सरकार की प्राथमिकता में नहीं है शिक्षा, व्यवस्था में नीतिगत बदलाव की जरूरत

बिहारके एजुकेशन सिस्टम में अब कुछ भी किसी स्तर पर सकारात्मक शेष नहीं है। प्राथमिकता में शिक्षा की व्यवस्था में सुधार को रखा ही नहीं गया है। शिक्षकों की कमी बड़ा मुद्दा है लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है। शिक्षकों को वक्त पर वेतन नहीं मिलता, एक शिक्षकों के भरोसे सैकड़ों विद्यार्थियों को छोड़ दिया गया है तो ऐसी स्थिति में शिक्षा में सुधार की उम्मीद शिक्षकों से क्यों हो रही है।
परीक्षा होती है और उसके बाद अंग्रेजी की कॉपियां फिजिक्स के शिक्षक जांच रहे हैं। प्राइमरी के शिक्षक 12वीं के विद्यार्थियों की कॉपियां जांच रहे हैं। तो इस व्यवस्था में 35 फीसदी विद्यार्थी ही पास कर गए, बहुत है। शिक्षकों के नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह संदेह के घेरे में है। -प्रो. मनोज कुमार, कॉलेज ऑफ कॉमर्स

^सवाल बहुत पहले से उठने चाहिए थे। विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा पूरे राज्य में नहीं हुआ है। राजधानी के चंद स्कूलों और जिला मुख्यालयों से अलग सुदूर क्षेत्रों के स्कूलों की हालत देखिए वहां कई विषय एक ही शिक्षक के जिम्मे होते हैं। स्कूलों के सुधार के लिए तो जैसे सबने हाथ उठा दिए हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में 2013 के बाद से कोई फंड नहीं मिला। तो स्कूलों की व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई। दूसरी ओर परीक्षा में बार कोडिंग जैसी तकनीक का अत्यधिक प्रयोग बिना शिक्षकों को प्राॅपर ट्रेनिंग दिए कर दी गई, जिस कारण भी बिहार बोर्ड इंटर का रिजल्ट कम हुआ है। -रवींद्रप्रसाद सिन्हा, महासचिव, ऑल इंडिया साइंस टीचर्स एसोसिएशन

^बिहार का स्कूली सिस्टम पूरी तरह फेल है और उच्च शिक्षा का फेल होना तय है। पिछले साल टॉपर घोटाला हुआ और इस बार का रिजल्ट ऐसे गिरा है कि दो तिहाई बच्चे फेल हुए हैं। पिछले साल के घोटाले से सरकार ने कोई सीख नहीं ली बल्कि कवायद यह शुरू हो गई कि सरकार कैसे अपना फेस बचाए। कदाचार रोकने के नाम पर ऊटपटांग निर्णय लिए गए। सरकार की तकनीक यह है कि उसका ध्यान सिर्फ तात्कालिक इन्वेस्टमेंट पर है। पुल बनाने पर तात्कालिक लाभ मिल सकता है तो ध्यान उस पर है। शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं है। कक्षाएं होने, बच्चों के उसमें जाने से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। माहौल बनाना होगा। रिजल्ट के मुताबिक ग्रांट देने की परंपरा ने रैकेट को बढ़ावा दिया है। -डॉ. अरुणकुमार, महासचिव, एआईफुक्टो

^इंटर का रिजल्ट कम होने पर आपाधापी बेकार है, 1970 तक रिजल्ट इतना ही होता रहा है। बिहार बोर्ड ने सीबीएसई के पैटर्न को तो अपना लिया लेकिन सरकार ने शिक्षकों की ट्रेनिंग उस पैटर्न पर नहीं की। आज रिजल्ट खराब हो गया है तो शिक्षकों-छात्रों की आलोचना करने से कुछ नहीं मिलेगा। ठोस नीति बनाइए और शिक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखिए, तब बात बनेगी। शिक्षक अगर नहीं पढ़ाते तो अब तक सबकुछ खत्म हो चुका होता। लेकिन न्यूनतम परिस्थितियों में भी कुछ शिक्षक पढ़ा रहे हैं और इसी कारण स्थिति शून्य के स्तर पर नहीं आई है। -डॉ.रणधीर कुमार सिंह, अध्यक्ष, पूटा

^बिहार बोर्ड को अपने कार्यों का मूल्यांकन करना होगा। बोर्ड सिर्फ परीक्षा लेने को अपना काम मान रहा है, यहां के चेयरमैन आत्ममुग्ध होकर अपना कार्यकाल पूरा करते हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार की चिंता, सरकारी विद्यालयों के प्रति नहीं है। कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन बना। कमीशन ने रिपोर्ट दी लेकिन उसे दबा दिया गया। शिक्षकों पर एक आदर्शवादी उद्देश्य थोपा जाता है कि वो अपने विद्यार्थियों को अधिकतम स्तर पर ले जाएं। लेकिन शिक्षक-छात्र अनुपात पर कोई चर्चा नहीं होती। शिक्षा पर खर्च जो होना चाहिए था, उसका आधा भी नहीं हो रहा है। आज जो आठ लाख बच्चे इंटर में फेल हुए हैं उसकी सीधी जिम्मेदार सरकार है। -विजयकुमार सिंह, बिहार सेकेंडरी टीचर्स एसोसिएशन

