पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सह भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि
इंटर के खराब रिजल्ट के लिए परीक्षा में कड़ाई की बात कह कर सरकार बिहार
की मेधा का अपमान कर रही है. रिजल्ट खराब होने से आठ लाख छात्रों के जीवन
का एक साल जहां बरबाद हुआ है.
वहीं, बिहार बोर्ड के छात्र इस साल न आइआइटी में जा सकेंगे और न ही
टॉपर खुशबू दिल्ली यूनिवर्सिटी में नामांकन ले सकेंगी. दो तिहाई छात्र
इसलिए फेल हो गये कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर
धांधली हुई है. प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों से कॉपियों का मूल्यांकन कराया
गया. ओएमआरशीट और कम्प्यूटराइज्ड प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी व
बारकोड के दुरुपयोग की भी शिकायत है.
उन्होंने कहा कि सरकार बताएं कि बिहार के सबसे पिछड़ा जिला किशनगंज
में इंटर आर्ट्स के 63.46 प्रतिशत तो बगल के अररिया के मात्र 24 फीसदी
छात्र ही क्यों पास हुए?
वैशाली के 88 फीसदी छात्र कैसे फेल हो गये? अरवल, जहानाबाद, नवादा और
रोहतास आदि जिलों में मात्र 14-15 प्रतिशत छात्र तो मुख्यमंत्री के गृहजिला
नालंदा में भी मात्र 24 फीसदी छात्र ही क्यों पास हुए? भौतिकी में जब 12
गलत सवालों के लिए बोर्ड ने 12 अंक देने का निर्णय लिया था तो फिर हजारों
छात्रों को मात्र तीन अंक कैसे आये? उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में कोई
पूर्णकालिक प्रधान सचिव नहीं हैं, एक ही व्यक्ति शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे
बड़े महकमा को देख रहा हैं.
देश के सभी राज्यों में 10वीं के रिजल्ट आ गये मगर बिहार में अभी तक
कोई अता-पता नहीं है. सरकार फेल सभी छात्रों की स्क्रूटनी के बजाये उनकी
उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराये और प्रति विषय लिए जाने वाले 120
रुपये शुल्क को माफ करें. मुख्यमंत्री पूरे फर्जीवाड़ा की जांच का आदेश
दें और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें.