बिहारविद्यालय परीक्षा समिति ने इंटर परीक्षा 2017 के आयोजन रिजल्ट प्रकाशन
की परीक्षा फुल मार्क्स के साथ पास कर ली। वर्ष 2016 के इंटर रिजल्ट के
बाद टॉपर घोटाले ने परीक्षा समिति सरकार की किरकिरी कराई थी। इसके बाद
परीक्षा सुधार को लेकर कई कार्यक्रम बने।
नकल रोकने के लिए जिला प्रशासन की मदद ली गई। परीक्षा कड़ाई से हुई। आंसर बुक में ओएमआर इंफॉरमेशन शीट दी गई। शीट नंबर के आधार पर बार कोड जेनरेट कर कॉपियों का मूल्यांकन कराया गया। इसका साफ असर दिखा। आठ लाख तीन हजार 53 परीक्षार्थी फेल हो गए हैं। मतलब, इंटर परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से महज 35.24 फीसदी ही सफल हो सके। वैसे, बिहार विद्यालय परीक्षार्थी सफल परीक्षार्थियों के औसत का औसत निकाल कर 47 फीसदी परीक्षार्थियों के पास होने का दावा कर रहे हैं। इंटर साइंस में 30.11 फीसदी, इंटर आर्ट्स में 37.13 और इंटर कॉमर्स में 73.76 फीसदी परीक्षार्थियों ने सफलता दर्ज की है।
वर्ष 2016 की इंटर परीक्षा के रिजल्ट के बाद बोर्ड सरकार की जो किरकिरी हुई, उसके बाद सरकार का फोकस एरिया भी परीक्षा समिति के दायरे में ही रह गया। इससे वर्ष 2016 के इंटर रिजल्ट के दौरान सरकार की जो घोषणाएं हुई थी, उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं रहा। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक साल में कोई प्रयास नहीं हुए। साइंस गणित के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विशेष टेट का आयोजन घोषणाओं तक ही सीमित रह गया। बाद में सामान्य एस टेट के माध्यम में नियुक्ति का निर्णय लिया गया। बिहार विद्यालय परीक्षा को अभी तक एस टेट के आयोजन के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।
परीक्षा रिजल्ट जारी करते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने कहा कि परीक्षा आयोजन को लेकर जितने भी इंतजाम किए गए, उसका असर है यह रिजल्ट। इस प्रकार का रिजल्ट यह जाहिर कर रहा है कि सरकार माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्कूलों को भी डिग्री देने का केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बस बयानों कागजों तक ही सीमित रह गया है। स्कूलों तक उसे पहुंचाने में शिक्षा विभाग पूरी तरह से फेल हो गया है।
इंटरकॉलेजों में व्यवस्था ठीक नहीं
इंटरकॉलेजों में व्यवस्था ठीक नहीं है। पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के कार्यकाल में संबद्धता हासिल करने वाले 212 इंटर कॉलेजों की जांच में तो कुछ ऐसा ही लगता है। जांच के बाद बोर्ड ने 174 संस्थानों की संबद्धता रद्द करने, 26 संस्थानों की संबद्धता निरस्त करने, दो की संबद्धता निलंबित करने, एक की फिर से जांच कराने, चार संस्थानों की गड़बड़ी को दूर करने के लिए छह माह का समय देने और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इंटर कॉलेजों की गड़बड़ी की रिपोर्ट के बाद सभी संबद्ध संस्थानों की जांच के आदेश दिए हैं। बोर्ड ने सभी 1317 संबद्ध संस्थानों की जांच के आदेश दिए हैं।
साढ़े 12 हजार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई
वर्ष2012 में एस टेट के आधार पर 17,583 उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ हुई, अब तक महज पांच हजार से कुछ अधिक शिक्षकों की ही नियुक्ति हो सकी है। साढ़े 12 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। इनको भरने के लिए सरकार की ओर से हर साल इंटर रिजल्ट के बाद दावे होते हैं। रिजल्ट का हंगामा शांत होने के बाद नियुक्ति की बातें भी बंद हो जाती हैं। कई इंटर कॉलेज बच्चों के कक्षाओं में उपस्थिति पर दबाव नहीं बनाते। वे बच्चे निजी कोचिंग संस्थानों के माध्यम से पढ़ाई कर बेहतर कर जाते हैं। इस वर्ष भी टॉपर लिस्ट में इंटर कॉलेज के छात्रों ने स्थान बनाया है। हालांकि, वहां भी शिक्षकों की कमी है। शैक्षणिक संसाधन का घोर अभाव है। प्रयोगशाला खुलते नहीं। पुस्तकालय का हाल बेहाल है।
^इस साल समय पर रिजल्ट जारी हुआ है। इस बार की परीक्षा ऐतिहासिक रही। किसी भी प्रकार का कदाचार परीक्षा में नहीं हुआ है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार रिजल्ट के पहले काफी दिक्कतें भी हुई थी। इस बार परीक्षा फॉर्म भराने से लेकर एडमिट कार्ड तक देने का सारा काम ऑनलाइन किया गया। परीक्षा के बाद शिक्षकों की हड़ताल भी रही, लेकिन इसके बावजूद समय पर रिजल्ट जारी किया गया। इससे छात्र-छात्राओं को आगे आनेवाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी। -आनंदकिशोर, बोर्ड अध्यक्ष
