पटना. दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में सोमवार को एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का समापन हो गया। इस संबंध में सीयूएसबी के जनसंपर्क अधिकारी मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की एकता, अखंडता एवं श्रेष्ठता के विचारों से लोगों को अवगत कराना है।
कार्यक्रम के पहले दिन समन्वयक डॉ. प्रिय रंजन, विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों की संयुक्त भागीदारी से एक अभियान चलाया गया, जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कार्यक्रम के उद्देश्य और परिकल्पनाओं की जानकारी दी गई। दूसरे दिन डेवलपमेंट स्टडीज के सहायक प्राध्यापक एपीए कबीर ने भारतीय राज्यों की कला, संस्कृति, मूल्य एवं विचारों को बताया। साथ ही अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रिकिल चिरमंग ने उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों की सामाजिक व्यवस्था, सांस्कृतिक विचार एवं विविधता को बताया।
तीसरे दिन शिक्षकों एवं छात्रों की सामूहिक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें शिक्षकों एवं छात्रों ने भारत की श्रेष्ठता और अखंडता पर अपने विचार प्रकट किए। चौथे दिन शिक्षकों एवं छात्रों से इस कार्यक्रम की सफलता और बेहतर क्रियान्वयन के लिए सुझाव आमंत्रित किये गए। पांचवे और अंतिम दिन सोमवार को विश्वविद्यालय के छात्र-कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. सनत शर्मा ने भारत की एकता, अखंडता पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत की एकता इसकी विविधता के रूप में परिलक्षित होती है और यही इसकी अखंडता का सूचक है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. कौशल किशोर, डॉ. हरेश नारायण पांडेय, डॉ. अनिल सिंह झा, डॉ. प्रज्ञा गुप्ता, डॉ. अम्बरीश गौतम, डॉ. परिजात, डॉ. जितेन्द्र राम, डॉ. मनीष, डॉ. चंद्र प्रभा, डॉ. कविता सिंह आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम के पहले दिन समन्वयक डॉ. प्रिय रंजन, विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों की संयुक्त भागीदारी से एक अभियान चलाया गया, जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कार्यक्रम के उद्देश्य और परिकल्पनाओं की जानकारी दी गई। दूसरे दिन डेवलपमेंट स्टडीज के सहायक प्राध्यापक एपीए कबीर ने भारतीय राज्यों की कला, संस्कृति, मूल्य एवं विचारों को बताया। साथ ही अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रिकिल चिरमंग ने उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों की सामाजिक व्यवस्था, सांस्कृतिक विचार एवं विविधता को बताया।
तीसरे दिन शिक्षकों एवं छात्रों की सामूहिक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें शिक्षकों एवं छात्रों ने भारत की श्रेष्ठता और अखंडता पर अपने विचार प्रकट किए। चौथे दिन शिक्षकों एवं छात्रों से इस कार्यक्रम की सफलता और बेहतर क्रियान्वयन के लिए सुझाव आमंत्रित किये गए। पांचवे और अंतिम दिन सोमवार को विश्वविद्यालय के छात्र-कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. सनत शर्मा ने भारत की एकता, अखंडता पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत की एकता इसकी विविधता के रूप में परिलक्षित होती है और यही इसकी अखंडता का सूचक है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. कौशल किशोर, डॉ. हरेश नारायण पांडेय, डॉ. अनिल सिंह झा, डॉ. प्रज्ञा गुप्ता, डॉ. अम्बरीश गौतम, डॉ. परिजात, डॉ. जितेन्द्र राम, डॉ. मनीष, डॉ. चंद्र प्रभा, डॉ. कविता सिंह आदि मौजूद रहे।