बक्सर। पिछले महीने की दस तारीख को ही प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा
पत्र जारी कर गैर शैक्षणिक कार्य में लगे प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों
का प्रतिनियोजन रद करने का आदेश दिया गया था। उक्त आदेश का अनुपालन कर बीस
फरवरी तक निदेशक ने अनुपालन प्रतिवेदन की मांग की थी।
लेकिन, यहां विभाग को अब इसकी याद आ रही है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि विभाग ने केवल दिखावे के लिए प्रतिनियोजन रद करने का आदेश जारी किया है या फिर वाकई में उसके द्वारा प्रतिनियोजन रद किया जा रहा है। इस बाबत डीपीओ स्थापना विनायक पांडेय से पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। विलंब के सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
असल में, विभाग पर सवाल इसलिए भी खड़ा होता है क्योंकि, विभाग ने खुद के कार्यालयों में ही शिक्षकों का प्रतिनयोजन कर रखा है। हालांकि, गैर शैक्षणिक कार्य के रूप में शिक्षकों को दस वर्षीय जनगणना, आपदा सहाय्य या चुनाव के कार्य में ही लगाया जा सकता है लेकिन, यहां नियोजन और निगरानी जांच के नाम पर भी शिक्षकों का प्रतिनियोजन कर दिया गया है। सूत्र बताते हैँ कि प्रखंड विकास पदाधिकारियों ने भी अपने स्तर से शिक्षकों का प्रतिनयोजन कर रखा है। जबकि, बीआरसी स्तर पर भी कई शिक्षक प्रतिनियोजित हैं। बहरहाल, विभाग ने निदेशक के आदेश के आलोक में तत्काल प्रभाव से शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद करते हुए शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में योगदान देने का फरमान सुनाया है। पत्र में सख्त रवैया अपनाते हुए यह भी कहा गया है कि यदि भविष्य में यह पाया जाता है कि आदेश निर्गत होने के बाद भी शिक्षक अपने मूल विद्यालय में योगदान नहीं किए हैं तो संबंधित शिक्षक पर तो कार्रवाई होगी ही, उक्त विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। यही नहीं संबंधित शिक्षक उक्त अवधि के वेतन के भी हकदार नहीं होंगे। पत्र के माध्यम से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना विनायक पांडेय ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से तीन दिनों के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। अब देखना है विभाग के इस आदेश पर शिक्षक कितना अमल करते हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लेकिन, यहां विभाग को अब इसकी याद आ रही है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि विभाग ने केवल दिखावे के लिए प्रतिनियोजन रद करने का आदेश जारी किया है या फिर वाकई में उसके द्वारा प्रतिनियोजन रद किया जा रहा है। इस बाबत डीपीओ स्थापना विनायक पांडेय से पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। विलंब के सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
असल में, विभाग पर सवाल इसलिए भी खड़ा होता है क्योंकि, विभाग ने खुद के कार्यालयों में ही शिक्षकों का प्रतिनयोजन कर रखा है। हालांकि, गैर शैक्षणिक कार्य के रूप में शिक्षकों को दस वर्षीय जनगणना, आपदा सहाय्य या चुनाव के कार्य में ही लगाया जा सकता है लेकिन, यहां नियोजन और निगरानी जांच के नाम पर भी शिक्षकों का प्रतिनियोजन कर दिया गया है। सूत्र बताते हैँ कि प्रखंड विकास पदाधिकारियों ने भी अपने स्तर से शिक्षकों का प्रतिनयोजन कर रखा है। जबकि, बीआरसी स्तर पर भी कई शिक्षक प्रतिनियोजित हैं। बहरहाल, विभाग ने निदेशक के आदेश के आलोक में तत्काल प्रभाव से शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद करते हुए शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में योगदान देने का फरमान सुनाया है। पत्र में सख्त रवैया अपनाते हुए यह भी कहा गया है कि यदि भविष्य में यह पाया जाता है कि आदेश निर्गत होने के बाद भी शिक्षक अपने मूल विद्यालय में योगदान नहीं किए हैं तो संबंधित शिक्षक पर तो कार्रवाई होगी ही, उक्त विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। यही नहीं संबंधित शिक्षक उक्त अवधि के वेतन के भी हकदार नहीं होंगे। पत्र के माध्यम से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना विनायक पांडेय ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से तीन दिनों के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। अब देखना है विभाग के इस आदेश पर शिक्षक कितना अमल करते हैं।
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