बलराम मिश्र, भागलपुर। मेधा घोटाले
के मुख्य आरोपी बच्चा राय ने रसूख के बल पर बिहार बोर्ड को अपनी घर की
मुर्गी बना ली थी। जो चाहता और जैसे चाहता था, वैसा ही होता था। 2012 में
विशुन राय इंटर कॉलेज की कॉपियां जांच के लिए भागलपुर आई थी। यहां जांच
करने वाले कुछ शिक्षकों को उसने खरीद लिया था।
अलग कमरे में हो रहा था मूल्यांकन
सुंदरवती महिला (एसएम)कॉलेज में 823 कॉपियों की जांच के लिए अलग कमरे का इंतजाम करवाया गया था। लेकिन बाकी शिक्षकों ने विरोध किया तो बच्चा ने यहां हंगामा भी किया था।
विरोध के बाद उन कॉपियों को बोर्ड ने वापस मंगवा लिया पर बच्चा उन कॉपियों की जांच अपनी मनमर्जी से करवाने में सफल रहा था। उस साल विशनु राय कॉलेज के 823 परीक्षार्थियों में से 815 प्रथम श्रेणी से पास हुए थे।
प्रिंसिपल ने बंद कराया कमरा
बताते हैं कि 2012 के अप्रैल में हो रहे मूल्यांकन कार्य में बच्चा के गुर्गों के दबाव में 823 कॉपियों की जांच अलग कमरे में की जा रही थी। तत्कालीन प्राचार्या डॉ. निशा राय को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने अलग कमरे में चल रहे मूल्यांकन को बंद करवाते हुए कमरे में ही ताला लगवा दिया था।
शिक्षिका को ही बना दिया मोहरा
अलग कमरे में कॉपियों की जांच के दौरान एक शिक्षिका की भूमिका सवालों के घेरे में आई थी। इस शिक्षिका ने खुद ही गेट पर मोर्चा संभाला था। वह किसी को अंदर नहीं जाने दे रही थीं। कुछ शिक्षक इसके विरोध में खुलकर आ गए थे। बात बढ़ी तो विशेष व्यवस्था खत्म हुई। अपनी मंशा पूरी न होने पर बच्चा आगबबूला हो गया था। उसने समर्थकों के साथ भागलपुर पहुंचकर हंगामा किया था। लेकिन उसकी एक नहीं चली।
बोर्ड ने वापस मंगा ली थी कॉपी
दो दिन बाद पता चला की अलग कमरे में जांची जा रही 823 कॉपियों को बोर्ड ने वापस मंगवा ली। बच्चा ने अपनी पैरवी और पहुंच के दम पर कापियों को केंद्र से वापस करवा लिया। सूत्र बताते हैं कि उन कॉपियों की जांच किसी अन्य केंद्र में मनमर्जी से करवाने में बच्चा सफल रहा था। रिजल्ट निकलने पर इसकी पुष्टि भी हुई थी। पर, बच्चा के रसूख के आगे मामला दबकर रह गया।
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अलग कमरे में हो रहा था मूल्यांकन
सुंदरवती महिला (एसएम)कॉलेज में 823 कॉपियों की जांच के लिए अलग कमरे का इंतजाम करवाया गया था। लेकिन बाकी शिक्षकों ने विरोध किया तो बच्चा ने यहां हंगामा भी किया था।
विरोध के बाद उन कॉपियों को बोर्ड ने वापस मंगवा लिया पर बच्चा उन कॉपियों की जांच अपनी मनमर्जी से करवाने में सफल रहा था। उस साल विशनु राय कॉलेज के 823 परीक्षार्थियों में से 815 प्रथम श्रेणी से पास हुए थे।
प्रिंसिपल ने बंद कराया कमरा
बताते हैं कि 2012 के अप्रैल में हो रहे मूल्यांकन कार्य में बच्चा के गुर्गों के दबाव में 823 कॉपियों की जांच अलग कमरे में की जा रही थी। तत्कालीन प्राचार्या डॉ. निशा राय को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने अलग कमरे में चल रहे मूल्यांकन को बंद करवाते हुए कमरे में ही ताला लगवा दिया था।
शिक्षिका को ही बना दिया मोहरा
अलग कमरे में कॉपियों की जांच के दौरान एक शिक्षिका की भूमिका सवालों के घेरे में आई थी। इस शिक्षिका ने खुद ही गेट पर मोर्चा संभाला था। वह किसी को अंदर नहीं जाने दे रही थीं। कुछ शिक्षक इसके विरोध में खुलकर आ गए थे। बात बढ़ी तो विशेष व्यवस्था खत्म हुई। अपनी मंशा पूरी न होने पर बच्चा आगबबूला हो गया था। उसने समर्थकों के साथ भागलपुर पहुंचकर हंगामा किया था। लेकिन उसकी एक नहीं चली।
बोर्ड ने वापस मंगा ली थी कॉपी
दो दिन बाद पता चला की अलग कमरे में जांची जा रही 823 कॉपियों को बोर्ड ने वापस मंगवा ली। बच्चा ने अपनी पैरवी और पहुंच के दम पर कापियों को केंद्र से वापस करवा लिया। सूत्र बताते हैं कि उन कॉपियों की जांच किसी अन्य केंद्र में मनमर्जी से करवाने में बच्चा सफल रहा था। रिजल्ट निकलने पर इसकी पुष्टि भी हुई थी। पर, बच्चा के रसूख के आगे मामला दबकर रह गया।
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