मुंगेर। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने अपनी नौ सूत्री मांगों को
लेकर शनिवार को समाहरणालय का घेराव किया। इससे पहले शिक्षकों ने शहर में
प्रदर्शन किया। नीलम सिनेमा के निकट स्थित शिक्षक संघ भवन के निकट से
प्रदर्शन करते हुए शिक्षक समाहरणालय तक पहुंचे।
इसके बाद उनका एक प्रतिनिधिमंडल जिलाध्यक्ष ज्योतिष प्रसाद ¨सह के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिलकर अपना 9 सूत्री ज्ञापन सौंपा। इसके तहत शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा को 1 जनवरी 2016 से लागू करने तथा नियोजित शिक्षक को इसी अनुसार वेतन देने, प्राथमिक शिक्षा का विकास एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर प्रारंभिक शिक्षक आयोग का गठन किए जाने, नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली का शीघ्र प्रकाशन करने, 8 वर्षो की योग्यता रखने वाले स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को एक हजार रुपये प्रतिमाह की वृद्धि, दक्षता परीक्षा पास शिक्षकों की बकाया राशि का भुगतान, नियुक्ति तिथि से ग्रेड पे का भुगतान किए जाने, नियोजित शिक्षकों के वेतन निर्धारण में हुई विसंगतियों को दूर किए जाने, स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान में प्रोन्नत शिक्षकों को एसीपी का लाभ नहीं देने के कारण ग्रेड पे तथा वेतन में आई कमी की भरपाई करने, प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद सृजित करने एवं कोषागार के माध्यम से सभी का वेतन ससमय भुगतान किए जाने सहित अन्य मांग शामिल है।
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मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण
संवाद सूत्र, मुंगेर। अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक संघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव नवल किशोर प्रसाद ¨सह ने 50 वर्ष उम्र सीमा पार कर चुके शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृति दिए जाने से संबंधित मुख्यमंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शिक्षक नेता ने कहा कि बिहार में प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। राज्य के दो करोड़ से अधिक छात्रों को शैक्षणिक सत्र शुरू होने के चार महीने बाद तक किताब नहीं मिल पाया है। शिक्षकों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। राज्य के अल्पसंख्यक तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों को विगत 15 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा सका है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि राज्य के सभी नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतनमान तथा सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने कहा कि जब संसद एवं विधानमंडल के सभी नये तथा पुराने प्रतिनिधियों को समान सुविधा दी जा रही है, तो फिर शिक्षकों को एक समान सुविधा क्यों नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षाफल के खराब आंकड़ों के लिए सरकार तथा व्यवस्था को दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 2 लाख शिक्षकों का पद विगत दो दशक से खाली पड़ा हुआ है। विषयवार शिक्षक की उपलब्ध्ता नहीं होने के कारण बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। सरकार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य करवा रही है। वहीं शिक्षक पर दोषारोपण कर रही है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके बाद उनका एक प्रतिनिधिमंडल जिलाध्यक्ष ज्योतिष प्रसाद ¨सह के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिलकर अपना 9 सूत्री ज्ञापन सौंपा। इसके तहत शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा को 1 जनवरी 2016 से लागू करने तथा नियोजित शिक्षक को इसी अनुसार वेतन देने, प्राथमिक शिक्षा का विकास एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर प्रारंभिक शिक्षक आयोग का गठन किए जाने, नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली का शीघ्र प्रकाशन करने, 8 वर्षो की योग्यता रखने वाले स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को एक हजार रुपये प्रतिमाह की वृद्धि, दक्षता परीक्षा पास शिक्षकों की बकाया राशि का भुगतान, नियुक्ति तिथि से ग्रेड पे का भुगतान किए जाने, नियोजित शिक्षकों के वेतन निर्धारण में हुई विसंगतियों को दूर किए जाने, स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान में प्रोन्नत शिक्षकों को एसीपी का लाभ नहीं देने के कारण ग्रेड पे तथा वेतन में आई कमी की भरपाई करने, प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद सृजित करने एवं कोषागार के माध्यम से सभी का वेतन ससमय भुगतान किए जाने सहित अन्य मांग शामिल है।
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मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण
संवाद सूत्र, मुंगेर। अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक संघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव नवल किशोर प्रसाद ¨सह ने 50 वर्ष उम्र सीमा पार कर चुके शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृति दिए जाने से संबंधित मुख्यमंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शिक्षक नेता ने कहा कि बिहार में प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। राज्य के दो करोड़ से अधिक छात्रों को शैक्षणिक सत्र शुरू होने के चार महीने बाद तक किताब नहीं मिल पाया है। शिक्षकों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। राज्य के अल्पसंख्यक तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों को विगत 15 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा सका है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि राज्य के सभी नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतनमान तथा सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने कहा कि जब संसद एवं विधानमंडल के सभी नये तथा पुराने प्रतिनिधियों को समान सुविधा दी जा रही है, तो फिर शिक्षकों को एक समान सुविधा क्यों नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षाफल के खराब आंकड़ों के लिए सरकार तथा व्यवस्था को दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 2 लाख शिक्षकों का पद विगत दो दशक से खाली पड़ा हुआ है। विषयवार शिक्षक की उपलब्ध्ता नहीं होने के कारण बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। सरकार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य करवा रही है। वहीं शिक्षक पर दोषारोपण कर रही है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।