह शपथ पत्र में अवध विश्वविद्यालय से 1976 में स्नातकोत्तर करने का उल्लेख किया है जबकि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1975 में हुई थी। यानी एक साल में ही उन्होंने एमए कर लिया। इसी तरह उन्होंने 23 साल की उम्र में मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी भी हासिल कर ली।
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