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जिले में 50 पार शिक्षकों की बच सकती है गर्दन

कटिहार : इंटर परीक्षा में शून्य रिजल्ट वाले विद्यालयों के 50 पार शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृति के कड़े फैसले के बाद शिक्षकों के हलक सूखने लगे हैं। शिक्षा विभाग की बैठक में लिए गए प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की मुहर लगने के बाद शिक्षक संघ इसका कड़ा विरोध कर रही है।
बताते चलें कि इंटर के खराब परिणाम और पास करने वाले छात्रों से फेल करने वाले छात्रों की संख्या अधिक रहने के कारण सूबे की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा हुआ है। छात्र संघ और छात्रों ने परीक्षा परिणाम का कड़ा विरोध किया था। परिणाम के बाद परीक्षा समिति ने भी खराब परिणाम की समीक्षा शुरू की थी। इसको लेकर विद्यालयों के आंतरिक संसाधन को दुरूस्त करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर पहल शुरू की गई थी। खराब परिणाम को लेकर सरकार ने शून्य परिणाम देने वाले विद्यालय के शिक्षकों को अयोग्य करार दिया है। इसके तहत ऐसे विद्यालयों के 50 पार शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृति का फैसला लिया गया है। जिले के सभी विद्यालयों में छात्रों का परिणाम हुआ है। इससे फिलहाल यहां के शिक्षकों के कार्रवाई की जद में आने की संभावना कम है। लेकिन अब तक इस मामले में विभाग को कोई गाइड लाइन नहीं मिली है और इससे यहां के शिक्षक भी पूरी तरह संशय में हैं।
फैसला को लेकर शिक्षक संघ आक्रोशित

50 पार शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृति के फैसले का बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है। संघ ने इसे सरकार का तालीबानी फैसला बताया है। संघ के जिला सचिव अशोक पाठक ने बताया कि सरकार का यह फैसला सरासर गलत है। सरकार अपनी आंतरिक संसाधन को दुरूस्त करने के बजाए शिक्षकों पर दोषारोपण कर रही है। सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ शिक्षक संघ आंदोलन को बाध्य होगी। उन्होंने कहा कि प्लस टू विद्यालयों को उत्क्रमित किया गया है, लेकिन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं हो पाई है। ऐसे में विषयवार पढ़ाई और बेहतर रिजल्ट की कल्पना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि खराब परिणाम के लिए शिक्षकों पर दोषारोपण करना गलत है। सरकार शिक्षकों को समय पर वेतन देने और पर्याप्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने में असमर्थ है और परिणाम के लिए शिक्षकों पर कार्रवाई की जा रही है। संघ इसके खिलाफ एकजुट है। अगर इस तरह का फैसला लिया गया तो संघ चरणबद्ध आंदोलन को बाध्य होगी। 

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