बोर्ड में कम मार्क्स का खामियाजा बिहार के स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता है और वो देश की टॉप यूनिवर्सिटिज में दाखिला लेने से वंचित हो जाते हैं.
मुख्य सचिव अंजनी सिंह ने गुरुवार को बताया कि बिहार बोर्ड के प्रश्नपत्रों को सीबीएसई की तर्ज पर तैयार कराया जाएगा, ताकि राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों की भी शत-प्रतिशत अंक हासिल करने की संभावना बढ़ सके.
आपको बता दें कि बिहार बोर्ड की साइंस टॉपर खुशबू ने न्यूज18 हिंदी से बात करते हुए कहा था कि मैं साइंस टॉपर हूं लेकिन रिजल्ट से बिल्कुल खुश नहीं हूं. मुझे उम्मीद थी मेरे 95 फीसदी से ज्यादा मार्क्स आएंगे लेकिन उन्हें 500 में से कुल 431 यानि 86.2 फीसदी अंक मिले हैं. इस नंबर में डीयू के अच्छे कॉलेज में दाखिला मिलना मुश्किल है. जबकि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स के स्टूडेंट्स को 97 और 98 फीसदी तक अंक हासिल होते हैं.
उन्होंने आगे कहा बताया कि अब मात्र 1 प्रतिशत बच्चे (2 लाख) स्कूलों के दायरे से बाहर रह गए हैं. इनमें अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक वर्ग और आर्थिक-सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़े वर्ग के बच्चे ज्यादा हैं.राज्य में 947 प्राथमिक विद्यालयों के लिए जमीन मिल गई है. वहां पर जल्द भवन का निर्माण शुरू कराया जाएगा. राज्य में तमाम कोशिशों के बावजूद गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और संस्कृत के शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं. इस समस्या से निपटने के लिए माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में ई-लर्निंग की व्यवस्था शुरू होगी.
मुख्य सचिव अंजनी सिंह ने गुरुवार को बताया कि बिहार बोर्ड के प्रश्नपत्रों को सीबीएसई की तर्ज पर तैयार कराया जाएगा, ताकि राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों की भी शत-प्रतिशत अंक हासिल करने की संभावना बढ़ सके.
आपको बता दें कि बिहार बोर्ड की साइंस टॉपर खुशबू ने न्यूज18 हिंदी से बात करते हुए कहा था कि मैं साइंस टॉपर हूं लेकिन रिजल्ट से बिल्कुल खुश नहीं हूं. मुझे उम्मीद थी मेरे 95 फीसदी से ज्यादा मार्क्स आएंगे लेकिन उन्हें 500 में से कुल 431 यानि 86.2 फीसदी अंक मिले हैं. इस नंबर में डीयू के अच्छे कॉलेज में दाखिला मिलना मुश्किल है. जबकि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स के स्टूडेंट्स को 97 और 98 फीसदी तक अंक हासिल होते हैं.
उन्होंने आगे कहा बताया कि अब मात्र 1 प्रतिशत बच्चे (2 लाख) स्कूलों के दायरे से बाहर रह गए हैं. इनमें अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक वर्ग और आर्थिक-सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़े वर्ग के बच्चे ज्यादा हैं.राज्य में 947 प्राथमिक विद्यालयों के लिए जमीन मिल गई है. वहां पर जल्द भवन का निर्माण शुरू कराया जाएगा. राज्य में तमाम कोशिशों के बावजूद गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और संस्कृत के शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं. इस समस्या से निपटने के लिए माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में ई-लर्निंग की व्यवस्था शुरू होगी.