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अनुकम्पा पर नियोजन/नियुक्ति से सम्बंधित फैसला सरकार के पक्ष में और नियोजित शिक्षक के पूर्ण वेतनमान की मांग के विरुद्ध

देखिये अब हमारे नियोजित शिक्षक भाई कैसे उछलने लगे अनुकम्पा पर नियोजन/नियुक्ति से सम्बंधित याचिका पर फैसला आने के बाद।........
वास्तविकता यह है की इस निर्णय ने बड़ा झटका दिया है नियोजित शिक्षकों को खासकर मृत नियमित शिक्षक के आश्रित को।कैसे ,,,,,ज़रा गौर से पढ़ें......

(1)सरकार ने 1जनवरी 2006 से पूर्व जितनी भी बहाली अनुकम्पा पर की वह नियमित पदों पर ही की ऐसे में इस फैसला का कोई औचित्य नहीं।
(2)जहां तक बात यह है की 1जनवरी 2006 से पहले कुछ समयावधि तक अनुकम्पा पर बहाली रुक गयी थी तो बिहार शिक्षक नियोजन नियमावली2006 के अधीन वैसे आश्रितों का नियोजन ठेका पर किया गया जिनके सम्बंधित नियमित शिक्षक 1जवारी 2006 से पहले मृत थे या बाद में ...लेकिन कुछ ही सालों के बाद 2013में वैसे आश्रितों ने उच्च न्यायालय में मुकदमा जित लिया जिनके सम्बंधित नियमित शिक्षक की मृत्यु 1जनवरी 2006 से पहले हुई थी। हाई कोर्ट के इस निर्णय के आलोक में 1जनवरी 2006 से पहले मृत नियमित शिक्षक के आश्रित को सरकार ने विभिन्न दुसरे विभागों में नियमित पदों पर नियुक्ति की।
(3)पुनः 1जनवरी 2006 के बाद मृत नियमित शिक्षकों के आश्रित ने खुद को नियमित पदों पर नियुक्ति कराने हेतु सरकार के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया। इस याचिका पर 2016 में उच्च न्यायालय ने 2009तक मृत नियमित शिक्षक के आश्रित को नियमित पदों पर नियुक्त करने का आदेश राज्य सरकार को दिया। हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद विभागीय प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी ,अबतक कार्यवाही जारी थी ।
......अब अचानक सुप्रीम कोर्ट ने किसी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बेवकूफी और सरकार की चापलूसी भरा फैसला दे दिया की 2006 से पूर्व मृत नियमित शिक्षक के आश्रित को नियमित पद मिलेगा हालांकि यह कार्य बहुत पहले ही उच्च न्यायालय के आदेश पर हो चुका है वहीँ सर्वोच्च न्यायालय ने 1जनवरी2006 के बाद मृत नियमित शिक्षक के आश्रितों को नियमित पद देने अथवा न देने का फैसला सरकार की मर्जी पर छोड़ दिया है तो भाई मेरे यह बताएं की हाई कोर्ट के आदेश पर1जनवरी 2006 से 2009तक मृत नियमित शिक्षक के जो आश्रित इस उम्मोद में थे की हमारी बहाली अब नियमित पद पर हो जाएगी उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फासले से नुक्सान हुआ या फायदा।
दूसरी बात 1जनवरी 2006 के बाद मृत नियमित शिक्षक के आश्रितों को नियमित पद नही मिलेगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया।....इसलिए यह फैसला सरकार के पक्ष में और नियोजित शिक्षक के पूर्ण वेतनमान की मांग के विरुद्ध है।

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