PATNA : टॉपर्स घोटाले को लेकर आई नेक्स्ट की एक और
पड़ताल में बड़ा खुलासा सामने आया है। वह यह कि मूल्यांकन केंद्र पर
फिसड्डी छात्रों को टॉपर बनाने के खेल में तीसरी आंख यानि सीसीटीवी कैमरों
को बंद कर दिया गया था। यह सब इसलिए कि रात में कॉपियां कौन लिख रहा है
इसकी फुटेज किसी के हाथ न लगे।
यह प्लान प्रिंसिपल के साथ घोटाले में लगी पूरी टीम ने तैयार किया था। ऐसे में निगरानी में लगी पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में है.
प्रिंसिपल के चैम्बर में थी कमांड
मूल्यांकन में पारदर्शिता को लेकर डीएम के निर्देश पर राजेंद्रनगर स्थित राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्फ् कैमरे लगाए गए। जिसकी कमांड प्रिंसिपल के चैंबर में थी, इसके बावजूद इन कैमरों से ऐसी कोई फुटेज नहीं मिली है, जो घोटाले का सबूत दे सके। विद्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कैमरा लगाए जाने के बाद से ही बिजली और अन्य तकनीकी बहाना कर उसे करप्ट कर दिया गया। अगर ऐसा नहीं होता तो इस खेल में शामिल हर व्यक्ति गिरफ्त में होता.
रात में लिखी गई घोटाले की कॉपी
सूत्रों का कहना है कि राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय के एक अलग कमरे में हाजीपुर के विशुन राय कॉलेज की कॉपियां रखी गई थी, जिसे दोबारा लिखी गई। और इस काम के लिए छात्र नहीं बल्कि हाजीपुर के दो शिक्षकों ने रात में अंजाम दिया था। रात के सन्नाटे में ये शिक्षक कॉपियों में बच्चों के हल किए गए सवालों को काट कर उसी प्रश्न का उत्तर दोबारा लिख देते थे, जिससे फिसडडी छात्र भी टॉपर की श्रेणी में आ गए।
हैंड राइटिंग मिली तो जाएंगे जेल
माना जा रहा है कि एसआइटी की पड़ताल और एफएसएल की जांच में दोनों शिक्षकों की राइटिंग मिलाई गई तो वे बच नहीं सकते हैं। उनका जेल जाना तय होगा। इसे लेकर विभाग में खलबली मची है.
मूल्यांकन के दौरान नहीं आए अफसर
दूसरी तरफ, मूल्यांकन के दौरान सेंटर पर किसी अफसर के नहीं पहुंचने से व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है। जबकि केंद्र की जांच के लिए डीईओ को लगाया गया था। इतना ही नहीं न तो बोर्ड का और न ही जिला प्रशासन कोई अफसर पहुंचा। सवाल तो यह भी है कि जब मूल्यांकन केंद्र पर मजिस्ट्रेट के रूप में महिला बैंक अफसर को लगाया गया था, उन्होंने मानीटरिंग को लेकर क्या किया? ऐसे और कई सवाल हैं जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.
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यह प्लान प्रिंसिपल के साथ घोटाले में लगी पूरी टीम ने तैयार किया था। ऐसे में निगरानी में लगी पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में है.
प्रिंसिपल के चैम्बर में थी कमांड
मूल्यांकन में पारदर्शिता को लेकर डीएम के निर्देश पर राजेंद्रनगर स्थित राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्फ् कैमरे लगाए गए। जिसकी कमांड प्रिंसिपल के चैंबर में थी, इसके बावजूद इन कैमरों से ऐसी कोई फुटेज नहीं मिली है, जो घोटाले का सबूत दे सके। विद्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कैमरा लगाए जाने के बाद से ही बिजली और अन्य तकनीकी बहाना कर उसे करप्ट कर दिया गया। अगर ऐसा नहीं होता तो इस खेल में शामिल हर व्यक्ति गिरफ्त में होता.
रात में लिखी गई घोटाले की कॉपी
सूत्रों का कहना है कि राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय के एक अलग कमरे में हाजीपुर के विशुन राय कॉलेज की कॉपियां रखी गई थी, जिसे दोबारा लिखी गई। और इस काम के लिए छात्र नहीं बल्कि हाजीपुर के दो शिक्षकों ने रात में अंजाम दिया था। रात के सन्नाटे में ये शिक्षक कॉपियों में बच्चों के हल किए गए सवालों को काट कर उसी प्रश्न का उत्तर दोबारा लिख देते थे, जिससे फिसडडी छात्र भी टॉपर की श्रेणी में आ गए।
हैंड राइटिंग मिली तो जाएंगे जेल
माना जा रहा है कि एसआइटी की पड़ताल और एफएसएल की जांच में दोनों शिक्षकों की राइटिंग मिलाई गई तो वे बच नहीं सकते हैं। उनका जेल जाना तय होगा। इसे लेकर विभाग में खलबली मची है.
मूल्यांकन के दौरान नहीं आए अफसर
दूसरी तरफ, मूल्यांकन के दौरान सेंटर पर किसी अफसर के नहीं पहुंचने से व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है। जबकि केंद्र की जांच के लिए डीईओ को लगाया गया था। इतना ही नहीं न तो बोर्ड का और न ही जिला प्रशासन कोई अफसर पहुंचा। सवाल तो यह भी है कि जब मूल्यांकन केंद्र पर मजिस्ट्रेट के रूप में महिला बैंक अफसर को लगाया गया था, उन्होंने मानीटरिंग को लेकर क्या किया? ऐसे और कई सवाल हैं जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.
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