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SC ने कहा-चपरासी से भी कम क्यों है शिक्षकों का वेतन, खुशी से उड़े गुलाल

पटना [जागरण टीम]। सुप्रीम कोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन मामले में बिहार सरकार की रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताते हुए पूछा है कि जो शिक्षक छात्रों का भविष्‍य निर्धारित करते हैं, उनका वेतन चपरासी के वेतन से कम क्‍यों है? कोर्ट ने पूछा है कि जब चपरासी का वेतन 36 हजार है फिर नियोजित शिक्षकों का 26 हजार क्यों ?
इस मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी। कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार की अध्यक्षता में बनी कमिटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है।

समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पिछले दस सालों से संघर्षरत नियोजित शिक्षकों की अब बल्ले-बल्ले है। गुरुवार का दिन गुरुजी के लिए खास सौगात लेकर आया। इस मसले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षकों ने यहां एक साथ होली व दिवाली मनाई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार की तमाम दलीलों व प्रस्तावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि शिक्षा जैसे अहम मसले की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

बेगूसराय में शिक्षकों ने बिहार सरकार के प्रति जताई नाराजगी
बेगूसराय समान काम के बदले समान वेतन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट के रुख पर शिक्षकों में उम्मीद की किरण जगी है। शिक्षकों ने  बिहार सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षकों का कहना है कि सरकार को अपने कर्म का फल भुगतना ही पड़ेगा। ज
ब हाईकोर्ट ने इसी मामले में निर्णय सुना दिया था तो सरकार को अपने ही कर्मचारियों के खिलाफ अपील में जाने की क्या जरूरत थी। खुशी जाहिर करते हुए शिक्षकों के अपने दिन बहुरने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों में खुशी 
औरंगाबाद में  भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय पर शिक्षकों ने खुशी व्यक्त की है। फैसला सुनने दिल्ली पहुंचे बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव धनंजय कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष रमेश कुमार सिंह एवं प्रधान सचिव विनय यादव ने बताया कि कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है।

शिक्षकों को कोर्ट के उपर पूरा भरोसा है कि वह हम शिक्षकों के समर्थन में ही अपनी फैसला देगा। अब सभी नियोजित शिक्षकों की निगाह 27 मार्च को होने वाले सुनवाई पर टिकी है।
जिला मीडिया प्रभारी अशोक पांडेय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय है। शिक्षक विरोधी बिहार सरकार समान काम समान वेतन देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है। उच्च न्यायालय द्वारा समान काम समान वेतन लागू करने के बाद भी सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। सरकार के इस रवैये के कारण शिक्षकों को कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने अपने इस अहम फैसले में न केवल शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने संबंधी पटना हाईकोर्ट के निर्णय को लागू करने का निर्देश दिया बल्कि यह भी कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार गत 2009 से बकाया राशि का भुगतान सरकार कैसे करेगी यह केंद्र व राज्य सरकार मिलकर तय करें और इसकी जानकारी आगामी 27 मार्च को कोर्ट को दे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्साहित नियोजित शिक्षकों ने बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष के साथ मिलकर जश्न मनाया। सैकड़ों की संख्या में स्थानीय बीआरसी में जुटे नियोजित शिक्षकों ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि यह शिक्षकों की एकजुटता व उनके अथक संघर्ष की जीत है। इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई और खूब अबीर गुलाल उड़े।
उधर इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने दिल्ली गये बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पंकज कुमार मंटू, सचिव राजेश कुमार, कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार व हरेंद्र सिंह ने फोन पर शिक्षक साथियों को बधाई दी। शिक्षक नेताओं ने इस जीत को सभी नियोजित शिक्षकों के सहयोग का प्रतिफल बताया।
सिवान में भी खूब उड़े गुलाल, मनी होली

वहीं  सिवान में भी  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पचरुखी के शिक्षकों ने  स्वागत किया है। स्वागत करने वालों में बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव मुन्ना कुमार, पचरुखी अध्यक्ष अमरलाल चौधरी, जिला प्रतिनिधि अमूल कुमार, संतोष कुमार, कोषाध्यक्ष मनोज कुशवाहा, राज्य प्रतिनिधि अजय शर्मा आदि दर्जनों शिक्षक मौजूद थे। वहीं हसनपुरा के शिक्षकों ने भी इसका स्वागत किया है कहा कि अगली सुनवाई 27 मार्च को होनी है जिसका भी इंतजार रहेगा।

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