हड़ताल तालाबंदी की दूसरी बैठक और महत्वपुर्ण बाते
बिहार राज्य प्रारम्भिक शिक्षक संघ की अगुआई मे दिनांक 21-04-2017
1) डिसूजा जी - 16 के घोषणा तिथि के बाद आज दूसरी बैठक मे भी मोर्चा का गठन क्यों नही हुआ ?
बिहार राज्य नियोजित शिक्षक संघर्ष मोर्चा नाम रखा गया तो इस मोर्चे मे बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ क्यों और कैसे शामिल है ।मै दिल से इस तालाबंदी मे साथ हूँ । मोर्चा बना है तो मोर्चे का गठन हो मोर्चे के नाम से लड़ाई लड़े ।
2) ब्रजननदन शर्मा _ मुझे सोचने का अवसर नही मिला , बीना कमिटी के निर्णय का मै कोई भी क़दम नही स्पष्ट रुप से कहूँगा । इसमे 15 दिन और लगेंगे तभी लिखित रुप से कोई निर्देश आदेश दूँगा ।
3)प्रदीप कुमार पप्पू - मैने 16 के प्रथम बैठक व घोषणा तिथि कॊ सबको नही बुला पाया पर 21 के लिये सबको सम्पर्क किया गया आमंत्रण चिठि भी दी गई । यह लड़ाई दो बातो के लिये लड़ रहे शिक्षक नेता । एक अपने वजूद तलाश रहे नेतागिरी के लिये दूसरे शिक्षकों के हित के लिये ।
4) राजेश भारती नवोदयन - जो सर्वदलीय बैठक अब बुलाने की कोशिश की जा रही है वो गलत तरीका है थाली और पानी देकर चुल्हा जलाने निकलेंगे तो भूखा आदमी थाली पिटेगा ही और हाँ ये भी मानते है कि आपके संगठन मे शिक्षकों की संख्या सबसे अधिक है आप सक्षम है तालाबंदी कॊ सफलता की और लें जाने मे पर आपके अनुभवी टीम ने घोषणा पूर्व मंथन नही किया जिसका फल हम आम शिक्षक और टुकडों मे बँटे संघ भी आपके साथ चलने मे दिक्कत महसूस कर रहे और बैठक मे नही आ रहे ।और हाँ जिनके कार्यालय मे सब तय कर रहे जिनके गार्जियनशिप मे उस प्राथमिक शिक्षक संघ से स्पष्ट लिखित लें कितना और कैसे शामिल है संघ चुकी अब तक फील्ड मे नियोजित शिक्षकों के साथ नही है वे ।
5) प्रेमचंद जी - जिस तरह से पुराने शिक्षक नियोजित शिक्षकों के साथ व्यवहार कर रहे कि आगे थूर देंगे नियोजित कभी भी ।
6)गणेश शंकर पाण्डे जी - प्राथमिक शिक्षक का इतिहास बड़ा सम्मानित मानते हुए सवाल है कि जब नियोजन 2006 बहाली आई थी तब सरकार से आप ने क्यों सवाल नही किया कि कैसे शिक्षकों कॊ बहाल कर रहे क्या करेंगे इस 4000 मे घर और बच्चे कैसे पढ़ेंगे हमारे ?
आज वक़्त है भीष्म पितामह से कि ये लड़ाई अंतिम लड़ाई हो और शिक्षकों वाजिब हक दिलाने मे आप भी प्रतिष्ठा लगा दे ताकि आपकी महता और इतिहास कलंकित होने से बच जाये ।
निष्कर्ष - प्राथमिक शिक्षक संघ के नैतिक समर्थन एक जुमला है ।
पप्पुजी कॊ अहसास है कि हम जो चाहेंगे वहीँ होगा इस घमंड मे सबका साथ पाना कठिन डगर है ।
आंदोलन व्यापक हो या न हो RTE का उलंघन तो माना ही जायेगा । जिसके परिणाम मे कोर्ट अथवा सरकार कोई निर्णय लें सकते है ।
अपील -लड़ने वाले नेता कोई हो तरीका कैसा भी हो हर लड़ाई हमें ही एक क़दम आगे लें जायेगा अत: समर्थन नही तो विरोध नही करे ।
सोचिये और निर्णय लीजिये
आपका
#राजेश_भारती_नवोदयन
बिहार राज्य प्रारम्भिक शिक्षक संघ की अगुआई मे दिनांक 21-04-2017
1) डिसूजा जी - 16 के घोषणा तिथि के बाद आज दूसरी बैठक मे भी मोर्चा का गठन क्यों नही हुआ ?
