बिना मांग पूर्ण होने तक वीक्षक डटे रहेंगे आंदोलन पर
मांगों को लेकर िवत्तरहित शिक्षक हड़ताल पर
सुपौल : जिला मुख्यालय स्थित शनिवार से दो केंद्रों पर शुरू होने वाले
मैट्रिक मूल्यांकन कार्य का भी माध्यमिक शिक्षक संगठन ने बहिष्कार कर
दिया. चहल-पहल की बजाय केंद्रों पर आंदोलनात्मक माहौल बना हुआ है. सरकार के
खिलाफ नारेबाजी हो रही है. दोनों केंद्रों पर शिक्षक अपनी-अपनी उपस्थिति
दर्ज कराते हुए शिक्षा सत्याग्रह पर अड़े हैं. वहीं मूल्यांकन कार्य में
लेट लतीफी होने पर रिजल्ट भी देर से प्रकाशित होने का कयास लगाया जा रहा
है. इससे बाहर एडमिशन कराने वाले छात्रों को जहां परेशानी उठानी होगी. वहीं
बिना रिजल्ट निकले ही अगर दूसरे राज्यों में एडमिशन के लिए तिथि जारी कर
दी गयी ,
तो यहां के छात्र एडमिशन से वंचित हो जायेंगे. साथ ही अव्वल संस्थानों
में दाखिला लेने वाले छात्रों का सपना, सपना ही बन कर रह जायेगा. केंद्र
पर वीक्षकों ने नहीं किया योगदान: मैट्रिक परीक्षा के बारकोडेड कॉपियों की
जांच के लिए बनाए गये दोनों केंद्रों पर केंद्राधीक्षक मूल्यांकन कार्य
प्रारंभ करने की तैयारी में थे, लेकिन हजारी उच्चतर माध्यमिक व सुपौल
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मूल्यांकन केंद्र पर एकाध शिक्षकों को छोड़ किसी
भी वीक्षकों ने योगदान नहीं दिया.
समान कार्य के लिए समान वेतन के अलावा अन्य मांगों के समर्थन में
पूर्व से ही घोषित शिक्षा सत्याग्रह आंदोलन को धारदार बनाने के लिए संगठन
के सचिव दीपक कुमार ने कहा कि मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. वहीं
भारत सेवक समाज महाविद्यालय को बनाये गये इंटर उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन
केंद्र पर वित्तरहित शिक्षक प्रारंभ से ही मूल्यांकन का बहिष्कार कर अपना
विरोध जता रहे हैं. इंटर का मूल्यांकन कार्य ठप:
जिला मुख्यालय स्थित भारत सेवक समाज महाविद्यालय इंटर मूल्यांकन
केंद्र पर वित्तरहित शिक्षकों ने सोमवार के दिन भी मूल्यांकन कार्य का
बहिष्कार कर आंदोलन जारी रखा है.
प्रो राजेंद्र प्रसाद यादव की अध्यक्षता में सभी वीक्षक रोजाना विरोध
प्रदर्शन की नायाब तरीके अपनाकर सरकार को अल्टीमेटम दे रहे हैं. मालूम हो
कि वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा, बिहार इंटरमीडिएट शिक्षक व
शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया
गया है. वित्तरहित इंटर कॉलेजों के अधिग्रहण, अनुदान की संपूर्ण राशि एक
मुश्त भुगतान और समान काम के लिए समान वेतन आदि मांगों को लेकर आंदोलन पर
डटे हुए हैं.
उक्त केंद्र पर बहिष्कार करने वालों में मो मुस्तफा, प्रो दीनानाथ
भगत, प्रो विनय कुमार झा, प्रो इरफान अहमद, प्रो शिवेष चंद्र ठाकुर, प्रो
अशोक कुमार यादव, प्रो अनिल ठाकुर, प्रो राजेंद्र यादव, प्रो सत्येंद्र
सिंह, प्रो उमेश चौधरी, प्रो विम्बलांबर झा, प्रो लक्ष्मी प्रसाद मंडल,
प्रो शशि कांत झा, प्रो मूंगा लाल मंडल, प्रो नागेश्वर मंडल, प्रो दामोदर
झा, प्रो राजेंद्र झा, प्रो निखिल कुमार सिंह, संजीव कुमार पाठक, पीतांबर
पाठक सहित अन्य शामिल हैं. वहीं आंदोलन के कारण इंटर मूल्यांकन की अंतिम
तिथि को बोर्ड ने बढ़ाकर नौ अप्रैल कर दिया है. परीक्षा समिति की ओर से समय
पर इंटर व मैट्रिक की परीक्षा लेने के बाद भी कॉपियों की जांच में हो रहे
विलंब से परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक सकता है.
अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता
कई छात्र व अभिभावकों को इस बात की चिंता सता रही है कि सरकार की ओर
से काफी समय बीत जाने के बाद भी अब तक इस संबंध में ठोस पहल नहीं किया गया
है. सरकार व व्यवस्था के बीच जारी इस खेल का खामियाजा आखिरकार
परीक्षार्थियों को ही भुगतना पड़ेगा. खासकर इंटर व स्नातक कक्षाओं में
रिजल्ट समय पर नहीं निकलने से एडमिशन में देरी होगी. अभिभावकों को यह भी
चिंता सताए जा रही है कि अगर रिजल्ट ज्यादा लेट निकला तो छात्रों के उच्च
शिक्षा की पढ़ाई पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा.
बीते 20 दिनों से मूल्यांकन कार्य ठप है. वित्तरहित शिक्षक व माध्यमिक
शिक्षकों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का
बहिष्कार कर रखा है.
परीक्षार्थियों में नाराजगी
छात्रों ने कहा ससमय कोर्स पूरा करने में परेशानी होगी. कॉपियों के
मूल्यांकन में हो रही देरी पर वैसे छात्र व छात्राओं में नाराजगी देखी जा
रही है, जो इस साल की मैट्रिक व इंटर की परीक्षा दी है. जेएन मिश्र इंटर
कॉलेज के छात्र उमेश कुमार ने बताया कि इंटर का रिजल्ट लेट निकलने से
उन्हें अच्छे संस्थानों में स्नातक कक्षा में एडमिशन नहीं मिल पायेगा.
मैट्रिक परीक्षार्थी आशिष कुमार ने कहा कि रिजल्ट में लेट होने से एडमिशन
के लिए कॉलेजों व इंटर स्कूलों की खाक छाननी पड़ेगी. परीक्षार्थी प्रिया
कुमारी ने कहा कि समय पर रिजल्ट निकलने के बाद भी छात्राओं व अभिभावकों को
एडमिशन करवाने में परेशानी होती है.
बिहार बोर्ड ने अपने एक नये फैसले के तहत इंटर और मैट्रिक की परीक्षा
को और पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाने जा रहा है. बोर्ड मैट्रिक व
इंटरमीडिएट के उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन सुरक्षित और संरक्षित हो, इसके
लिये बिहार विद्यालय परीक्षा समिति मूल्यांकन में डिजिटल मार्किंग सिस्टम
को लागू करने जा रहा है. लेकिन परिस्थिति का निबटारा किस प्रकार करवायी
जाय. इस दिशा में किसी प्रकार का पहल नहीं किया जा रहा है.