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शिक्षकों को जबरन हटाने का किया विरोध

बिहारशरीफ :  सरकार शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करने के बजाय अब उनका शोषण कर रही है. शासन पर ब्यूरोक्रेसी हावी हो गया है. उक्त बातें शुक्रवार को बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष हरेंद्र चौधरी ने कही. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने, पुरानी पेंशन को लागू करने व समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के बजाय सरकार 50 की उम्र पार कर गये शिक्षकों को जबरन हटाने की साजिश रच रही है.
 
सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में भारी रोष है. इस मौके पर प्रांतीय परिषद के सदस्य राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि शिक्षक समाज के निर्माता हैं, तो वे सरकार को सही दिशा दिखा सकते हैं. जिला अध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. संघ द्वारा सरकार के गलत निर्णय के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन चलाया जायेगा. संघ के अन्य सदस्यों ने शिक्षकों के जबरन सेवामुक्ती के निर्णय को सामंती फैसला बनाया. उन्होंने सभी प्रशासनिक अधिकारियों तथा मंत्रियों के कार्यों की भी समीक्षा की मांग की. इस मौके पर जिला सचिव दिलीप कुमार, कोषाध्यक्ष डाॅ रामाधीन सिंह, विवेकानंद, सविता आदि उपस्थित थे. इधर नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. गणेश शंकर पाण्डेय ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि शिक्षकों को जबरन सेवानिवृत करने के पहले सरकार अक्षम शिक्षकों को बहाल करने वाली एजेंसी पर कार्रवाई करे.

 शिक्षा की दुर्दशा के लिए वास्तव में सरकारी तंत्र दोषी है. कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. इसके बावजूद शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य  भी लेकर सरकार स्वयं शिक्षा को बर्बाद करने पर तुली है. सरकार के गलत निर्णय के विरोध में शिक्षक मजबूर होकर सड़क पर उतरेंगे.

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