02 जून 2016 को प्रकाशित
25 मई को प्रकािशत पेज
इंटर का रिजल्ट जारी करते बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन।
नकल रोकने के लिए जिला प्रशासन की मदद ली गई। परीक्षा कड़ाई से हुई। आंसर बुक में ओएमआर इंफॉरमेशन शीट दी गई। शीट नंबर के आधार पर बार कोड जेनरेट कर कॉपियों का मूल्यांकन कराया गया। इसका साफ असर दिखा। आठ लाख तीन हजार 53 परीक्षार्थी फेल हो गए हैं। मतलब, इंटर परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से महज 35.24 फीसदी ही सफल हो सके। वैसे, बिहार विद्यालय परीक्षार्थी सफल परीक्षार्थियों के औसत का औसत निकाल कर 47 फीसदी परीक्षार्थियों के पास होने का दावा कर रहे हैं। इंटर साइंस में 30.11 फीसदी, इंटर आर्ट्स में 37.13 और इंटर कॉमर्स में 73.76 फीसदी परीक्षार्थियों ने सफलता दर्ज की है।
वर्ष 2016 की इंटर परीक्षा के रिजल्ट के बाद बोर्ड सरकार की जो किरकिरी हुई, उसके बाद सरकार का फोकस एरिया भी परीक्षा समिति के दायरे में ही रह गया। इससे वर्ष 2016 के इंटर रिजल्ट के दौरान सरकार की जो घोषणाएं हुई थी, उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं रहा। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक साल में कोई प्रयास नहीं हुए। साइंस गणित के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विशेष टेट का आयोजन घोषणाओं तक ही सीमित रह गया। बाद में सामान्य एस टेट के माध्यम में नियुक्ति का निर्णय लिया गया। बिहार विद्यालय परीक्षा को अभी तक एस टेट के आयोजन के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।
परीक्षा रिजल्ट जारी करते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने कहा कि परीक्षा आयोजन को लेकर जितने भी इंतजाम किए गए, उसका असर है यह रिजल्ट। इस प्रकार का रिजल्ट यह जाहिर कर रहा है कि सरकार माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्कूलों को भी डिग्री देने का केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बस बयानों कागजों तक ही सीमित रह गया है। स्कूलों तक उसे पहुंचाने में शिक्षा विभाग पूरी तरह से फेल हो गया है।
इंटरकॉलेजों में व्यवस्था ठीक नहीं
इंटरकॉलेजों में व्यवस्था ठीक नहीं है। पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के कार्यकाल में संबद्धता हासिल करने वाले 212 इंटर कॉलेजों की जांच में तो कुछ ऐसा ही लगता है। जांच के बाद बोर्ड ने 174 संस्थानों की संबद्धता रद्द करने, 26 संस्थानों की संबद्धता निरस्त करने, दो की संबद्धता निलंबित करने, एक की फिर से जांच कराने, चार संस्थानों की गड़बड़ी को दूर करने के लिए छह माह का समय देने और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इंटर कॉलेजों की गड़बड़ी की रिपोर्ट के बाद सभी संबद्ध संस्थानों की जांच के आदेश दिए हैं। बोर्ड ने सभी 1317 संबद्ध संस्थानों की जांच के आदेश दिए हैं।
साढ़े 12 हजार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई
वर्ष2012 में एस टेट के आधार पर 17,583 उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ हुई, अब तक महज पांच हजार से कुछ अधिक शिक्षकों की ही नियुक्ति हो सकी है। साढ़े 12 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। इनको भरने के लिए सरकार की ओर से हर साल इंटर रिजल्ट के बाद दावे होते हैं। रिजल्ट का हंगामा शांत होने के बाद नियुक्ति की बातें भी बंद हो जाती हैं। कई इंटर कॉलेज बच्चों के कक्षाओं में उपस्थिति पर दबाव नहीं बनाते। वे बच्चे निजी कोचिंग संस्थानों के माध्यम से पढ़ाई कर बेहतर कर जाते हैं। इस वर्ष भी टॉपर लिस्ट में इंटर कॉलेज के छात्रों ने स्थान बनाया है। हालांकि, वहां भी शिक्षकों की कमी है। शैक्षणिक संसाधन का घोर अभाव है। प्रयोगशाला खुलते नहीं। पुस्तकालय का हाल बेहाल है।
^इस साल समय पर रिजल्ट जारी हुआ है। इस बार की परीक्षा ऐतिहासिक रही। किसी भी प्रकार का कदाचार परीक्षा में नहीं हुआ है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार रिजल्ट के पहले काफी दिक्कतें भी हुई थी। इस बार परीक्षा फॉर्म भराने से लेकर एडमिट कार्ड तक देने का सारा काम ऑनलाइन किया गया। परीक्षा के बाद शिक्षकों की हड़ताल भी रही, लेकिन इसके बावजूद समय पर रिजल्ट जारी किया गया। इससे छात्र-छात्राओं को आगे आनेवाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी। -आनंदकिशोर, बोर्ड अध्यक्ष
02 जून 2016 को प्रकाशित
25 मई को प्रकािशत पेज
इंटर का रिजल्ट जारी करते बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन।