स्थायी नौकरी की मांग कर रहे कंप्यूटर शिक्षक लगातार 69 दिनों से गर्दनीबाग
में आमरण अनशन पर हैं। कंप्यूटर शिक्षकों ने रविवार को मुख्यमंत्री से
मिलने का कार्यक्रम रखा।
लेकिन उनकी मुलाकात सीएम से नहीं हो सकी। इसके बाद धरना पर बैठे शिक्षकों ने आपात बैठक की और कहा कि अब संघ के अध्यक्ष, महासचिव और अन्य नेता सीधे इस आंदोलन की कमान संभालेंगे। अब खुद अध्यक्ष अनशन पर बैठेंगे।
इसके अलावे सभी जोनल हेड भी अपने जिला के शिक्षकों के साथ अनशन पर बैठेंगे। शिक्षकों ने कहा कि अब सरकार हमें उग्र प्रदर्शन करने के लिए उकसा रही है। हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे। हम सामूहिक आत्मदाह भी कर सकते हैं। महासचिव विनोद कुमार सिन्हा ने कहा कि अध्यक्ष के अनशन पर बैठने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है। इसके लिए हम एक-दो दिन में सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई का निर्णय ले सकते हैं। हम सभी अनशन पर बैठेंगे। शिक्षक सूर्य प्रकाश तरुण ने कहा कि नौकरी जाने के बाद हमारे घर के लोगों ने रुपए सूद पर लेकर हमें धरने पर भेजा है। इस आस में कि हमारी नौकरी हो जाएगी, लेकिन हमारी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। रविवार को धरना पर बैठने वालों में रामपुकार भगत, शैलेन्द्र कुमार, अभिषेक प्रसाद, धर्मेंद्र कुमार, गुड्डू कुमार, ज्ञान सरोवर, कौशल गौरव आदि थे।
लेकिन उनकी मुलाकात सीएम से नहीं हो सकी। इसके बाद धरना पर बैठे शिक्षकों ने आपात बैठक की और कहा कि अब संघ के अध्यक्ष, महासचिव और अन्य नेता सीधे इस आंदोलन की कमान संभालेंगे। अब खुद अध्यक्ष अनशन पर बैठेंगे।
इसके अलावे सभी जोनल हेड भी अपने जिला के शिक्षकों के साथ अनशन पर बैठेंगे। शिक्षकों ने कहा कि अब सरकार हमें उग्र प्रदर्शन करने के लिए उकसा रही है। हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे। हम सामूहिक आत्मदाह भी कर सकते हैं। महासचिव विनोद कुमार सिन्हा ने कहा कि अध्यक्ष के अनशन पर बैठने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है। इसके लिए हम एक-दो दिन में सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई का निर्णय ले सकते हैं। हम सभी अनशन पर बैठेंगे। शिक्षक सूर्य प्रकाश तरुण ने कहा कि नौकरी जाने के बाद हमारे घर के लोगों ने रुपए सूद पर लेकर हमें धरने पर भेजा है। इस आस में कि हमारी नौकरी हो जाएगी, लेकिन हमारी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। रविवार को धरना पर बैठने वालों में रामपुकार भगत, शैलेन्द्र कुमार, अभिषेक प्रसाद, धर्मेंद्र कुमार, गुड्डू कुमार, ज्ञान सरोवर, कौशल गौरव आदि थे।