मुंगेर। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग की समीक्षा के
बाद कहा था कि सूबे के ऐसे सभी उच्च विद्यालय तथा उच्चतर माध्यमिक
विद्यालयों जिनके छात्रों का मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा में
निराशाजनक प्रदर्शन रहा।
ऐसे तमाम विद्यालय के शिक्षकों तथा संबंधित जिला के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, ऐसे विद्यालयों में कार्यरत 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले नकारा शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिविजी जाएगी। लेकिन इसे संयोग कहा जाए कि इस श्रेणी में मुंगेर जिले के एक भी विद्यालय शामिल नहीं है। जिले के औसतन हर उच्च तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के परीक्षार्थियों का उत्तीर्णता प्रतिशत 51 रहा। इस प्रकार जिले के उच्च विद्यालयों तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक इस प्रकार की किसी भी कार्रवाई के दायरे से बाहर आ गए। लेकिन केवल इतने से वे नि¨श्चत नहीं हो सकते हैं। विभाग अब शिक्षकों की कार्यप्रणाली पर विशेष रूप से निगरानी करेगा।
-डीईओ, डीपीओ और बीईओ करेंगे विद्यालय की निगरानी
सभी राजकीय, राजकीयकृत तथा उत्क्रमित मध्य एवं उच्च विद्यालयों की विभागीय निर्देशानुसार निगरानी की जाएगी। विभागीय निर्देश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी हर महीने कम से कम दो दिन विद्यालय का निरीक्षण करेंगे। इसके अलावा डीपीओ कम से कम तीन दिन एवं बीईओ लगातार विद्यालय का निरीक्षण एवं अनुश्रवण करते रहेंगे। ताकि विद्यालय की शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती रहे तथा सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही विद्यालय में स्वस्थ शैक्षणिक माहौल का निर्माण हो सके।
-मुंगेर जिले के लिए एक भी ऐसे उच्च विद्यालय अथवा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नहीं है जहां के बच्चों का मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इससे यहां के शिक्षकों को किसी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। सभी शिक्षक अपनी पूरी तन्मयता के साथ बच्चों को गुणवत्तपूर्ण शिक्षा दें। इसको लेकर लगातार विद्यालयों की निगरानी की जाएगी। बेहतर करने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा, जबकि कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षक दंडित भी किए जाएंगे।
-सुरेश प्रसाद ¨सह, डीईओ, मुंगेर।
ऐसे तमाम विद्यालय के शिक्षकों तथा संबंधित जिला के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, ऐसे विद्यालयों में कार्यरत 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले नकारा शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिविजी जाएगी। लेकिन इसे संयोग कहा जाए कि इस श्रेणी में मुंगेर जिले के एक भी विद्यालय शामिल नहीं है। जिले के औसतन हर उच्च तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के परीक्षार्थियों का उत्तीर्णता प्रतिशत 51 रहा। इस प्रकार जिले के उच्च विद्यालयों तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक इस प्रकार की किसी भी कार्रवाई के दायरे से बाहर आ गए। लेकिन केवल इतने से वे नि¨श्चत नहीं हो सकते हैं। विभाग अब शिक्षकों की कार्यप्रणाली पर विशेष रूप से निगरानी करेगा।
-डीईओ, डीपीओ और बीईओ करेंगे विद्यालय की निगरानी
सभी राजकीय, राजकीयकृत तथा उत्क्रमित मध्य एवं उच्च विद्यालयों की विभागीय निर्देशानुसार निगरानी की जाएगी। विभागीय निर्देश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी हर महीने कम से कम दो दिन विद्यालय का निरीक्षण करेंगे। इसके अलावा डीपीओ कम से कम तीन दिन एवं बीईओ लगातार विद्यालय का निरीक्षण एवं अनुश्रवण करते रहेंगे। ताकि विद्यालय की शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती रहे तथा सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही विद्यालय में स्वस्थ शैक्षणिक माहौल का निर्माण हो सके।
-मुंगेर जिले के लिए एक भी ऐसे उच्च विद्यालय अथवा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नहीं है जहां के बच्चों का मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इससे यहां के शिक्षकों को किसी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। सभी शिक्षक अपनी पूरी तन्मयता के साथ बच्चों को गुणवत्तपूर्ण शिक्षा दें। इसको लेकर लगातार विद्यालयों की निगरानी की जाएगी। बेहतर करने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा, जबकि कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षक दंडित भी किए जाएंगे।
-सुरेश प्रसाद ¨सह, डीईओ, मुंगेर।