निश्चय यात्रा पर निकले नीतीश कुमार के नाम सोचने को मजबूर कर देने वाला एक खुला पत्र।
नीतीश बाबु,
सादर प्रणाम
बचपन में जब चिट्ठी लिखना सिखाया जाता था, तब ऐसे ही लिखना शुरू किये थे। भूल-चूक की माफ़ी की गुहार लगा रही हूँ। लोग एगो-दुगो परिवार से परेशान हो जाते हैं, आप तो इतने सारे परिवारों के मुखिया हैं, आपकी परेशानी का आलम हम तो कब्बो सोचियो नहीं सकते हैं।
नीतीश बाबु,
सादर प्रणाम
बचपन में जब चिट्ठी लिखना सिखाया जाता था, तब ऐसे ही लिखना शुरू किये थे। भूल-चूक की माफ़ी की गुहार लगा रही हूँ। लोग एगो-दुगो परिवार से परेशान हो जाते हैं, आप तो इतने सारे परिवारों के मुखिया हैं, आपकी परेशानी का आलम हम तो कब्बो सोचियो नहीं सकते हैं।