शिक्षक आंदोलन अपनी स्वभाविकता में खुद ही जरूरी आकार और प्रकार ग्रहण करेगा ! शिक्षक समाज पर यकीन रखिये ! जिस दिन वो उतरेंगे सडक पर शिक्षकों का स्वभाविक मोर्चा सामने होगा !
फिलहाल जानकारी के लिए बता दूं की अलग तंबू तानने में उन्ही की दिलचस्पी दिखती रही है जो अपने भाईयों से ज्यादा हासिल करने में भिडे रहे हैं ! बाकि बिहार के सरकारी विद्यालयों की आन बान और शान टीईटी शिक्षकों का एक ही नारा है और रहेगा - समान काम के लिए समान वेतन हम लेकर रहेंगे !
टीईटी शिक्षकों की अपने पेशे और अपने आंदोलन के प्रति धारणा स्पष्ट है ! हम शिक्षकों के हर बडे एकता के पक्षधर हैं साथ ही उस एकता के प्रयोजनों के पारदर्शिता के भी हिमायती हैं !
1)वो टीईटी शिक्षक नही थे जो वरीयता का राग अलाप रहे थे !
2) वो टीईटी शिक्षक नही थे उडीसा माडल की हिमायत कर रहे थे !
3) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ग्रेड पे से अंट्रैंड की वंचना पर चुप्पी साधे हुए थे !
4) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ग्रेड पे के लिए ट्रेंड को भी दो वर्ष की सेवा अवधि की अनिवार्यता में फसते देख ताली पीट रहे थे !
5) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो चाईनीज वेतनमान पर अबीर गुलाल उडा रहे थे !
6) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ट्रेनिंग के लिए दर दर भटकने व सरकारी अकर्मण्यता झेलते अपने भाईयों का मजाक उडा रहे थे !
7) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो चाईनीज वेतनमान पर लहमालोट हो समान काम के लिए समान वेतन बोलना भूल गये !
8) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो नियमितों से प्रेरणा ग्रहण कर अपनी मूंछें ऐंठते हैं और वरीय स्नातक प्रशिक्षितों को वरीय मानने में अपमान महसूस करते हैं !
9) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो 2015 में भी दो दिन बाद हडताल में शामिल हुए !
10) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो अपने नजर के सामने बिहार के सरकारी स्कूली व्यवस्था के विध्वंस पर मौन साधे हुए हैं डेढ दशक से !
जनाब , जब से आयी है टीईटी शिक्षकों की कतार , शिक्षक आंदोलन के अग्रिम कतार में खडे होकर शिक्षा और शिक्षक से संबद्ध हर मसले पर मुखरता के साथ सक्रिय रही है ! ना सिर्फ विद्यालयों में बल्कि संकुल से लेकर बीआरसी ,जिला से सचिवालय तक शिक्षा और सरकारी विद्यालयों में सुधार को लेकर, शिक्षकों के समान वेतन को लेकर आवाज उठाती रही है !नियोजित शिक्षकों की बंधुआगिरी पर हमला करना हो या समान स्कूल प्रणाली आयोग की सिफारिश को लागू करने की मांग, शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने की मांग हो या शिक्षकों को समान काम के समान वेतन देने का मांग - टीईटी शिक्षक नवजात अवस्था से ही पुरे बुलंदी के साथ यह सवाल उठा रहे हैं !
आगे भी हर मोड पर हम टीईटी शिक्षक बिहार के व्यापक शिक्षक आंदोलन के साथ रहेंगे ! नियोजित शिक्षकों की बडी एकता बनेगी ! पर यह बडी एकता पिछले आंदोलनों से हासिल सबक के बुनियाद पर बनेगी ! टीईटी शिक्षक अपनी गलती दोहराने की स्थिति में कदापि नही हैं ! नियोजित शिक्षकों की महाएकता न्यूनतम साझा मांगों पर बनेगी !
हम तमाम टीईटी शिक्षकों से अपील करते हैं शिक्षक संघर्ष की पूर्वबेला में अपनी ताकत इतनी बढा लें कि महाएकता के दौर में कोई महाएकता, टीईटी शिक्षकों के साथ 2015 की तरह गद्दारी नही कर सके, ना ही न्यूनतम साझा मांगों में वरीयता की चिल्ल पों फिर से देखने को मिले ! वास्तव में यह तभी संभव होगा जब बिहार का हर टीईटी शिक्षक अपने वास्तविक कानूनी अधिकारों को समझे, अपने तबकाई एकता को मजबूत कर लें !
याद रखिये, घर मजबूत रहेगा तभी समाज में इज्जत व अधिकार पा सकते हैं ठीक वैसे ही टीईटी शिक्षकों को अपने घर को मजबूत बनानी चाहिए तभी व्यापक नियोजित शिक्षक समाज में उनके मांग की कद्र होगी और महाएकता में उनके हक के साथ गद्दारी करने का कोई साहस नही करेगा !
हमारे कुछ साथी इतिहास को नजरअंदाज कर एकता --एकता की अंध नारेबाजी में तथ्यों को नजरअंदाज कर षडयंत्रकारी संगठनों के पुतले बनते दिख रहे हैं उनसे भी मेरी अपील होगी की , हम न्यूनतम साझा मसलों पर नियोजित शिक्षकों की महाएकता के पक्षधर हैं और इस ठोस सच्चाई से भी वाकिफ, कि बगैर टीईटी शिक्षकों के मजबूत एकता के न्यूनतम साझा मांग कभी भी अपना घृणित इतिहास दुहरा सकता हैं !
