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शिक्षा विभाग में कोर्ट की अवमानना

 बक्सर : शिक्षकों की प्रोन्नति में पिछली बार फजीहत का सामना कर चुका शिक्षा विभाग उससे सबक लेना नहीं चाहता। विभाग द्वारा की गयी प्रोन्नति को हाईकोर्ट द्वारा रद कर दिए जाने और दोबारा नये सिरे से प्रोन्नति देने के उसके आदेश को विभाग ने ताख पर रख दिया है।
इस तरह कोर्ट की अवमानना करते हुए विभाग ने इस मामले में कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
हैरत की बात यह है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ओंकार प्रसाद ¨सह जब इसके बारे में विभाग से मार्गदर्शन मांग रहे होते हैं। उस समय विभाग के स्थापना डीपीओ द्वारा वेबसाइट पर वही पुरानी सूची को अपलोड कर दी जाती है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या फिर विभाग गलत तरीके से ही शिक्षकों की प्रोन्नति देगा। लेकिन, इस तरह से तो शिक्षकों को कभी भी प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क किया गया लेकिन, उन्होंने बात करना मुनासिब नहीं समझता। ऐसे में उनके पक्ष की जानकारी नहीं मिल सकी।
क्या है प्रोन्नति का यह मामला
मामला प्राथमिक शिक्षकों के स्नातक कोटि में प्रोन्नति का है। वर्ष 2012 में विभाग ने इसके तहत शिक्षकों को प्रोन्नति दी। लेकिन, उसने न तो वरीयता सूची को सही ढंग से बनाया और न ही शिक्षकों को प्रोन्नति देने में अन्य नियमों का अनुपालन किया। इस तरह पैसों का लेनदेन कर चहेते शिक्षकों को लाभान्वित करते हुए प्रोन्नति दे दी गई। हालांकि, जिले में इसका भरपूर विरोध हुआ। प्रशासन ने इसकी जांच भी कराई। जांच में मामला गलत पाया गया। बावजूद, तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी राजीव रंजन ने शिक्षकों की प्रोन्नति सूची जारी कर दी। जिसके बाद इससे नाराज कुछ शिक्षक कोर्ट में चले गये। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान विभाग द्वारा दी गयी प्रोन्नति में नियमों का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में उसे रद कर दिया।
कोर्ट ने दिया है आदेश
विभाग द्वारा किए गये प्रोन्नति में वरीयता सूची में गड़बड़ी समेत अन्य गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने विभाग को प्रोन्नति नियमावली 2011 का अनुपालन करते हुए दोबारा नये सिरे से वरीयता सूची तैयार कर जिले की बेसाइट पर डालने के लिए कहा है। तत्पश्चात, तीस दिनों तक उस पर आपत्ति के लिए शिक्षकों को समय देना है। उसके बाद आपत्तियों के निराकरण के उपरांत स्नातक कला व विज्ञान की अंतिम सूची का प्रकाशन कर प्रोन्नति देनी है। इसके लिए भी तीस दिनों का समय निर्धारित किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में प्राथमिक शिक्षा निदेशक पर भी सवाल खड़ा किया है और कहा है कि जिले से कलक्टर द्वारा गठित की गयी तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट पर वह मौन रह गये हैं।
विभाग ने आननफानन में जारी की पुरानी सूची
हाईकोर्ट के जब पूर्व की प्रोन्नति को रद कर नये सिरे से प्रोन्नति देने का फरमान सुनाया तो विभाग ने उसके आदेशों का अनुकरण करना मुनासिब नहीं समझा और पुरानी शिक्षकों की प्रोन्नत सूची को ही आननफानन में वेबसाइट पर डाल दिया। इस मामले में विभाग को कोर्ट तक ले जाने वाले अंजनी कुमार केशरी ने बताया कि विभाग ने शुरुआत में ही गड़बड़ी करनी शुरू कर दी। जबकि, विभाग को पुराने मामले से सबक लेनी चाहिए।
इनसेट..,
.तब विस में गूंजा था अनियमितता का मामला
- जागरण ने किया था प्रोन्नति में धांधली का खुलासा

बक्सर : उस समय नियमों को पूरी तरह ताख पर रखकर विभाग ने जब अनियमितता की बुनियाद पर शिक्षकों को प्रोन्नति दी तो इसका जिले में विरोध होने लगा। उस दौरान दैनिक जागरण ने इस धांधली का खुलासा किया और मामला इतना गरमाया कि इसकी गूंज विधानसभा तक में सुनाई दी। जिले में हुए विरोध के बाद वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा मामले की जांच की गयी। जांच टीम में शामिल तत्कालीन भूमि सुधार उप समाहर्ता अनिल कुमार झा ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई और दूध का दूध तथा पानी का पानी कर दिया। उसके पश्चात जिलाधिकारी ने भी उसे रद करने की अनुशंसा की। लेकिन, उसके बाद भी तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी राजीव रंजन ने उसे जारी कर दिया। इसके बाद मामला उच्च स्तरीय अधिकारियों व विधानसभा तक पहुंचा। जिसके बाद डीईओ पर कार्रवाई हुई और उन्हें दूसरी जगह तबादला कर दिया गया। दूसरी तरफ कोर्ट में भी मामला पहुंच गया। अभी पिछले दिनों कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। जिसके तहत इस प्रोन्नति को अवैध घोषित करते हुए उसे रद कर दिया गया है।
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