बिहार राज्य नियोजित शिक्षक संघर्ष मोर्चा नाम रखा गया तो इस मोर्चे मे बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ क्यों और कैसे शामिल है ।मै दिल से इस तालाबंदी मे साथ हूँ । मोर्चा बना है तो मोर्चे का गठन हो मोर्चे के नाम से लड़ाई लड़े ।
2) ब्रजननदन शर्मा _ मुझे सोचने का अवसर नही मिला , बीना कमिटी के निर्णय का मै कोई भी क़दम नही स्पष्ट रुप से कहूँगा । इसमे 15 दिन और लगेंगे तभी लिखित रुप से कोई निर्देश आदेश दूँगा ।
3)प्रदीप कुमार पप्पू - मैने 16 के प्रथम बैठक व घोषणा तिथि कॊ सबको नही बुला पाया पर 21 के लिये सबको सम्पर्क किया गया आमंत्रण चिठि भी दी गई । यह लड़ाई दो बातो के लिये लड़ रहे शिक्षक नेता । एक अपने वजूद तलाश रहे नेतागिरी के लिये दूसरे शिक्षकों के हित के लिये ।
4) राजेश भारती नवोदयन - जो सर्वदलीय बैठक अब बुलाने की कोशिश की जा रही है वो गलत तरीका है थाली और पानी देकर चुल्हा जलाने निकलेंगे तो भूखा आदमी थाली पिटेगा ही और हाँ ये भी मानते है कि आपके संगठन मे शिक्षकों की संख्या सबसे अधिक है आप सक्षम है तालाबंदी कॊ सफलता की और लें जाने मे पर आपके अनुभवी टीम ने घोषणा पूर्व मंथन नही किया जिसका फल हम आम शिक्षक और टुकडों मे बँटे संघ भी आपके साथ चलने मे दिक्कत महसूस कर रहे और बैठक मे नही आ रहे ।और हाँ जिनके कार्यालय मे सब तय कर रहे जिनके गार्जियनशिप मे उस प्राथमिक शिक्षक संघ से स्पष्ट लिखित लें कितना और कैसे शामिल है संघ चुकी अब तक फील्ड मे नियोजित शिक्षकों के साथ नही है वे ।
5) प्रेमचंद जी - जिस तरह से पुराने शिक्षक नियोजित शिक्षकों के साथ व्यवहार कर रहे कि आगे थूर देंगे नियोजित कभी भी ।
6)गणेश शंकर पाण्डे जी - प्राथमिक शिक्षक का इतिहास बड़ा सम्मानित मानते हुए सवाल है कि जब नियोजन 2006 बहाली आई थी तब सरकार से आप ने क्यों सवाल नही किया कि कैसे शिक्षकों कॊ बहाल कर रहे क्या करेंगे इस 4000 मे घर और बच्चे कैसे पढ़ेंगे हमारे ?
आज वक़्त है भीष्म पितामह से कि ये लड़ाई अंतिम लड़ाई हो और शिक्षकों वाजिब हक दिलाने मे आप भी प्रतिष्ठा लगा दे ताकि आपकी महता और इतिहास कलंकित होने से बच जाये ।
निष्कर्ष - प्राथमिक शिक्षक संघ के नैतिक समर्थन एक जुमला है ।
पप्पुजी कॊ अहसास है कि हम जो चाहेंगे वहीँ होगा इस घमंड मे सबका साथ पाना कठिन डगर है ।
आंदोलन व्यापक हो या न हो RTE का उलंघन तो माना ही जायेगा । जिसके परिणाम मे कोर्ट अथवा सरकार कोई निर्णय लें सकते है ।
अपील -लड़ने वाले नेता कोई हो तरीका कैसा भी हो हर लड़ाई हमें ही एक क़दम आगे लें जायेगा अत: समर्थन नही तो विरोध नही करे ।
सोचिये और निर्णय लीजिये
आपका
#राजेश_भारती_नवोदयन