^परीक्षाओं को शुचिता के साथ आयोजित करना जरूरी है। लेकिन आज की स्थिति तकलीफदेह है। परीक्षा संचालन में ‘ऊपर वालों’ का हस्तक्षेप गलत है। इस बार इंटर का रिजल्ट गड़बड़ हुआ तो उसका एक बड़ा कारण शिक्षकों के ऊपर का दबाव भी है। बिना बेहतर पढ़ाई के परीक्षा होगी तो ऐसे रिजल्ट ही आएंगे, जैसे इंटर परीक्षा में हुआ है। सवाल यह है कि पढ़ाई की व्यवस्था सुधारें या परीक्षा की तो जवाब यह होगा कि शुरुआत दोनों में एक साथ करनी होगी। पिछले साल के टॉपर घोटाले के बाद भी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ। टीचर्स की ट्रेनिंग के नाम पर रैकेट चल रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग स्कूलों में शिक्षक नियुक्त हो गए हैं जो पढ़ाने लायक नहीं हैं। -डॉ.एनके चौधरी, पूर्व प्राचार्य, पटना कॉलेज

^शिक्षा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी किसी की हो, इसका पुनर्निर्धारण जरूरी है। शिक्षा में सरकार का हस्तक्षेप जब तक होगा, व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी। सरकार को शिक्षा की प्राथमिकता में रखते हुए संस्थानों की ऑटोनोमी का ख्याल करते हुए नीति निर्धारण करना होगा। शिक्षा को मार्केट और सरकार से बचाना होगा। निजीकरण का प्रयास हो रहा है। शिक्षा की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए शिक्षकों को ही प्रयास करना होगा। कॉमन स्कूल सिस्टम चाहिए लेकिन यह सिस्टम सरकार संचालित होकर एक व्यवस्थित और दूरदर्शी होना चाहिए। उत्सवधर्मी प्रवृत्ति में सरकार चल रही है और ब्यूरोक्रेसी के भरोसे शिक्षा को हांकने का प्रयास हो रहा है, जो संभव नहीं है। -डॉ. विनय कंठ, शिक्षाविद

^शिक्षा को फंडामेंटल राइट से जोड़ा गया लेकिन इम्प्लीमेंटेशन में कदम चूक गए हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ लोगों की इच्छाशक्ति भी शिक्षा को आगे बढ़ाने, इसमें सुधार से नहीं जुड़ी। जिसके कारण शिक्षा की पूरी व्यवस्था गड़बड़ हुई।पटना विश्वविद्यालय से इंटर को हटा देना गलत फैसला रहा है और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ा है। स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया पर सख्ती करनी होगी, बदलाव करने होंगे। तभी कुछ सकारात्मक परिणाम की उम्मीद हो सकती है। इंटर परीक्षा में बार कोडिंग लागू की गई जो तकनीकी मामला है। कोडिंग-डीकोडिंग में ही गलती की आशंका होती है, बार कोडिंग क्लिष्ट है। बच्चों और शिक्षकों पर गैरजरूरी प्रयोग हो रहे हैं, जिससे बचना चाहिए। -डॉ.शेफाली रॉय, पटना वीमेंस कॉलेज

^इंटर का रिजल्ट खराब होना तात्कालिक मामला है। कम क्वालिफाईड व्यक्ति कॉपियां जांचता तो फेल नहीं करता। पिछले साल इंटर के अधिकतर टॉपर्स एफिलिएटेड स्कूल-कॉलेजों के थे। इस बार टॉपर्स सरकारी स्कूल-कॉलेजों से हैं। हमलोगों ने छह जिलों में एक सर्वेक्षण किया तो पाया कि एक शिक्षक पर 69 विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है। सरकार की मंशा होती तो बेहतर शिक्षा सबतक पहुंच गई होती। सरकार स्कूलों में बच्चों के लिए खाना, पहनना से लेकर दूसरी कई सुविधाओं पर खूब बात करती है। लेकिन पढ़ाएं कैसे इस पर कोई बात नहीं करता। बिहार बोर्ड इंटर का जो रिजल्ट गिरा है यह भी रणनीति है। यह सरकारी स्कूलों को समाप्त करने और प्राइवेट स्कूलों को फायदा देने की कवायद है। -डॉ.अनिल कुमार रॉय, सेक्रेटरी, एसोसिएशन फॉर स्टडी एंड एक्शन 

Recent Articles


teacher recruitment , primary teacher vacancy , samvida shikshak , shikshak bharti , shikshak shikshak , atithi shikshak , shikshak bharti 2019 , shikshak bharti news today , shikshak bharti application , pavitra portal shikshak bharti 2019 , shikshak bharti merit list , shikshak bharti qualification , prathmik shikshak bharti , sahayak adhyapak bharti 2019 , sahayak adhyapak bharti pariksha 2019 , sahayak adhyapak bharti news , sahayak adhyapak bharti latest news , 12460 sahayak adhyapak bharti counselling , sahayak adhyapak bharti news today