पटना। इंटरमीडिएट परीक्षा में हुए टॉपर फर्जीवाड़े के बाद राज्य के
प्राइवेट प्लस टू स्कूल सरकार और इंटर कॉलेज निशाने पर हैं। निजी टीचर
ट्रेनिंग कॉलेजों के बाद अब सरकार ने अनुदान पर चलने वाले प्लस टू स्कूलों
और प्राइवेट इंटर कॉलेजों को तय मापदंड पर परखने का फैसला लिया है।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।
इंटर की परीक्षा में टॉपर फर्जीवाड़े के तत्काल बाद एक अन्य स्टिंग ऑपरेशन में प्राइवेट इंटर कॉलेजों और प्लस टू स्कूलों की कलई भी खुलकर सामने आई है। सरकार की नाक के नीचे मोटी रकम लेकर कॉलेज और स्कूल डिग्री बेच रहे हैं। स्टिंग ऑपरेशन में इस हकीकत के सामने आने के बाद सरकार ने इंटर काउंसिल और सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया है। बिहार बोर्ड और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि वे अनुदान पर चलने वाले तकरीबन 780 प्लस टू स्कूल और 462 इंटर कॉलेजों की जांच प्रारंभ करें। बिहार बोर्ड अध्यक्ष और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि वे जांच कर बताएं कि स्कूल और कॉलेजों को मान्यता कब और कैसे दी गई। संस्थान कब से संचालित हैं और उनकी आधारभूत संरचना और शिक्षक-छात्र अनुपात की स्थिति क्या है। ऐसे संस्थानों की नियमित जांच की क्या व्यवस्था है और जांच रिपोर्ट किसे दी जाती है। सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालयों और बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि सरकार निर्धारित कसौटी पर जो कॉलेज या विद्यालय खरे नहीं उनकी मान्यता रद करने का प्रस्ताव भी जांच रिपोर्ट के साथ ही सरकार को सौंपे।
'कोट'
नियम-कायदे और कानून से ऊपर कोई भी नहीं। शिक्षा में सुधार के लिए जो रोडमैप तैयार किया गया है उसकी कसौटी पर सबको खरा उतरना होगा। अन्यथा ऐसे संस्थानों के लिए मान्यता बचाना मुश्किल होगा।
डॉ. अशोक चौधरी
शिक्षा मंत्री, बिहार
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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।
इंटर की परीक्षा में टॉपर फर्जीवाड़े के तत्काल बाद एक अन्य स्टिंग ऑपरेशन में प्राइवेट इंटर कॉलेजों और प्लस टू स्कूलों की कलई भी खुलकर सामने आई है। सरकार की नाक के नीचे मोटी रकम लेकर कॉलेज और स्कूल डिग्री बेच रहे हैं। स्टिंग ऑपरेशन में इस हकीकत के सामने आने के बाद सरकार ने इंटर काउंसिल और सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया है। बिहार बोर्ड और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि वे अनुदान पर चलने वाले तकरीबन 780 प्लस टू स्कूल और 462 इंटर कॉलेजों की जांच प्रारंभ करें। बिहार बोर्ड अध्यक्ष और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि वे जांच कर बताएं कि स्कूल और कॉलेजों को मान्यता कब और कैसे दी गई। संस्थान कब से संचालित हैं और उनकी आधारभूत संरचना और शिक्षक-छात्र अनुपात की स्थिति क्या है। ऐसे संस्थानों की नियमित जांच की क्या व्यवस्था है और जांच रिपोर्ट किसे दी जाती है। सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालयों और बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि सरकार निर्धारित कसौटी पर जो कॉलेज या विद्यालय खरे नहीं उनकी मान्यता रद करने का प्रस्ताव भी जांच रिपोर्ट के साथ ही सरकार को सौंपे।
'कोट'
नियम-कायदे और कानून से ऊपर कोई भी नहीं। शिक्षा में सुधार के लिए जो रोडमैप तैयार किया गया है उसकी कसौटी पर सबको खरा उतरना होगा। अन्यथा ऐसे संस्थानों के लिए मान्यता बचाना मुश्किल होगा।
डॉ. अशोक चौधरी
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