टना [जेएनएन]। राजधानी के बांकीपुर हाई स्कूल में शुक्रवार को नजारा जरा हटकर था। वहां पटना के डीएम ने '70 मिनट' की क्लास क्या ली, छात्राओं पर जादू चल गया।
शुरुआत में जो छात्राएं सहम-सहम कर बोल रही थीं, वो थोड़ी देर में ही इतनी फ्रेंडली हो गईं कि सारी परेशानी-उलझनें डीएम साहब के सामने साझा कर दीं।
ठीक एक बजकर 10 मिनट पर डीएम संजय कुमार अग्रवाल बांकीपुर हाई स्कूल गए। वे सीधे 11वीं-12वीं की छात्राओं की संयुक्त कक्षा में पहुंचे। चमकते फ्लैश और कैमरों के बीच छात्राओं ने 'गुड मॉर्निंग सर' कहकर स्वागत किया।
डीएम सीधे दूसरी बेंच की पहली सीट पर किताब खोलकर बैठी छात्रा खुशबू के पास पहुंचे। पूछा 'किस चीज की किताब है?' जवाब मिला, 'फिजिक्स।' फिर पूछा, 'घर पर कितनी देर पढ़ाई करती हो?' छात्रा ने जवाब दिया, '4 बजे से सात बजे तक।'
इसके बाद डीएम ने पूछा, 'क्लास की सबसे तेज लड़की कौन है?' सब चुप। फिर सवाल किया, 'अच्छा! मॉनीटर कौन है?' पहले बेंच की तीसरी सीट पर बैठी छात्रा खड़ी हो गई। डीएम ने नाम पूछा। जवाब मिला- 'रेशमी लक्ष्मी रानी।'
डीएम ने शाबाशी दी और फिर पूरे क्लासरूम से मुखातिब हुए। बोले- 'मन लगाकर पढऩा है। सबसे पहले लक्ष्य तय करना है और फिर उसे पाने के लिए जुट जाना है। जिंदगी में परेशानियां आएंगी, मगर पढ़ाई नहीं छोडऩी है। अभी लगेगा कि बहुत मेहनत करनी पड़ रही मगर बाद में यही मेहनत आपको डॉक्टर-इंजीनियर-डीएम-एसपी बनाएगी। इससे चूकना नहीं है। स्टूडेंट लाइफ फिर न मिलेगी दोबारा।'
पेपर पढ़ते हो, आज की हेडिंग बताओ
डीएम ने कहा कि कंप्यूटर का ज्ञान बहुत जरूरी है। मम्मी-पापा को किसी भी तरह मनाकर अपने अगल-बगल के कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में नाम लिखवाओ। 400-500 रुपये लगेंगे। ये जरूरी है। फिर छात्राओं से पूछा- 'कितने लोग पढ़ते हैं?' सभी छात्राओं ने जोर से कहा- 'हम पढ़ते हैं।' डीएम ने कहा- 'अच्छा! चलो आज के अखबार की कोई हेडिंग बताओ।' छात्राएं बोलीं- 'सर आज तो पेपर ही नहीं आया।' डीएम के साथ जोर से हंसने लगते हैं। डीएम ने कहा- 'चलो, कल की अखबार की ही कोई खबर बताओ।' जवाब मिला- 'आप हमारे स्कूल में आने वाले हैं, पेपर में छपा था।' सब फिर हंसने लगते हैं।
सर! टीचर नहीं है, पानी भी नहीं मिलता
करीब आधे घंटे छात्राओं से बात करने के बाद डीएम ने परेशानियां पूछीं। छात्राएं भी निडर होकर बताने लगीं। सबसे ज्यादा शिकायतें आईं कि टीचर कम हैं। डीएम ने तुंरत प्राचार्या विजया कुमारी से पूछा-'शिक्षक कम हैं क्या? बांकीपुर जैसे स्कूल में जहां इतने बच्चे हैं, टीचर तो होने चाहिए।' प्राचार्या ने जवाब दिया- 'हिंदी, भूगोल और इतिहास के टीचर की कमी है।' एक छात्रा फिर खड़ी होकर बोली- 'सर म्यूजिक टीचर भी नहीं हैं।' डीएम छात्राओं की तरफ देखकर बोले, 'आपलोग चिंता मत कीजिए। बहाली में तो देर लगेगी, हमलोग कुछ एडजस्ट करके इन विषयों के शिक्षकों का इंतजाम करते हैं।'
इसी तरह पीने के पानी को लेकर भी डीएम ने प्राचार्या से सवाल-जवाब किया। स्कूल कैप्टन और मॉनीटर का ड्रेस या कम से कम दुपट्टा अलग रंग में रखने को कहा ताकि वह खास लगे।
डीएम ने साथ गाया 'हम होंगे कामयाब'
दो बजे क्लासरूम से निकलकर डीएम स्कूल कैम्पस में पहुंचे जहां सभी छात्राएं उनके इंतजार में खड़ी थीं। उन्होंने वहां भी सभी छात्राओं को सभी बातों की चिंता छोड़ पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। इसके बाद छात्राओं के साथ डीएम ने 'हम होंगे कामयाब' गीत गाया। उसका मतलब समझाते हुए बोले- 'विश्वास है, तो सफलता जरूर मिलेगी।'
