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रुटीन से नहीं, बल्कि शिक्षकों की मर्जी से होती है विद्यालय में पढ़ाई

नालंदा। तमाम सरकारी व प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद जिले के सरकारी विद्यालयों में बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके बहुत सारे कारण है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक तो जिले के प्राय: प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की घोर किल्लत है।
तो दूसरी बड़ी समस्या किसी विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति न होना भी इसकी बड़ी वजह है। इससे इतर भी कई प्रकार की समस्याएं है। जो हमारे शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और मजबूत बनाने में बाधक साबित हो रहा है। जबकि एक ओर सरकार बच्चों में शिक्षा के प्रति रुझान और पढ़ने की रुचि जगे इसके लिए विद्यालयों में कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। जैसे पोशाक राशि, साइकिल राशि सहित विभिन्न प्रकार की योजनाओं शामिल है। इतना ही नहीं इन योजनाओं पर पानी की तरह पैसा भी बहाया जा रहा है। बावजूद सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है। तो इसके लिए कहीं न कहीं हमारा सिस्टम कमजोर साबित हो रहा है।
संजीत कुमार, चंडी : जश्ने आजादी के एक साल बाद ही चंडी प्रखंड में बापू उच्च विद्यालय की नींव रखी गई थी। एक समय था कि इस विद्यालय में छात्र नामांकन लेने के लिए काफी लालायित रहते थे पर वर्तमान समय में परिस्थितियां कुछ और ही बयां करता है। जब जागरण की टीम अपने मुहिम के तहत चंडी प्रखंड के बापू उच्च विद्यालय पहुंची। तो वहां के दृश्य देखकर अचंभा रह गई। विद्यालय में शिक्षक मौजूद हैं तो पर्याप्त छात्र नहीं हैं। तो किसी वर्ग कक्ष में बिना शिक्षक के छात्र बैठे है। उक्त दृश्य को देखकर लग नहीं रहा था कि हम किसी प्लस टू हाई स्कूल विद्यालय में आए हैं। सब कुछ अपनी मर्जी से चल रहा है। ओवर ऑल विद्यालय में पढ़ाई शिक्षकों की उदासीनता के कारण चौपट हो रही है। तभी तो इस विद्यालय के दशम वर्ग के छात्रों को बिहार के राज्यपाल और देश के राष्ट्रपति तक का नाम नहीं मालूम है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है हमारे बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। इन सब हालातों को देखने के बाद ऐसा मालूम पड़ता है। कि हम अपने सिस्टम से हार चुके है। तभी न इसे नजर अंदाज कर रहे है। वाकई अगर परिस्थितियां ऐसी ही बनी रही तो आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक योग्य शिक्षक भी नहीं मिल पाएगा।
एक नजर डाले इस विद्यालय पर
स्कूल का नाम : +2 बापू उच्च विद्यालय, चंडी
स्थापना : वर्ष 1948
छात्रों की कुल संख्या : 876
कुल शिक्षक की संख्या : 16
प्लस में छात्रों की संख्या : 150
साइंस में छात्र : 120
आ‌र्ट्स : 30
कुल टीचर : 4
इलेवन में अभी नामांकन नहीं हुआ है। 8 अगस्त से शुरू
-प्लस का दर्जा मिला : 2013
विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या
-प्लस टू विषयों में एक भी शिक्षक मौजूद नहीं
-विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति औसत से कम
-अपनी मन मर्जी से शिक्षक लेते है क्लास
- अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं के बराबर होती है।
रियलिटी टेस्ट में फेल हुए छात्र
प्रश्न : भारत के राष्ट्रपति कौन है।
उत्तर। नरेन्द्र मोदी।
प्रश्न: बिहार के राज्यपाल कौन है।
उत्तर : नहीं पता
प्रश्न. नालंदा के डीएम कौन है।
उत्तर : नहीं पता
क्या कहते हैं छात्र
छात्र अभिषेक कुमार ने बताया कि विद्यालय में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई नहीं के बराबर होती है। वहीं हाल साइंस विषय का है। इस विषय की भी पढ़ाई वर्ग में सप्ताह में दो से तीन दिन ही होती है। इसके चलते सभी छात्र को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इन विषयों को पढ़ने के लिए हमें ट्यूशन पर आश्रित होना पड़ता है।
छात्र अंकित कुमार के अलावा कक्षा में मौजूद कई छात्रों ने कुछ शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाया है। छात्रों का कहना है कि
यहां किसी भी वर्ग में रूटीन के मुताबिक विषयों की पढ़ाई नहीं होती है। शिक्षक वर्ग में आते और अपने मन मुताबिक विषय पढ़ाते है।
छात्र अखिल कुमार का कहना है कि +2 विद्यालय में मात्र चार शिक्षक मौजूद है। जिसमें आ‌र्ट्स विषय के शिक्षक मौजूद है। वहीं साइंस में सिर्फ जीव विज्ञान के शिक्षक मौजूद है। बाकि अन्य विषयों के शिक्षक काफी दिनों से नहीं है। इसलिए साइंस विषय की पढ़ाई में काफी दिक्कत होती है।
छात्र शिवशंकर कुमार ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाई नियमित पूर्वक नहीं होती है। इसके कारण हम लोगों का कोर्स पूरा नहीं हो पाता है। पढ़ाई ठीक से नहीं होने की वजह से परीक्षा में भी कम अंक प्राप्त होता है। इसके चलते हम सभी छात्रों को परीक्षा पास करने में परेशानी होती है। उसने बताया कि कुछ शिक्षक वर्ग कक्ष में पढ़ाना भी चाहते हैं तो बच्चे पढ़ना नहीं चाहता है।
बोलीं प्रधानाध्यापिका

विद्यालय के प्राचार्या डॉ. मीणा गुप्ता ने कहा कि पर्याप्त शिक्षकों की संख्या न होने के कारण सभी वर्ग कक्ष में मुकम्मल पढ़ाई नहीं हो पाती है। उन्होंने बताया कि जिस विषय के शिक्षक है छात्र उस विषय की पढ़ाई करना नहीं चाहते है। विद्यालय में छात्रों के लिए प्रैक्टिकल की भी उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने बताया कि सेकेंडरी में सभी विषयों की पढ़ाई नियमित और समय से होती है।

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