लिहाजा आईये हम सब बक्सर से किशनगंज तक, बांका से बेतिया तक, अखिल बिहार स्तर पर टीईटी शिक्षकों के संघर्षों की लहर पैदा करें !
फिलहाल जानकारी के लिए बता दूं की अलग तंबू तानने में उन्ही की दिलचस्पी दिखती रही है जो अपने भाईयों से ज्यादा हासिल करने में भिडे रहे हैं ! बाकि बिहार के सरकारी विद्यालयों की आन बान और शान टीईटी शिक्षकों का एक ही नारा है और रहेगा - समान काम के लिए समान वेतन हम लेकर रहेंगे !
टीईटी शिक्षकों की अपने पेशे और अपने आंदोलन के प्रति धारणा स्पष्ट है ! हम शिक्षकों के हर बडे एकता के पक्षधर हैं साथ ही उस एकता के प्रयोजनों के पारदर्शिता के भी हिमायती हैं !
1)वो टीईटी शिक्षक नही थे जो वरीयता का राग अलाप रहे थे !
2) वो टीईटी शिक्षक नही थे उडीसा माडल की हिमायत कर रहे थे !
3) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ग्रेड पे से अंट्रैंड की वंचना पर चुप्पी साधे हुए थे !
4) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ग्रेड पे के लिए ट्रेंड को भी दो वर्ष की सेवा अवधि की अनिवार्यता में फसते देख ताली पीट रहे थे !
5) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो चाईनीज वेतनमान पर अबीर गुलाल उडा रहे थे !
6) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो ट्रेनिंग के लिए दर दर भटकने व सरकारी अकर्मण्यता झेलते अपने भाईयों का मजाक उडा रहे थे !
7) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो चाईनीज वेतनमान पर लहमालोट हो समान काम के लिए समान वेतन बोलना भूल गये !
8) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो नियमितों से प्रेरणा ग्रहण कर अपनी मूंछें ऐंठते हैं और वरीय स्नातक प्रशिक्षितों को वरीय मानने में अपमान महसूस करते हैं !
9) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो 2015 में भी दो दिन बाद हडताल में शामिल हुए !
10) वो टीईटी शिक्षक नही थे जो अपने नजर के सामने बिहार के सरकारी स्कूली व्यवस्था के विध्वंस पर मौन साधे हुए हैं डेढ दशक से !
जनाब , जब से आयी है टीईटी शिक्षकों की कतार , शिक्षक आंदोलन के अग्रिम कतार में खडे होकर शिक्षा और शिक्षक से संबद्ध हर मसले पर मुखरता के साथ सक्रिय रही है ! ना सिर्फ विद्यालयों में बल्कि संकुल से लेकर बीआरसी ,जिला से सचिवालय तक शिक्षा और सरकारी विद्यालयों में सुधार को लेकर, शिक्षकों के समान वेतन को लेकर आवाज उठाती रही है !नियोजित शिक्षकों की बंधुआगिरी पर हमला करना हो या समान स्कूल प्रणाली आयोग की सिफारिश को लागू करने की मांग, शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने की मांग हो या शिक्षकों को समान काम के समान वेतन देने का मांग - टीईटी शिक्षक नवजात अवस्था से ही पुरे बुलंदी के साथ यह सवाल उठा रहे हैं !
आगे भी हर मोड पर हम टीईटी शिक्षक बिहार के व्यापक शिक्षक आंदोलन के साथ रहेंगे ! नियोजित शिक्षकों की बडी एकता बनेगी ! पर यह बडी एकता पिछले आंदोलनों से हासिल सबक के बुनियाद पर बनेगी ! टीईटी शिक्षक अपनी गलती दोहराने की स्थिति में कदापि नही हैं ! नियोजित शिक्षकों की महाएकता न्यूनतम साझा मांगों पर बनेगी !
हम तमाम टीईटी शिक्षकों से अपील करते हैं शिक्षक संघर्ष की पूर्वबेला में अपनी ताकत इतनी बढा लें कि महाएकता के दौर में कोई महाएकता, टीईटी शिक्षकों के साथ 2015 की तरह गद्दारी नही कर सके, ना ही न्यूनतम साझा मांगों में वरीयता की चिल्ल पों फिर से देखने को मिले ! वास्तव में यह तभी संभव होगा जब बिहार का हर टीईटी शिक्षक अपने वास्तविक कानूनी अधिकारों को समझे, अपने तबकाई एकता को मजबूत कर लें !
याद रखिये, घर मजबूत रहेगा तभी समाज में इज्जत व अधिकार पा सकते हैं ठीक वैसे ही टीईटी शिक्षकों को अपने घर को मजबूत बनानी चाहिए तभी व्यापक नियोजित शिक्षक समाज में उनके मांग की कद्र होगी और महाएकता में उनके हक के साथ गद्दारी करने का कोई साहस नही करेगा !
हमारे कुछ साथी इतिहास को नजरअंदाज कर एकता --एकता की अंध नारेबाजी में तथ्यों को नजरअंदाज कर षडयंत्रकारी संगठनों के पुतले बनते दिख रहे हैं उनसे भी मेरी अपील होगी की , हम न्यूनतम साझा मसलों पर नियोजित शिक्षकों की महाएकता के पक्षधर हैं और इस ठोस सच्चाई से भी वाकिफ, कि बगैर टीईटी शिक्षकों के मजबूत एकता के न्यूनतम साझा मांग कभी भी अपना घृणित इतिहास दुहरा सकता हैं !
लिहाजा आईये हम सब बक्सर से किशनगंज तक, बांका से बेतिया तक, अखिल बिहार स्तर पर टीईटी शिक्षकों के संघर्षों की लहर पैदा करें !