डीएम के साथ शिक्षिकाओं और बच्चों ने तस्वीरें खिंचवाईं। करीब सवा दो बजे डीएम स्कूल से लौट गए।
शुरुआत में जो छात्राएं सहम-सहम कर बोल रही थीं, वो थोड़ी देर में ही इतनी फ्रेंडली हो गईं कि सारी परेशानी-उलझनें डीएम साहब के सामने साझा कर दीं।
ठीक एक बजकर 10 मिनट पर डीएम संजय कुमार अग्रवाल बांकीपुर हाई स्कूल गए। वे सीधे 11वीं-12वीं की छात्राओं की संयुक्त कक्षा में पहुंचे। चमकते फ्लैश और कैमरों के बीच छात्राओं ने 'गुड मॉर्निंग सर' कहकर स्वागत किया।
डीएम सीधे दूसरी बेंच की पहली सीट पर किताब खोलकर बैठी छात्रा खुशबू के पास पहुंचे। पूछा 'किस चीज की किताब है?' जवाब मिला, 'फिजिक्स।' फिर पूछा, 'घर पर कितनी देर पढ़ाई करती हो?' छात्रा ने जवाब दिया, '4 बजे से सात बजे तक।'
इसके बाद डीएम ने पूछा, 'क्लास की सबसे तेज लड़की कौन है?' सब चुप। फिर सवाल किया, 'अच्छा! मॉनीटर कौन है?' पहले बेंच की तीसरी सीट पर बैठी छात्रा खड़ी हो गई। डीएम ने नाम पूछा। जवाब मिला- 'रेशमी लक्ष्मी रानी।'
डीएम ने शाबाशी दी और फिर पूरे क्लासरूम से मुखातिब हुए। बोले- 'मन लगाकर पढऩा है। सबसे पहले लक्ष्य तय करना है और फिर उसे पाने के लिए जुट जाना है। जिंदगी में परेशानियां आएंगी, मगर पढ़ाई नहीं छोडऩी है। अभी लगेगा कि बहुत मेहनत करनी पड़ रही मगर बाद में यही मेहनत आपको डॉक्टर-इंजीनियर-डीएम-एसपी बनाएगी। इससे चूकना नहीं है। स्टूडेंट लाइफ फिर न मिलेगी दोबारा।'
पेपर पढ़ते हो, आज की हेडिंग बताओ
डीएम ने कहा कि कंप्यूटर का ज्ञान बहुत जरूरी है। मम्मी-पापा को किसी भी तरह मनाकर अपने अगल-बगल के कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में नाम लिखवाओ। 400-500 रुपये लगेंगे। ये जरूरी है। फिर छात्राओं से पूछा- 'कितने लोग पढ़ते हैं?' सभी छात्राओं ने जोर से कहा- 'हम पढ़ते हैं।' डीएम ने कहा- 'अच्छा! चलो आज के अखबार की कोई हेडिंग बताओ।' छात्राएं बोलीं- 'सर आज तो पेपर ही नहीं आया।' डीएम के साथ जोर से हंसने लगते हैं। डीएम ने कहा- 'चलो, कल की अखबार की ही कोई खबर बताओ।' जवाब मिला- 'आप हमारे स्कूल में आने वाले हैं, पेपर में छपा था।' सब फिर हंसने लगते हैं।
सर! टीचर नहीं है, पानी भी नहीं मिलता
करीब आधे घंटे छात्राओं से बात करने के बाद डीएम ने परेशानियां पूछीं। छात्राएं भी निडर होकर बताने लगीं। सबसे ज्यादा शिकायतें आईं कि टीचर कम हैं। डीएम ने तुंरत प्राचार्या विजया कुमारी से पूछा-'शिक्षक कम हैं क्या? बांकीपुर जैसे स्कूल में जहां इतने बच्चे हैं, टीचर तो होने चाहिए।' प्राचार्या ने जवाब दिया- 'हिंदी, भूगोल और इतिहास के टीचर की कमी है।' एक छात्रा फिर खड़ी होकर बोली- 'सर म्यूजिक टीचर भी नहीं हैं।' डीएम छात्राओं की तरफ देखकर बोले, 'आपलोग चिंता मत कीजिए। बहाली में तो देर लगेगी, हमलोग कुछ एडजस्ट करके इन विषयों के शिक्षकों का इंतजाम करते हैं।'
इसी तरह पीने के पानी को लेकर भी डीएम ने प्राचार्या से सवाल-जवाब किया। स्कूल कैप्टन और मॉनीटर का ड्रेस या कम से कम दुपट्टा अलग रंग में रखने को कहा ताकि वह खास लगे।
डीएम ने साथ गाया 'हम होंगे कामयाब'
दो बजे क्लासरूम से निकलकर डीएम स्कूल कैम्पस में पहुंचे जहां सभी छात्राएं उनके इंतजार में खड़ी थीं। उन्होंने वहां भी सभी छात्राओं को सभी बातों की चिंता छोड़ पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। इसके बाद छात्राओं के साथ डीएम ने 'हम होंगे कामयाब' गीत गाया। उसका मतलब समझाते हुए बोले- 'विश्वास है, तो सफलता जरूर मिलेगी।'
डीएम के साथ शिक्षिकाओं और बच्चों ने तस्वीरें खिंचवाईं। करीब सवा दो बजे डीएम स्कूल से लौट गए।