बिहार में मैट्रिक और इंटर की कॉपियों के मूल्यांकन का समय से पूरा होने
पर अब तक संशय बरकरार है. सभी केंद्रों पर आनन-फानन में कॉपियों का
मूल्यांकन जारी है लेकिन अब भी लाखों छात्रों की कॉपियां बंडल में ही बंद
है.
मूल्यांकन कार्य में तेजी लाने के लिए शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने ओवरटाइम करने का आदेश भी जारी किया लेकिन वो भी ढाक के तीन पात ही साबित हुई. टॉपर घोटाले के बाद सरकार और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित करने में सफलता हासिल कर ली लेकिन समय पर मूल्यांकन कराने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं.
आलम यह है कि पिछले 15 मार्च से इंटर का मूल्यांकन कार्य चल रहा है लेकिन एक माह बाद भी मात्र 50 प्रतिशत कॉपियों का ही मूल्यांकन हो सका है. 1 मार्च से जारी मैट्रिक का मूल्यांकन भी 30 प्रतिशत ही हो सका है. शिक्षकों के लंबे समय तक हड़ताल पर रहने के कारण कई विषयों की कॉपियों का बंडल अब तक खोला भी नहीं गया है.
रिजल्ट समय पर आये इसके लिये शिक्षा मंत्री
अशोक चौधरी ने ओवरटाइम मूल्यांकन करने का आदेश जारी कर दिया है लेकिन
शिक्षकों को शिक्षा मंत्री का ये आदेश मंजूर नहीं है. कॉपी जांच रहे
शिक्षकों परशुराम सिंह, मुन्ववर आलम ने बताया कि रोजाना 30 से 35 कॉपियों
को जांचने का आदेश मिला है लेकिन अगर इससे ज्यादा कॉपियां जांचने का आदेश
मिल रहा है तो इससे कॉपियों के मूल्यांकन की गुणवत्ता प्रभावित होगी. कई
शिक्षकों ने खुलेआम ओवरटाइम न करने की भी बात कही.
ओवरटाइम के मामले में भी शिक्षकों ने सरकार के इस आदेश को सही नहीं बताया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और सरकार की ओर से लगातार वीडियो कांफ्रेसिंग कर सभी डीईओ को निर्देश दिया जा रहा है कि हर हाल में 30 अप्रैल तक कॉपयों का मूल्यांकन करा लेना है ताकि मई के दूसरे सप्ताह में इंटर का और अंत तक मैट्रिक का रिजल्ट जारी किया जा सके.
मूल्यांकन कार्य में तेजी लाने के लिए शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने ओवरटाइम करने का आदेश भी जारी किया लेकिन वो भी ढाक के तीन पात ही साबित हुई. टॉपर घोटाले के बाद सरकार और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित करने में सफलता हासिल कर ली लेकिन समय पर मूल्यांकन कराने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं.
आलम यह है कि पिछले 15 मार्च से इंटर का मूल्यांकन कार्य चल रहा है लेकिन एक माह बाद भी मात्र 50 प्रतिशत कॉपियों का ही मूल्यांकन हो सका है. 1 मार्च से जारी मैट्रिक का मूल्यांकन भी 30 प्रतिशत ही हो सका है. शिक्षकों के लंबे समय तक हड़ताल पर रहने के कारण कई विषयों की कॉपियों का बंडल अब तक खोला भी नहीं गया है.
ओवरटाइम के मामले में भी शिक्षकों ने सरकार के इस आदेश को सही नहीं बताया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और सरकार की ओर से लगातार वीडियो कांफ्रेसिंग कर सभी डीईओ को निर्देश दिया जा रहा है कि हर हाल में 30 अप्रैल तक कॉपयों का मूल्यांकन करा लेना है ताकि मई के दूसरे सप्ताह में इंटर का और अंत तक मैट्रिक का रिजल्ट जारी किया जा सके.